गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक नौजवान की हत्या इसलिए कर देना कि वह तिरंगा लेकर वंदेमातरम का जयघोष कर रहा था, भारत में दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। सहसा विश्वास ही नहीं होता कि यह घटना हिंदुस्थान में हुई है। स्थान का उल्लेख किये बिना यदि घटना का वर्णन किया जाए तो यही लगेगा कि यह घटना पाकिस्तान में हुई होगी। घटना इस प्रकार है- उत्तरप्रदेश के कासगंज जिले में गणतंत्र दिवस पर स्थानीय युवकों ने तिरंगा यात्रा का आयोजन किया था। जब तिरंगा यात्रा कासगंज के मुस्लिम बाहुल्य मोहल्ले से गुजर रही थी, तो भारत माता की जय और वंदेमातरम के जयघोष लगाने पर समुदाय विशेष के लोगों ने तिरंगा यात्रा पर पथराव और गोलीबारी कर दी। गोली लगने से अभिषेक गुप्ता (चंदन) नाम के नौजवान की मौत हो गई। समुदाय विशेष की उग्र भीड़ ने पूरी रैली को घेर लिया। युवकों को अपनी जान बचाने के लिए मोटरसाइकलें छोड़कर भागना पड़ा। भीड़ ने उन मोटरसाइकलों को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना के बाद हिंदू समाज ने भी आक्रोश व्यक्त किया है।
सोमवार, 29 जनवरी 2018
शुक्रवार, 26 जनवरी 2018
क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार
आज देवज्ञ के
विद्यालय में एक प्रतियोगिता का आयोजन था, जिसमें बच्चों को महान क्रांतिकारी/स्वतंत्रता
सेनानी की वेशभूषा में शामिल होना था। देवज्ञ ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का रूप
धर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और द्वितीय स्थान भी प्राप्त किया। देवज्ञ ने आठ
वर्षीय केशव के उस प्रसंग को भी प्रस्तुत किया, जिसमें उत्कट देशभक्ति की भावना प्रकट
होती है।
यह प्रसंग 22 जून, 1897 का
है। ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के राज्यारोहण के 60 वर्ष
पूरे होने पर पूरे भारत में जश्न मनाया जा रहा था। केशव के स्कूल में भी मिठाई
बांटी गई, किन्तु उन्होंने अपने हिस्से की मिठाई फेंकते हुए कहा-
"मैं यह मिठाई नहीं
खा सकता। क्योंकि, विक्टोरिया हमारी महारानी नहीं।"
जब
यह वाक्य देवज्ञ ने अपने विद्यालय में मंच से दोहराया तो परिसर तालियों की गड़गड़ाहट
से गूँज उठा। इससे पूर्व जब वह बालक केशव हेडगेवार के रूप में विद्यालय पहुंचा था तब
कोई यह नहीं पहचान सका था कि वह किस क्रांतिकारी/स्वतंत्रता सेनानी के भेष में आया
है। परन्तु, जब उसने भाव-भंगिमा बनाते हुए मंच से कहा-
"मैं केशव बलिराम हेडगेवार हूँ। मैं यह मिठाई
नहीं खा सकता (मिठाई फेंकने का अभिनय करते हुए)। क्योंकि, विक्टोरिया हमारी
महारानी नहीं। हमें अपने इस देश को अंग्रेजों से मुक्त कराना है। भारत माता की जय।"
देवज्ञ के इस अति संक्षिप्त अभिनय के बाद
विद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक एवं पहले सरसंघचालक डॉ. केशव
बलिराम हेडगेवार चर्चा को जानने की उत्सुकता शिक्षकों एवं अन्य लोगों में बढ़ गई।
जब उसकी शिक्षिका ने पूछा कि कौन थे, डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार? तब देवज्ञ ने एक
पर्चा अपनी जेब से निकला और उन्हें दे दिया, जिस पर मैंने उनके परिचय में दस
पंक्तियाँ ही लिखीं थीं।
बुधवार, 17 जनवरी 2018
भारतीयता की प्रचारक हैं प्रार्थनाएं
देश के लगभग एक हजार केंद्रीय विद्यालयों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को संस्कृत और हिंदी में प्रार्थना कराई जाती हैं। वर्षों से यह प्रार्थनाएं हो रही हैं। परंतु, आज तक देश में कभी विद्यालयों में होने वाली प्रार्थनाओं पर विवाद नहीं हुआ। कभी किसी को ऐसा नहीं लगा कि प्रार्थनाओं से किसी धर्म विशेष का प्रचार होता है। न ही कभी किसी को यह लगा कि इन प्रार्थनाओं से संविधान की अवमानना हो रही है। यहाँ तक कि केंद्रीय विद्यालय में पढऩे वाले मुस्लिम और ईसाई विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों ने भी कभी प्रार्थनाओं पर आपत्ति दर्ज नहीं कराई। विद्यालय में पढ़ाने वाले मुस्लिम और ईसाई शिक्षकों को भी कभी ऐसा नहीं लगा कि प्रार्थनाएं किसी धर्म का प्रचार कर रही हैं। किन्तु, अब अचानक से एक व्यक्ति (निश्चित तौर पर उसके साथ भारत विरोधी विचारधारा होगी) को यह प्रार्थनाएं असंवैधानिक दिखाई देने लगी हैं। विनायक शाह नाम के मूढ़ व्यक्ति ने याचिका दाखिल कर कहा है कि केंद्रीय विद्यालयों में 1964 से हिंदी-संस्कृत में सुबह की प्रार्थना हो रही हैं, जो कि पूरी तरह असंवैधानिक हैं। याचिकाकर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के विरुद्ध बताते हुए कहा है कि इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है। एक ओर न्यायालय में अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे सुनवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं, वहीं माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 'प्रार्थनाओं' को संवैधानिक मुद्दा मान कर उक्त याचिका पर विचार करना आवश्यक समझ लिया है। बड़ी तत्परता दिखाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालय संगठन से इस संबंध में जवाब माँगा है।
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