गुरुवार, 18 नवंबर 2010

...यूं तो बहुत बोलते हैं 'मन'

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, मनमोहन मौन
 भा रत के प्रधानमंत्री 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर ऐसे चुप हैं जैसे गुड़ खाए बैठे हों। मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रधानमंत्री और पीएमओ पर टिप्पणी कर जवाब मांगा है। खैर कोई भी जवाब मांगे हमारे पीएम मनमोहन तो अपने मन की भी नहीं सुनते वे तो सिर्फ और सिर्फ अपनी सुपर बॉस सोनिया गांधी की ही सुनते हैं। उनका इशारा जब तक नहीं होगा वे यूं ही मुंह में गुड़  दबाए बैठे रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट जवाब मांगे, विपक्ष चीखे-चिल्लाए और चाहे तो जनता भी हिसाब मांगे, मनमोहन नहीं बोलने वाले। आपको यहां बता दूं पीएम मनमोहन यूं चुप नहीं रहते। वे बहुत बोलते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर आज चुप, तब जोर से बोले थे
    कुछ माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी गोदामों में सड़ रहे गेहूं को गरीब जनता में बांटने के लिए सरकार को आदेश दिया था। यही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जो 2 जी स्पेक्ट्रम घोटले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर खामोश बैठे हैं, तब सुप्रीम कोर्ट को नसीहत दे रहे थे कि उसे नीति निर्धारण के मामलों में नहीं पडऩा चाहिए। सरकार के मामले में दखल देने की बजाय अपने कामों पर कोर्ट को ध्यान देना चाहिए।
मनमोहन की टोपी में खरगोश
    भारत के स्वर्ग कश्मीर को अलगाववादियों ने नरक बना रखा है। बीते कुछ समय से कश्मीर में खूब उत्पात मचाया जा रहा है। सब ओर से कश्मीर समस्या के समाधान की बात उठ रही थी, तब भी पीएम बोले। क्या बोले इस पर गौर करें- 'कश्मीर समस्या को लेकर देश को धैर्य दिखाना होगा। 63 वर्षों से इस समस्या का हल निकालने का प्रयास हो रहा है। इस समय मेरे हाथ में कोई समाधान नहीं, हम प्रयत्न कर रहे हैं। टोपी से खरगोश निकालना संभव नहीं।' कश्मीर समस्या के समाधान पर जनता को देश के प्रधानमंत्री से किसी उचित जवाब की आस थी तब हमारे पीएम ने जवाब तो दिया, लेकिन किस स्तर का।
मैं कोई जादूगर या भविष्यवक्ता तो नहीं
    भारत की गरीब और मध्यमवर्ग को इस सरकार ने कुछ दिया है तो वह है बेतहाशा बढ़ती महंगाई। महंगाई डायन से पीडि़त जनता ने जब-जब सरकार से पूछा कि उसे बढ़ती महंगाई से कब राहत मिलेगी। तब-तब पीएम मनमोहन ने जिम्मेदार बयान देने की बजाय जनता के सवाल की तौहीन की। महंगाई कब कम होगी इस सवाल पर उन्होंने आश्चर्य भरे जवाब दिया। कभी उन्होंने कहा कि मेरे पास कोई जादू की छड़ी तो है नहीं कि छड़ी घुमाओ और महंगाई कम। कभी कहा कि मैं कोई भविष्यवक्ता भी नहीं कि बता दूं कब महंगाई कम होगी। देश के ईमानदार छवि वाले प्रधानमंत्री और विख्यात अर्थशास्त्री जनता के सबसे बड़े सवाल का जवाब इस तरह देते हैं।
    मुझे और देश की जनता को आश्चर्य हो रहा है कि इतने बड़बोले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह घोटाले पर क्यों चुप हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है तब भी शांत है, आखिर बात क्या है? इसका पता तो तभी चलेगा जब तक हमारे-तुम्हारे 'मन' बोलेंगे नहीं। सुप्रीम कोर्ट के बाद विपक्ष ने भी प्रधानमंत्री को घेरने की तैयारी कर ली है। भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री और पीएमओ पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को आजाद भारत के इतिहास में शर्मनाक करार दिया है। वहीं उन्होंने भ्रष्ट्राचार पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर आश्चर्य व्यक्त किया है। माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि मनमोहन को सारे मामले की जानकारी 2008 से थी। इतना ही नहीं येचुरी ने और राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने भी प्रधानमंत्री को कई बार पत्र लिखा था। वहीं जनता पार्टी के सुब्रमण्यम स्वामी तो लगातार मामले की जांच के लिए प्रधानमंत्री से अनुरोध करते रहे, लेकिन मनमोहन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी, क्यों? इसके अलावा भाजपा नेता और पत्रकार अरुण शौरी ने एक टीवी चैनल पर खुलासा करते हुए कहा कि सीबीआई को 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की पूरी जानकारी है। सीबीआई को पता है कि घोटाले का पैसा संभालने वाला शख्स कौन है, लेकिन सीबीआई उससे पूछताछ क्यों नहीं कर रही, इस पर उन्होंने भी आश्चर्य जताया। मतलब हर कोई बेताब है मनमोहन की आवाज सुनने को... मनमोहन सबकी आवाज सुन रहे हो तो बोलो... बोलो 'मन' बोलो...

