कौ न बनेगा करोड़पति का छठवां सीजन शुरू हो गया है। तीसरे ही एपिसोड में जम्मू कश्मीर के मनोज कुमार करोड़पति भी बन गए हैं। अमिताभ बच्चन ने केबीसी को और केबीसी ने अमिताभ बच्चन को, दोनों ने एक-दूसरे को नई ऊंचाई पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस बार केबीसी की टैग लाइन लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है। साथ ही एक सकारात्मक संदेश भी दे रही है। 'आपका ज्ञान ही आपको आपका हक दिलाता है' वाकई हॉट सीट पर बैठे व्यक्ति को तो उसका ज्ञान ही रुपया जितवा सकता है। हमारे बड़े-बुजुर्ग भी कहते हैं- 'पढ़-लिख लो बेटा ज्ञान ही तुम्हारे काम आएगा। जमीन, मकान और दुकान सब बंट जाएगा लेकिन बुद्धि का बंटबारा नहीं होता। वह निजी संपत्ति है। सब कुछ छीना जा सकता है, लूटा जा सकता है, हड़पा जा सकता है लेकिन बुद्धि नहीं। बुद्धि के बल पर फिर से सब हासिल किया जा सकता है। ज्ञान है तो जहान है यानी ज्ञान ही आपको आपका हक दिलाता है।' हालांकि यह एक अलग बात है कि केबीसी में हॉट सीट तक पहुंचने के लिए कहीं न कहीं किस्मत कनेक्शन की जरूरत होती है। अब मुझे ही लीजिए इस सीजन में मैंने करीब ५०० रुपए के मैसेज भेजे और हां सभी सही जवाब। लेकिन, हॉट सीट तक पहुंचना तो दूर एक बार पलट कर फोन भी नहीं आया। खैर, छोडि़ए अपनी बात में क्या रखा, कुछ बच्चन साहब की बात की जाए और कुछ केबीसी की।
'आपका ज्ञान ही आपको आपका हक दिलाता है' टैग लाइन का विचार कहां से आया? इस सवाल का जवाब है - सुशील कुमार। याद आया बिहार, मोतीहारी के सुशील कुमार, जिन्होंने पिछले सीजन में पांच करोड़ रुपए की रकम जीती थी। केबीसी के अब तक के इतिहास में इतनी बड़ी रकम कोई नहीं जीत सका। लेकिन, मोतीहारी के एक साधारण शिक्षक ने अपने ज्ञान के बूते पर यह कामयाबी हासिल करके दिखाई। अमिताभ बच्चन मीडिया को बताते हैं कि सुशील कुमार के उदाहरण से ही शो को थीम मिली। यह शो महज एक गेम शो नहीं है बल्कि इसके माध्यम से कहीं न कहीं अमिताभ या कहें शो निर्माता कंपनी सामाजिक मुद्दे भी उठाने की कोशिश करते हैं। बहरहाल, केबीसी-६ के अलग-अलग विज्ञापन कई संदेश देते दिखे। बेटा-बेटी में अंतर न किया जाए। खासकर सबको पढऩे के समान अवसर उपलब्ध कराए जाएं। समाज में अकसर देखने को मिलता है कि लोग सोचते हैं बेटी को पढ़ाने से पैसा जाया हो रहा है क्योंकि कल तो यह ससुराल चली जाएगी। स्त्री इस देश की आधी शक्ति है, उसे उसका अधिकार मिलना ही चाहिए। एक और महत्वपूर्ण विज्ञापन है जो हिन्दी के महत्व को उजागर करता है। विज्ञापन साफ संदेश देता है कि शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होना ही श्रेष्ठता की पहचान नहीं है। एक भारतीय हिन्दी में कहीं अधिक सहजता से ज्ञार्नाजन करता है। ज्ञान किसी भाषा के बंधन में नहीं बंधा। शिक्षा की राष्ट्रीय परिचर्या-२००५ की रूपरेखा में भी इस बात को स्वीकारा गया है कि अपनी भाषा में इंसान बेहतर सीख सकता है। इसलिए हिन्दी को हीनभावना से देखने वाले निरे मूर्ख हैं। हिन्दुस्तान की बिन्दी है हिन्दी। इस बिन्दी पर हमें नाज होना चाहिए। