गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

राष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी एक से दिखे बाबा को

राहुल चले दिग्विजय के नक्शेकदम पर, कहा संघ और सिमी एक जैसे

रा हुल 'बाबा' ने बुधवार को मध्यप्रदेश के प्रवास पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और सिमी की तुलना करते हुए दोनों को एक समान ठहरा दिया। हर किसी को राहुल की बुद्धि पर तरस आ रहा है। जाहिर है मुझे भी आ रहा है। उनके बयान को सुनकर लगा वाकई बाबा विदेश से पढ़कर आए हैं, उन्होंने देश का इतिहास अभी ठीक से नहीं पढ़ा। उन्हें थोड़ा आराम करना चाहिए और ढंग से भारत के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए।  या फिर लगता है कि अपनी मां की तरह उनकी भी हिन्दी बहुत खराब है। राष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी में अंतर नहीं समझ पाए होंगे। अक्टूबर एक से तीन तक मैं भोपाल प्रवास पर था। उसी दौरान भाजपा के एक कार्यकर्ता से राहुल को लेकर बातचीत हुई। मैंने उनसे कहा कि वे पश्चिम बंगाल गए थे, वहां उन्होंने वामपंथियों का झंड़ा उखाडऩे की बात कही। कहा कि वामपंथियों ने बंगाल की जनता को धोखे में रखा। लम्बे समय से उनका एकछत्र शासन बंगाल में है, लेकिन उन्होंने बंगाल में कलकत्ता के अलावा कहीं विकास नहीं किया। तब वामपंथियों ने बाबा को करारा जवाब दिया कि राहुल के खानदान ने तो भारत में वर्षों से शासन किया है। उनका खानदान भारत तो क्या एक दिल्ली को भी नहीं चमका पाए। इस पर राहुल दुम दबाए घिघयाने से दिखे, उनसे इसका जवाब देते न बना। अब राहुल मध्यप्रदेश में आ रहे हैं। तब उन भाजपा कार्यकर्ता ने कहा आपको क्या लगता है वह यहां कुछ उल्टा-पुल्टा बयान जारी करके नहीं जाएंगे। मैंने कहा बयान जारी करना ही तो राजनीति है, लेकिन मैंने राहुल से इस बयान की कल्पना भी नहीं की थी।
    संघ मेरे अध्ययन का प्रिय विषय रहा है। आज तक मुझे संघ और सिमी में कोई समानता नहीं दिखी। इससे पूर्व एक पोस्ट में मैंने लिखा था कि ग्वालियर में संघ की शाखाओं में मुस्लिम युवा और बच्चे आते हैं। इसके अलावा संघ के पथ संचलन पर मुस्लिम बंधु फूल भी बरसाते हैं। इससे तात्पर्य है कि संघ कट्टरवादी या मुस्लिम विरोधी नहीं है। राहुल के बयान से तो यह भी लगता है कि उन्हें इस बात की भी जानकारी न होगी कि संघ के नेतृत्व में एक राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच का गठन भी किया गया है। जिससे हजारों राष्ट्रवादी मुस्लिमों का जुड़ाव है। जबकि सिमी के साथ यह सब नहीं है। वह स्पष्टतौर पर इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन है। जो इस्लामिक मत के प्रचार-प्रसार की आड़ में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है। ऐसे में वैचारिक स्तर पर भी कैसे संघ और सिमी राहुल को एक जैसे लगे यह समझ से परे है।

