व्या वसायिक पत्रकारिता में रहकर निरन्तर करुणा, बुद्धि और विवेक के चिन्तन की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। आधुनिकरण के नाम पर जब देश-समाज अपना 'स्व-भाव' खो रहा है तब गुलाब कोठारी अपने नियमित स्तम्भ 'स्पंदन' और 'मानस' में लगातार भारतीय मूल्यों, परंपराओं और संस्कृति के संरक्षक के तौर पर निरन्तर लिखते हैं। अपनी लेखनी के साथ ही अपने कर्म-वचन से भी वे भारतीय संस्कृति के पैरोकार, अग्रदूत और हितचिंतक के रूप में दिखते हैं। उनकी संवेदनशीलता को पौत्री 'आद्या' को सम्बोधित करते हुए लिखी गईं कविताओं में अनुभूत किया जा सकता है। देश के शीर्ष दस समाचार-पत्र समूहों में शामिल 'राजस्थान पत्रिका समूह' के मालिक और प्रधान संपादक श्री कोठारी इतने सहज हैं कि किसानों के हित में सड़क पर उतर गए। मध्यप्रदेश भाजपा और भारतीय किसान संघ में जब संघर्ष हुआ तो समझौते के लिए गुलाब कोठारी ने प्रभावी भूमिका निभाई थी। राजस्थान पत्रिका समूह एक परिवार की तरह है और गुलाब कोठारी उसके मुखिया हैं। इस परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्य श्री कोठारी को 'बड़े भाईसाहब' कहकर सम्बोधित करते हैं। मालिक और कर्मचारी का संबंध कहीं गौण हो जाता है।
आजादी के दो बरस बाद 6 जनवरी, 1949 को जन्मे गुलाब कोठारी भारत के स्वाभिमान को देश-दुनिया में बढ़ा रहे हैं। आम आदमी के जीवन में नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए गुलजारीलाल नंदा फाउण्डेशन उन्हें नैतिक सम्मान-2006 से नवाज चुका है। जबकि तिरुपति (आंध्रप्रदेश) स्थित ब्रह्मचारी आश्रम के आचार्य गुरुजी गुरुवानंदजी ने वर्ष 2007 में उन्हें राष्ट्र गौरव अवार्ड से सम्मानित किया। देश में जितना प्यार और सम्मान गुलाब कोठारी को मिलता है उतना ही मान उन्हें देश के बाहर भी मिलता है। इटली की ओकीदो जिक्कोकई मिक्यो योगा संस्थान उन्हें सम्मानित कर चुका है। नीदरलैण्ड की इंटरकल्चरल ओपन यूनिवर्सिटी ने 'समाचार-पत्र का प्रबंधन' विषय पर पीएचडी करने वाले गुलाब कोठारी को 2002 में यही यूनिवर्सिटी 'दर्शनशास्त्र' में डीलिट की मानद उपाधि से नवाजती है। एक खास बात का जिक्र करना बेहद जरूरी है, जिससे हिन्दी और हिन्दी पत्रकारिता में उनके महत्वपूर्ण योगदान की तस्वीर सबके सामने आती है। गुलाब कोठारी की पहचान राजस्थान पत्रिका समूह के मालिक से अधिक एक सम्मानित पत्रकार और लेखक के रूप में है। गुलाब कोठारी की लिखी गईं पुस्तकें आम आदमी और समाज को तनाव भरे आज के जीवन में खुशियों के साथ संतुलित जीवन जीने की राह दिखाती हैं। वैदिक परम्पराओं की हामी भरती हैं।
जिस दौर में पत्रकारिता मिशन को मीलों पीछे छोड़कर प्रोफेशन हो गई है। प्रोफेशन से भी आगे आकर मीडिया इडस्ट्री हो गई है तब मूल्य आधारित पत्रकारिता के प्रतिमान स्थापित कर रहे गुलाब कोठारी दरअसल राजस्थान पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चंन्द्र कुलिश की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
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"गुलाब कोठारी ने स्वतंत्रचेता, मौलिक एवं प्रबुद्ध विचारक-पत्रकार के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित की है। उनका समस्त लेखन अध्यात्म और आधुनिक जीवन मूल्यों से अनुप्रमाणित है। सामाजिक सरोकारों से जुड़े उनके पत्रकार कर्म ने कभी बाजारवादी ताकतों से समझौता नहीं किया।"
- संजीव भानावत, मीडिया शिक्षक एवं लेखक- जनसंचार के सरोकारों पर केन्द्रित त्रैमासिक पत्रिका "मीडिया विमर्श" में प्रकाशित आलेख।
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