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां विदेशी भाषा को देशी भाषा से अधिक मान सरकारी स्तर पर दिया गया है। अध्ययन-अध्यापन, व्यापार, संवाद और लेखन अंग्रेजी में होता है। जबकि चीन, जापान, इजराइल और ब्रिटेन सहित दुनियाभर के तमाम देशों में वहीं की मूल भाषा में शिक्षा, संवाद से लेकर व्यापार तक होता है। कई बार देशभर में अमिताभ बच्चन की आलोचना होती है कि बच्चन ने देश और समाज को क्या दिया है? बाकी तो मुझे ज्ञात नहीं लेकिन बच्चन ने हिन्दी की बड़ी सेवा की है। शायद ही कोई बॉलीवुड सितारा होगा जो पर्दे के बाहर शुद्ध हिन्दी में बात करता हो। केबीसी के जितने भी सीजन बच्चन ने होस्ट किए हैं सबमें उनकी हिन्दी ने लोगों को खासा आकर्षित किया है।
हिन्दी सिनेमा की १५० से अधिक फिल्मों अभिनय कर चुके अमिताभ बच्चन ११ अक्टूबर को ७० वर्ष को हो जाएंगे। इसके अगले दिन ही केबीसी-६ का १६वां एपिसोड होगा। निश्चित ही यह एपिसोड खास होगा। अमिताभ बच्चन को इस सदी का महानायक कहा जाता है। उनके होनेभर से केबीसी सफलता के शिखर चूम लेता है। केबीसी और बिग बी एक-दूसरे के पर्याय हो गए हैं। अमिताभ केबीसी को होस्ट करने के लिए काफी मेहनत भी करते हैं। केबीसी ही है जिसने लगभग कंगाल हो चुके अमिताभ बच्चन को भी करोड़पति बनाया बल्कि बच्चन की एक नई पारी को शुरुआत दी। और वह अमिताभ बच्चन ही हैं जो केबीसी की सफलता की अनिवार्य शर्त हैं। सभी जानते हैं एक बार शाहरूख खान भी गेम शो होस्ट कर चुके हैं जो बुरी तरह फ्लोप हुआ था। उम्मीद है कि कौन बनेगा करोड़पति-६ सफलता के नए प्रतिमान स्थापित करेगा। हॉट सीट तक पहुंचने वाले के ज्ञान का हक अदा करेगा।
'आपका ज्ञान ही आपको आपका हक दिलाता है' टैग लाइन का विचार कहां से आया? इस सवाल का जवाब है - सुशील कुमार। याद आया बिहार, मोतीहारी के सुशील कुमार, जिन्होंने पिछले सीजन में पांच करोड़ रुपए की रकम जीती थी। केबीसी के अब तक के इतिहास में इतनी बड़ी रकम कोई नहीं जीत सका। लेकिन, मोतीहारी के एक साधारण शिक्षक ने अपने ज्ञान के बूते पर यह कामयाबी हासिल करके दिखाई। अमिताभ बच्चन मीडिया को बताते हैं कि सुशील कुमार के उदाहरण से ही शो को थीम मिली। यह शो महज एक गेम शो नहीं है बल्कि इसके माध्यम से कहीं न कहीं अमिताभ या कहें शो निर्माता कंपनी सामाजिक मुद्दे भी उठाने की कोशिश करते हैं। बहरहाल, केबीसी-६ के अलग-अलग विज्ञापन कई संदेश देते दिखे। बेटा-बेटी में अंतर न किया जाए। खासकर सबको पढऩे के समान अवसर उपलब्ध कराए जाएं। समाज में अकसर देखने को मिलता है कि लोग सोचते हैं बेटी को पढ़ाने से पैसा जाया हो रहा है क्योंकि कल तो यह ससुराल चली जाएगी। स्त्री इस देश की आधी शक्ति है, उसे उसका अधिकार मिलना ही चाहिए। एक और महत्वपूर्ण विज्ञापन है जो हिन्दी के महत्व को उजागर करता है। विज्ञापन साफ संदेश देता है कि शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होना ही श्रेष्ठता की पहचान नहीं है। एक भारतीय हिन्दी में कहीं अधिक सहजता से ज्ञार्नाजन करता है। ज्ञान किसी भाषा के बंधन में नहीं बंधा। शिक्षा की राष्ट्रीय परिचर्या-२००५ की रूपरेखा में भी इस बात को स्वीकारा गया है कि अपनी भाषा में इंसान बेहतर सीख सकता है। इसलिए हिन्दी को हीनभावना से देखने वाले निरे मूर्ख हैं। हिन्दुस्तान की बिन्दी है हिन्दी। इस बिन्दी पर हमें नाज होना चाहिए। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां विदेशी भाषा को देशी भाषा से अधिक मान सरकारी स्तर पर दिया गया है। अध्ययन-अध्यापन, व्यापार, संवाद और लेखन अंग्रेजी में होता है। जबकि चीन, जापान, इजराइल और ब्रिटेन सहित दुनियाभर के तमाम देशों में वहीं की मूल भाषा में शिक्षा, संवाद से लेकर व्यापार तक होता है। कई बार देशभर में अमिताभ बच्चन की आलोचना होती है कि बच्चन ने देश और समाज को क्या दिया है? बाकी तो मुझे ज्ञात नहीं लेकिन बच्चन ने हिन्दी की बड़ी सेवा की है। शायद ही कोई बॉलीवुड सितारा होगा जो पर्दे के बाहर शुद्ध हिन्दी में बात करता हो। केबीसी के जितने भी सीजन बच्चन ने होस्ट किए हैं सबमें उनकी हिन्दी ने लोगों को खासा आकर्षित किया है।
हिन्दी सिनेमा की १५० से अधिक फिल्मों अभिनय कर चुके अमिताभ बच्चन ११ अक्टूबर को ७० वर्ष को हो जाएंगे। इसके अगले दिन ही केबीसी-६ का १६वां एपिसोड होगा। निश्चित ही यह एपिसोड खास होगा। अमिताभ बच्चन को इस सदी का महानायक कहा जाता है। उनके होनेभर से केबीसी सफलता के शिखर चूम लेता है। केबीसी और बिग बी एक-दूसरे के पर्याय हो गए हैं। अमिताभ केबीसी को होस्ट करने के लिए काफी मेहनत भी करते हैं। केबीसी ही है जिसने लगभग कंगाल हो चुके अमिताभ बच्चन को भी करोड़पति बनाया बल्कि बच्चन की एक नई पारी को शुरुआत दी। और वह अमिताभ बच्चन ही हैं जो केबीसी की सफलता की अनिवार्य शर्त हैं। सभी जानते हैं एक बार शाहरूख खान भी गेम शो होस्ट कर चुके हैं जो बुरी तरह फ्लोप हुआ था। उम्मीद है कि कौन बनेगा करोड़पति-६ सफलता के नए प्रतिमान स्थापित करेगा। हॉट सीट तक पहुंचने वाले के ज्ञान का हक अदा करेगा।
बहुत बढ़िया ||
जवाब देंहटाएंअमिताभ जी सदी के महानायक हैं, उनका व्यक्तित्व बेहद ही ग्रेसफुल है ! Fortunate are they those who get a chance to talk to him through this show. He is a very modest person.
जवाब देंहटाएंके बी सी जितना देखो अमिताभ जी का नशा उतना बढ़ता है....शिखर पर खडा आदमी किस कदर डाउन टू अर्थ हो सकता है ये अमिताभ जी सिखाते हैं....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शो....सलाम अमित जी को.
बढ़िया पोस्ट.
अनु
आलोचनाओं का क्या है..आँख कान बंद करके होती हैं. पर प्रतिभा कभी छिपती नहीं, और काबिल व्यक्ति कभी रुकता नहीं.
जवाब देंहटाएंअमिताभ बच्चन का कोई मुकाबला ही नहीं है.
बहुत सूक्ष्मता से नोट किया है आपने इस छिपे सन्देश को ...
जवाब देंहटाएंये अमिताभ जी का जादू भी है तो विषय को सब तक पहुंचाता भी है ...
सही कहा । अमिताभ फिल्म-जगत के 'अमिताभ' तो हैं ही ,हिन्दी के कारण वे हमारे बेहद सम्माननीय व्यक्ति भी हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंशिखा जी कि बात से 100% प्रतिशत सहमत हूँ अमिताभ ,अमिताभ ही है उन जैसा न कोई हुआ है और ना ही कभी होगा ... :-)
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