    राहुल बाबा से पूर्व संघ पर निशाना साधने के लिए उन्होंने एक बंदे को तैनात किया हुआ है। संघ आतंकवादी संगठन है, उसके कार्यालयों में बम बनते हैं, पिस्टल और कट्टे बनते हैं। इस तरह के बयान देने के लिए कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह की नियुक्ति की हुई है। इसलिए संघ की इस तरह से व्याख्या अन्य कांग्रेसी कभी नहीं करते। बाबा ने यह कमाल कर दिखाया। बाबा ने यह बयान भोपाल में दिया। मुझे एक शंका है। कहीं दिग्विजय सिंह ने अपना भाषण उन्हें तो नहीं रटा दिया। क्योंकि जब राहुल के बयान की चौतरफा निंदा हुई तो उनके बचाव में सबसे पहले दिग्विजय ही कूदे। खैर जो भी हुआ हो। यह तो साफ हो गया कि राहुल की समझ और विचार शक्ति अभी कमजोर है। वे अक्सर भाषण देते समय अपने परिवार की गौरव गाथा सुनाते रहते हैं। मेरे पिता ने फलां काम कराया, फलां विचार दिया। इस बार उन्होंने यह नहीं कहा कि जिस संघ को वे सिमी जैसा बता रहे हैं। उनके ही खानदान के पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संघ को राष्ट्रवादी संगठन मानते हुए कई मौकों पर आमंत्रित किया। 1962 में चीनी आक्रमण में संघ ने सेना और सरकारी तंत्र की जिस तरह मदद की उससे प्रभावित होकर पंडित नेहरू ने 26 जनवरी 1963 के गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मिलित होने के लिए संघ को आमंत्रित किया और उनके आमंत्रण पर संघ के 300 स्वयं सेवकों ने पूर्ण गणवेश में दिल्ली परेड में भाग लिया। कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा विरोध होने पर नेहरू ने कहा था कि उन्होंने देशभक्त नागरिकों को परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। अर्थात् नेहरू की नजरों में संघ देशभक्त है और राहुल की नजरों में आतंकवादी संगठन सिमी जैसा। इनके परिवार की भी बात छोड़ दें तो इस देश के महान नेताओं ने संघ के प्रति पूर्ण निष्ठा जताई है। उन नेताओं के आगे आज के ये नेता जो संघ के संबंध में अनर्गल बयान जारी करते हैं बिल्ली का गू भी नहीं है।
    1965 में पाकिस्तान ने आक्रमण किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री व प्रात: पूज्य लाल बहादुर शास्त्री जी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। जिसमें संघ के सर संघचालक श्री गुरुजी को टेलीफोन कर आमंत्रित किया। पाकिस्तान के साथ 22 दिन युद्ध चला। इस दौरान दिल्ली में यातायात नियंत्रण का सारा काम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को सौंपा गया। इतना ही नहीं जब भी आवश्यकता पड़ती दिल्ली सरकार तुरंत संघ कार्यालय फोन करती थी। युद्ध आरंभ होने के दिन से स्वयं सेवक प्रतिदिन दिल्ली अस्पताल जाते और घायल सैनिकों की सेवा करते व रक्तदान करते। यह संघ की देश भक्ति का उदाहरण है।
    1934 में जब प्रात: स्मरणीय गांधी जी वर्धा में 1500 स्वयं सेवकों का शिविर देखने पहुंचे तो उन्हें यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि अश्पृश्यता का विचार रखना तो दूर वे एक-दूसरे की जाति तक नहीं जानते। इस घटना को उल्लेख गांधी जी जब-तब करते रहे। 1939 में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर पूना में संघ शिक्षा वर्ग देखने पहुंचे। वहां उन्होंने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (संघ के स्थापक) से पूछा कि क्या शिविर में कोई अस्पृश्य भी है तो उत्तर मिला कि शिविर में न तो 'स्पृश्य' है और न ही 'अस्पृश्य'। यह उदाहरण है सामाजिक समरसता के। जो संघ के प्रयासों से संभव हुआ।
    वैसे सिमी की वकालात तो इटालियन मैम यानि राहुल बाबा की माताजी सोनिया गांधी भी कर चुकी हैं। मार्च 2002 और जून 2002 में संसद में भाषण देते हुए सोनिया गांधी ने सिमी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एनडीए सरकार के कदम का जोरदार विरोध किया। सोनिया की वकालात के बाद कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने 2005 में प्रतिबंध की अवधि बीत जाने के बाद चुप्पी साध ली, लेकिन उसे फरवरी 2006 में फिर से प्रतिबंध लगाना पड़ा। इसी कांग्रेस की महाराष्ट्र सरकार ने 11 जुलाई 2006 को हुए मुंबई धमाकों में सिमी का हाथ माना और करीब 200 सिमी के आतंकियों को गिरफ्तार किया। सिमी के कार्यकर्ताओं को समय-समय पर राष्ट्रविरोधी हिंसक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है।
क्या है सिमी
    स्टूडेन्ट्स इस्लामिक मूवमेन्ट ऑफ इण्डिया (सिमी) की स्थापना 1977 में अमरीका के एक विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त प्राध्यापक मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दीकी ने की थी। वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता और जनसंचार में प्राध्यापक था। सिमी हिंसक घटनाओं तथा मुस्लिम युवाओं की जिंदगी बर्बाद करने वाला धार्मिक कटट्रता को पोषित करने वाला गिरोह है। संगठन की स्थापना का उद्देश्य इस्लाम का प्रचार-प्रसार करना बतलाया गया। लेकिन इसकी आड़ में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया गया।
दुनिया भर के आतंकी संगठनों से मिलती रही सिमी को मदद-
-वल्र्ड असेम्बल ऑफ मुस्लिम यूथ, रियाद
  • इंटरनेशनल इस्लामिक फेडरेशन ऑफ स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन, कुवैत
  • जमात-ए-इस्लाम, पाकिस्तान
  • इस्लामी छात्र शिविर, बांग्लादेश
  • हिज उल मुजाहिदीन
  • आईएसआई, पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था
  • लश्कर-ए-तोएयबा
  • जैश-ए-मोहम्मद
  • हरकत उल जेहाद अल इस्लाम, बांग्लादेश

12 टिप्‍पणियां:

  1. लोकेंद्र जी, इस विषय पर तो कुछ कहना सम्भव नहीं होगा... इस विषय पर अध्ययन नहीं किया है मैंने!!