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया...अच्छा लिखा लोकेन्द्र जी. मनमोहन सिंह विश्व बेंक के नौकर रहे हैं.ज़ाहिर है कोई भी बैंकर अपना नफा-नुकसां की सोच कर ही कोई काम या बयान देना चाहेगा. आपने ठीक कहा है वो बोलेंगे क्यू नहीं..खूब बोलते हैं. दुनिया भर में भले ही दर्ज़नों भारतीय मर जाय इन्हें परवाह नहीं होती. जिस आस्ट्रेलिया में मार-मार कर भारतीयों को भगाने पर भी स्शायद ही कभी इनके मुंह से आपने उफ़ सुना हो, लेकिन जब मामला वोट का हो तो उसी आस्ट्रेलिया में एक मो.हनीफ की गिरफ्तारी पर ये नींद न आने की शिकायत करते देखे जा सकते हैं.
    मुश्किल ये हैं कि जितने ईमानदार और सरल ये दिखते हैं उतने हैं नहीं.यह जितने मज़े हुए अर्थशास्त्री हैं उतने शातिर राजनेता भी. बस ये ज़रूर है कि इनकी प्रतिभाओं का लाभ केवल इनके कुनबे या इनकी पार्टी को मिल सकता है. आइये अपने दुर्भाग्य पर आसूं बहायें और अगले चुनाव में फ़िर से ऐसे ही अभागों को दो तिहाई बहुमत देकर अपनी छाती पर मूंग दलने को विजयी बनावें...छिः.

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  2. लोकेंद्र जी! रिमोट की बैटरी खल्लास हो गई है...एक बार चार्ज हो जाने दीजिये!! कुछ खिलौने रिमोट से ही चलते हैं..

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  3. आज के इन तथाकथित देशभक्त नेताओं से हम क्या अपेक्षा कर सकते हैं !
    दोनों हाथों से देश को लूटने वालों के पास देश के लिए समय ही कहाँ है !
    बहुत अच्छी पोस्ट लगाईं है !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  4. भाई लोकेन्द्र जी आप ने मामा को मामू बना दिया लेकिन आप भी जानते है कि मनमोहन मामा सो गये राहुल चाचू जागे। क्या खूब लिखा है मचा आ गया और मामा की तस्वीर तो जलवा बिखेर रही है।
    कभी हमारे ब्लॉग पर अपना दस्तखत दीजिए। अच्छा लगेगा ।
    wwwkufraraja.blogspot.com

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  5. दुःख की बात है कि भ्रष्टाचार का मुद्दा आते ही अच्छे-अच्छों की बोल्ती बन्द हो जाती है।

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