ज र्मन युवती जेन वॉन रेबनाउ ने भारत के संदर्भ में अपने अनुभव साझा किए हैं। जेन के अनुभव भारत और भारतीय समाज को सुखद और गर्व की अनुभूति कराते हैं। सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि जेन ने अमेरिकन युवती मिशेल क्रॉस को करारा जवाब दिया है। स्टडी ट्रिप पर भारत आई मिशेल ने यहां से जाने के बाद भारत को औरतों के लिए नरक बताया था। खासकर विदेशी युवतियों के लिए भारत को एक तरह से वाहियात बताया था। मिशेल ने ब्लॉग पर अपने अनुभव लिखे थे कि किस तरह भारतीय पुरुष लंपटों की तरह उसके रंग और सीने को घूरते थे। कभी-कभी तो पीछे ही पड़ जाते थे। इतना ही नहीं कुछ मौकों पर तो उसका रेप होते-होते बचा। मिशेल के अनुभवों से सभ्य भारतीय समाज ने लज्जा का अनुभव किया। शर्म से भारत का सिर झुक गया था। हालांकि हम भी जानते हैं कि मिशेल ने जो लिखा वह सच है लेकिन यह पूरे भारत का सच नहीं। इस तरह के लोग तो सभी देशों में पाए जाते हैं। ब्रिटेन, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, चीन, अफ्रीका, अफगानिस्तान और अरब देश सहित अन्य देशों में भारतीय महिला-पुरुषों के साथ भी कई मौकों पर अभद्र व्यवहार होता है। खासकर सिख समाज को कई बार बेहद लज्जाजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन, यह तो कभी किसी ने नहीं कहा कि ये देश महिलाओं के लिए नरक हैं। लेकिन, भारत के प्रबुद्ध वर्ग की ओर से मिशेल को कोई जवाब नहीं दिया गया। अच्छा ही रहा। एक तो स्वयं अपनी वकालात करते तो शायद तथ्यों को उतनी स्वीकार्यता नहीं मिलती जितनी कि जर्मन युवती जेन की कथ्य से मिली है। दूसरा यह कि चलो अच्छा हुआ मिशेल ने अपने अनुभव साझा किए, इससे हमें आत्म चिंतन करने का मौका मिला।
मिशेल की तरह ही जेन वॉन रेबनाउ भी भारत स्टडी टूर पर आई। महीनों भारत के अलग-अलग हिस्सों में रहीं। दर्शन की छात्रा जेन भारत ही नहीं दुनिया के अन्य देशों की सैर भी कर चुकी हैं। जेन लिखती हैं कि वे मिशेल क्रॉस के अनुभवों को कई बार पढ़ चुकी हैं। मेरे लिए भारत के अनुभव सकारात्मक और रोमांचक हैं। भारतीयों के आतिथ्य से मैं काफी प्रभावित हूं। इसके बाद जेन ने अपने ब्लॉग पर मिशेल के अनुभवों का जवाब बिन्दुवार दिया है। वे कहती हैं कि हम आम भारतीयों से अलग दिखते हैं तो स्वाभाविक है कि वे हमें घूरेंगे ही। हम भी तो उन्हें घूरते हैं। वे हमारे फोटो खींचते हैं, मोबाइल में वीडियो बनाते हैं तो इसे हम अपनी निजता का हनन मानते हैं जबकि हम तो उनसे भी अधिक फोटो बिना इजाजत खींचते हैं। फिर इसमें फर्क क्यों? जेन लिखती हैं कि इटली में पुरुष महिलाओं को घूरते हैं तो इसे तारीफ समझा जाता है जबकि भारत में यौन शोषण, यह दोहरा मापदण्ड क्यों? जेन ने इस तरह से मिशेल के तमाम आपत्तियों को सिरे से खारिज किया है। वे भारतीयों की मेहमाननवाजी की कायल हो गईं और तारीफ करते नहीं थकतीं। उनका कहना है कि उनके बाकी दोस्तों के अनुभव भी भारत के संदर्भ में ऐसे ही सकारात्मक हैं। भारतीय संस्कृति से अभिभूत जेन बार-बार भारत आने की इच्छा जाहिर करती हैं। भारत के सकारात्मक पक्ष को दुनिया के सामने रखने के लिए हम भारतवासी उनका धन्यवाद करते हैं। भारत में जेन, उनके दोस्त और मिशेल सहित अन्य विदेशी पर्यटकों, छात्रों का स्वागत है। जरा-सी सावधानी आप बरतें तो भारत सभी के लिए स्वर्ग ही होगा। हम राम-कृष्ण के हामी है, प्रेम में भरोसा करते हैं।
हाल के दिनों में कुछेक बेहद दर्दनाक और शर्मनाक घटनाएं भारत में हुईं। दिल्ली गैंगरेप और मुबंई रेपकाण्ड सहित अन्य घटनाओं ने सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर नारी को देवी के समान आदर देने वाले देश में उसे रौंदा जा रहा है। आखिर देश में चल क्या रहा है? मीडिया से लेकर प्रबुद्ध वर्ग की चिंताओं में भारत की जो छवि सामने आई वह वाकई सोचने वाली थी कि क्या सिर्फ इसी देश में महिलाओं की बदतर स्थिति है? बाकि दुनिया महिलाओं के लिए मुफीद है। अगर हम ऐसा मानते हैं तो यह एक झूठ के सिवा कुछ न होगा। सउदी अरब में महिलाएं अकेली घर के बाहर भी नहीं निकल सकतीं, उनके साथ किसी पुरुष को होना जरूरी है। यहां तक की घर में घुसने-निकलने के लिए महिला-पुरुषों के दरवाजे भी अलग-अलग हैं। तालिबान ने तो महिला शिक्षा की बात कर रही महज १५ साल की बच्ची मलाला यूसुफजई को गोली मार दी थी, उसकी किस्मत थी कि वह बच गई। पाकिस्तान में ९० फीसदी से ज्यादा महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार रहती हैं। माली में भी महिलाओं को घर से बाहर जाने के लिए पुरुष की इजाजत लेनी पड़ती है। सोमालिया भी महिलाओं के लिए एक बुरा देश माना जाता है। माली और सोमालिया में ९० फीसदी महिलाओं के गुप्तांग के अंग-भंग करने की बात सामने आई है। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो को दुनिया की 'रेप की राजधानी' कहा जाता है। यहां महिलाओं का उपयोग युद्ध में भी किया जाता है। इसके अलावा भी कई देश हैं जहां महिलाओं को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ब्राजील, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और न्यूजीलैण्ड में भी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं आम हैं।
दूसरे देशों के हाले-बयां करके यहां इस बात की तरफदारी करने की कोशिश कतई नहीं की जा रही है कि जब सब जगह ऐसा है तो भारत में ऐसी घटनाओं पर चिल्ला-तौबा क्यों? और न ही महिलाओं की अस्मिता पर नजर गड़ाने वाले भेडिय़ों का बचाव किया जा रहा है। बल्कि यह कहने का प्रयास है कि भारत को इसी रूप में पेश न किया जाए, भारत के सकारात्मक पक्षों पर भी बात की जाए। साथ ही महिलाओं के प्रति दुराचार की एक घटना भी न घट सके इसके लिए ठोस काम करने की जरूरत है। भारत दुनिया की श्रेष्ठ सभ्यता और संस्कृतियों के मालिकों में से एक है। भारत के मान को बनाए रखना और उसके गौरव को बढ़ाने की जिम्मेदारी हम सभी भारतीयों के कंधों पर है। पूरी कोशिश इस बात की होनी चाहिए कि देश की ही नहीं विदेश से आने वाली एक भी महिला को अपमानजनक स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा। बाहर से आने वाली प्रत्येक महिला जर्मन छात्रा जेन वॉन रेबनाउ की तरह भारत में मिले मान-सम्मान से अभिभूत होकर जाए और बार-बार यहां की मेहमाननवाजी का लुत्फ उठाने के लिए आती रहे। जब भी भारत का जिक्र चले, वे धन्यवाद भारत कहें और हमें थैंक्स अ लॉट जेन की जगह वेलकम जेन कहने की आदत पड़ जाए।
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मिशेल क्रॉस के अनुभव -
http://aajtak.intoday.in/story/the-india-you-will-ashamed-to-know-us-students-haunting-account-1-740198.html
जेन वॉन रेबनाउ के अनुभव -
http://aajtak.intoday.in/story/india--a-blonde-tourist-an-alternate-account-1-740836.html
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मिशेल क्रॉस के अनुभव -
http://aajtak.intoday.in/story/the-india-you-will-ashamed-to-know-us-students-haunting-account-1-740198.html
जेन वॉन रेबनाउ के अनुभव -
http://aajtak.intoday.in/story/india--a-blonde-tourist-an-alternate-account-1-740836.html
सबकी अपनी दृष्टि,
जवाब देंहटाएंमिली जुली यह सृष्टि है
जाकी रही भावना जैसी...। काश कि ऐसा सकारात्मक दृष्टिकोण हर देशवासी का हो ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जेन!
जवाब देंहटाएंसकारात्मक आलेख !!
जवाब देंहटाएं@ इस तरह के लोग तो सभी देशों में पाए जाते हैं।
जवाब देंहटाएं- हर तरह के लोग हर जगह मिलते हैं लेकिन महिलाओं, बच्चों, अपंगों, निर्धनों के साथ होने वाला दुर्व्यवहार विकसित देशों मे ऐसा व्यापक नहीं है जैसा कि हमारे यहाँ। पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि की हालत शायद हमसे भी बुरी होगी लेकिन हमारे गर्वीले भारत को जहां होना चाहिए उस स्थान से हम आज भी बहुत दूर हैं।
वास्तविकता यह है की भारत मे अभी भी नैतिकता बची हुई है हमे उसकी चिंता करनी है, यह लेख या अनुभव शिक्षा प्रद कहे अथवा सतर्कता ----------! अच्छा संजीदा खोल------!
जवाब देंहटाएंजेन का नजरिया काबिले तारीफ है
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