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  2. बहुत अच्छा लिखा है भाई। बधाई। कई बातें आपके ब्लॉग के माध्यम से मिल ही जाती हैं।
    राहुल पर क्या कहूं। हर ओर उनकी थू-थू हो रही है। ये लड़का जोश में होश खो बैठता है। पता नहीं क्या अंट संट बकता रहता है। मुझे तो कभी कीाी डर लगता है कि कहीं ये प्रधानमंत्री बन गया तो क्या होगा।
    ये लड़का दुनिया बदलने की बात करता है पर अपना घर नहीं देखता। अब क्या कहूं मैं। मुझे शर्म आई उसके इस बयान पर। मैंने भी इसी विषय पर कुछ लिखा है। समय मिले तो आइएगा।
    लिंक है - http://udbhavna.blogspot.com/

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  3. लोकेन्द्र जी ----क्यों लिख रहे है इसके बारे में आखिर अपना खून रंग दिखाई ही देता है----- ये बंश किसका है , भारत को समझाने क़े लिए भारतीय आत्मा की जरुरत है न की इटली या रोम की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तो भारत की आत्मा है ---- हाथी जा रही है कुत्ते भूक रहे है .

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  4. " karara aalekh ..magar lokendra bhai ... ye " yuvraj " to pagal hai ..kahete hai varun gandhi ko tanij nahi bolne ki ...to ye rahul baba ko to tamij ke saath saath dimag bhi to nahi ..."

    badhai

    ---- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

    is post ko padhana

    राहुल गाँधी याने .. सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली |
    http://eksacchai.blogspot.com/2010/10/blog-post_07.html#links

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  5. .

    Rahul is still immature. I hope he will learn from his mistakes.

    .

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  6. वाह ! बहुत बढ़िया! शानदार पोस्ट!

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  7. dhanyawad .bhai. yeh rahul pagal hai.is par rape ka kesh darz hai ,iss baare facebook par tammam link hai, mujhe iske bare me koi sahi satik jaankari nahi hai ,appko maaloom ho , tow app apne blog par likhe.

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  8. महाराज हरिसिंह के प्रस्ताव के आधार पर भारत मे कश्मीर का विलय पूर्ण होने के बाद भी संविधान के अनुच्छेद-३७० के अन्तर्गत कश्मीर को अन्य राज्यों की अपेक्षा विशेष दर्जा दिया गया। देश में जहां दो संविधान- दो प्रधान की व्यवस्था लागू की गयी।
    पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री, तो उनके परमप्रिय शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री कहलाते थे।

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  9. पंडित जवाहर लाल नेहरू की भारत के प्रति की गयी इस भयंकरतम भूल का परिणाम देश आज तक भुगत रहा है । जम्मू कश्मीर के राजनीतिज्ञों के आग झुककर भारत सरकार ने धारा-३७० की व्यवस्था वहां के नागरिकों के आर्थिक और संपत्ति से जुड़े हितो की सुरक्षा के नाम पर लागू की थी।
    जिसका जमकर दुरूपयोग किया गया। कश्मीर के पंडितों को दहशतगर्दो ने जिस तरह जम्मू कश्मीर से खदेड़ा है और केवल मुसलमानों के लिए कश्मीर की सोची समझी रणनीति को अंजाम दिया है।

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  10. जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भारत की सरकारों ने क्या खोया ? क्या पाया ? इस पर सारी सियासत की बोलती बंद हो जाती है बस बंद नही होते तो उन माताओं-बहनों, पिताओं एवं भाईयों के आँसू जिनके लाडलो ने जम्मू कश्मीर ने भारत माता की इज्जत के लिए लड़ते-लड़ते अपने प्राण देश को समर्पित कर दिए।

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  11. 1- १०० करोड से अधिक की आबादी वाले सबसे बडे लोकतंत्र के मान सम्मान पर पाकिस्तान रोज कालिख पोत रहा है । इधर अपने देश में भारत २०२० में विश्व की सबसे बडी आर्थिक महाशक्ति बनेगा सत्ता के शेखचिल्ली यह सुनहरा ख्वाब दिखाने में मस्त है। भारतीय जनता पार्टी एवं कुछ अन्य राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थकों ने कभी धारा-३७० के मुद्दे पर देश में जागृती लाने का प्रयास किया था किन्तु सत्ता में रह कर गठबंधन की बैसाखी व अपनी रजनीतिक मजबूरी के कारण वह भी कुछ खास नही कर सकी। कश्मीर समस्या का भारत के पक्ष में स्थाई समाधान केवल धारा-३७० की समाप्ति, कश्मीर में पीडितों के पुर्नवास, देश के लोगों के लिए जम्मू कश्मीर को शेष भारत की तरह संवैधानिक अधिकार के दायरे में लाने पर ही आ सकता है।

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