शनिवार, 2 नवंबर 2019

भाषाई पत्रकारिता पर संदर्भ सामग्री से भरपूर मीडिया विमर्श का 'मलयालम मीडिया विशेषांक'

भारतीय भाषाओं के सम्मान का अनुष्ठान


यूँ तो मीडिया विमर्श का हर अंक ही विशेष होता है। हर अंक पठनीय और संदर्भ सामग्री से भरा पड़ा संग्रहणीय। कई ऐसे विषयों पर भी मीडिया विमर्श ने विशेषांक निकाले हैं, जिनकी मीडिया में भी अत्यंत कम चर्चा होती है और होती भी है तो वही पुराने किस्से/तथ्यों के साथ, नया कुछ नहीं होता। मीडिया विमर्श उन विषयों को नए तथ्यों के साथ हम सबके सामने लेकर आया है।
          बहरहाल, भारतीय भाषायी पत्रकारिता के यशस्वी योगदान को रेखांकित करने में भी 'मीडिया विमर्श' अग्रणी और महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। अभी जो अंक (दिसम्बर, 2019) आ रहा है, वह 'मलयालम भाषा की पत्रकारिता' पर केंद्रित है। अतिथि संपादक डॉ. सी. जयशंकर बाबु (पांडिचेरी) ने 'मलयालम मीडिया विशेषांक' का संपादन किया है। निश्चित तौर पर मीडिया विमर्श का यह अंक अध्ययनशील पत्रकारों, पत्रकारिता के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण होगा। इससे पूर्व डॉ. सी. जयशंकर बाबु ने मीडिया विमर्श के 'तेलुगु मीडिया विशेषांक' का बखूबी संपादन किया था। उनके उस संपादन से हम कल्पना कर सकते हैं कि मलयालम भाषा पर केन्द्रित यह अंक भी अच्छा बन पड़ा होगा।
          उल्लेखनीय है कि 'भारतीय भाषायी पत्रकारिता' के विस्तार को रेखांकित करने के अपने महत्वपूर्ण प्रयासों में मीडिया विमर्श इससे पूर्व उर्दू पत्रकारिता, गुजराती पत्रकारिता और तेलुगु पत्रकारिता पर विशेषांक प्रकाशित कर चुका है। हिंदी पत्रकारिता पर तो उसका हर अंक उपयोगी सामग्री लेकर आता है। मलयालम चौथी भारतीय भाषा है, जिस पर 'मीडिया विमर्श' पत्रिका का नया अंक आया है। इन सब यशस्वी प्रयासों के पीछे मीडिया गुरु प्रो. संजय द्विवेदी हैं, जो मीडिया विमर्श के कार्यकारी संपादक भी हैं।

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