मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने महिला सशक्तिकरण के उल्लेखनीय प्रयास किए हैं, उसी शृंखला में ‘लाडली बहना योजना’ को देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर आम नागरिकों के बीच प्रतीक्षा भी बहुत थी और चर्चा भी। बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो इसे आगामी चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। चुनावी वर्ष में सरकार कोई भी पहल करे, उसे चुनाव से जोड़कर देखा जाना स्वाभाविक ही है। परंतु यह अवश्य स्मरण रखना चाहिए कि शिवराज सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए प्रारंभ से नवाचार करती रही है। बेटियों की पढ़ाई, उनके पोषण एवं भविष्य में विवाह इत्यादि में आर्थिक सहयोग की दृष्टि से सरकार ने अनेक योजनाएं प्रारंभ की हैं। सरकारी योजनाओं से इतर भी प्रदेश में बेटियों को लेकर सामाजिक सोच में बदलाव लाने का क्रांतिकारी परिवर्तन भी शिवराज सरकार ने किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान अपने भाषणों में नियमित तौर पर बेटियों के प्रति समान और सम्मान का भाव रखने का आग्रह करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में बेटियों के प्रति समाज में जो सकारात्मक वातावरण दिखायी देता है, उसकी अनुभूति सब कर पा रहे हैं।
मध्यप्रदेश सरकार के वर्तमान बजट को भी देखें तो साफ दिखायी देता है कि मातृशक्ति के हितों की चिंता सरकार की प्राथमिकता में है। यह बजट तो एक तरह से मातृशक्ति को ही समर्पित है। सरकार ने बजट का एक तिहायी हिस्सा महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर खर्च करने का प्रावधान किया है। जिसमें बहुचर्चित एवं नवीन ‘लाडली बहना योजना’ के लिए 8000 करोड़ रुपये, प्रसूति सहायता योजना में 400 करोड़, वृद्धावस्था एवं विधवा पेंशन योजना के लिए 1535 करोड़, कन्या विवाह के लिए 80 करोड़ और महिलाओं के स्वरोजगार के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके अतिरिक्त भी अनेक योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से सरकार महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रही है।
संशोधन
— लोकेन्द्र सिंह राजपूत (Lokendra Singh Rajput) (@lokendra_777) March 1, 2023
मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के लिए #MPBudget2023 में 8000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत पात्र महिलाओं को प्रतिमाह 1000 रुपए दिए जायेंगे। pic.twitter.com/2nedUQ8xEG
लाडली बहना योजना को चुनाव के साथ जोड़कर देखने से इस योजना की आवश्यकता और महत्व ध्यान नहीं आता है। इसलिए जरूरी है कि चुनावी विश्लेषण को एक ओर रखकर जरा प्रदेश में महिलाओं की स्थिति का विचार करें और उसके बाद यह देखें कि लाडली बहना योजना किस तरह महिलाओं को सशक्त कर सकती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार मध्यप्रदेश की 23 प्रतिशत महिलाएं शरीर द्रव्यमान सूचकांक (बॉडी मास इंडेक्स) में पीछे हैं। यानी प्रदेश की 23 प्रतिशत महिलाओं का वजन उनकी ऊंचाई के अनुसार नहीं है। सर्वे में 15 से 49 साल की 54.7 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी है। इसके अलावा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा साल 2020-21 में जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में श्रम बल सहभागिता दर में ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी केवल 23.3 प्रतिशत है। शहरों में यह भागीदारी और कम हो जाती है। शहरों में केवल 13.6 प्रतिशत महिलाओं की ही श्रम बल में सहभागिता है। इस कारण से महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर होने के बजाए पुरुषों पर आश्रित हैं। शिवराज सरकार की ओर से जब प्रतिमाह महिलाओं के बैंक खातों में एक हजार रुपये डाले जाएंगे, तब कहीं न कहीं आर्थिक तौर पर महिलाओं के हाथ मजबूत होंगे।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हैं, तब शिवराज सरकार की ‘लाडली बहना योजना’ का महत्व एवं उसकी आवश्यकता भली प्रकार से ध्यान में आती है। यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए एक मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार महिलाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। इस बात के लिए सरकार की सराहना की जा सकती है। मध्यप्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस महत्वाकांक्षी योजना को सुनियोजित ढंग से धरातल पर उतारे। सभी पात्र महिलाएं इस योजना से जुड़ सकें, इसके लिए सरकार को विशेष प्रयास भी करने होंगे क्योंकि सरकारी योजनाओं की सही जानकारी सब दूर तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में आवश्यक है कि सरकार के प्रतिनिधि ऐसे क्षेत्रों में योजना को लेकर पहुँचें और पात्र महिलाओं को योजना के दायरे में लाएं।
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