याद है तुम्हें
बी-फॉल की सीढिय़ां उतरते हुए
मेरी गोद में थी तुम
देखकर माथे पर पसीने की बूंदें
तुमने कहा था-
“ध्यान रखना पिताजी,
ये पसीना मुझ पर न गिरे”
बी-फॉल की सीढिय़ां उतरते हुए
मेरी गोद में थी तुम
देखकर माथे पर पसीने की बूंदें
तुमने कहा था-
“ध्यान रखना पिताजी,
ये पसीना मुझ पर न गिरे”
तुम्हारे चेहरे पर निश्छल हंसी
और देखकर एक विश्वास
मंद-मंद मुस्काया था मैं
तुम्हें पसीना न बहाना पड़े
सुनिश्चित करूंगा यह
परंतु, पसीने का मूल्य
उसकी ताकत और ताप
पता होना ही चाहिए तुम्हें
ताकि पसीने का सम्मान
कर पाओ तुम।
किसान का पसीना गिरता है खेत में
लहराता है धरती का आंचल
मजदूर के पसीने की बूंदें
करती हैं निर्माण बुलंद भारत का
कलाकार का पसीना
निखारता है कला-संस्कृति को
शिक्षक अपने पसीने से
गढ़ता है भारत के भविष्य को
चिकित्सक पसीने की बूंदों से
बचाता है लोगों का जीवन
बाकी सब की तरह ही
माता-पिता के पसीने की बूंदों से
पोषित होता है संतति का जीवन।
सुनिश्चित करूंगा मैं
अपने पसीने की बूंदों से
तुम्हारे जीवन में सुख लाऊं
चेहरे की इस हंसी को,
चमक और धमक को बढ़ाऊं
मेरा पसीना गिरे जहाँ
उठ खड़े हों बाग-बगीचे वहाँ
पसीने से सिंचित पुष्पों से
सुंगधित हो जीवन तुम्हारा
एक-एक बूंद से समृद्ध हो,
सुरक्षित हो, जीवन तुम्हारा।
परंतु, शर्त एक यही है
निरादर न करना कभी
पसीने की बूंदों का।
बहुत सुंदर सृजन। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ऋष्वी 🎂
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद शिवम जी
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