गुरुवार, 21 मई 2020

'की-बोर्ड का सिपाही' प्रो. संजय द्विवेदी बने पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति


देश के जाने-माने पत्रकार एवं मीडिया शिक्षक प्रो. संजय द्विवेदी को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का प्रभारी कुलपति नियुक्त किया गया है। इससे पहले वे विश्वविद्यालय के कुलसचिव की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे थे। प्रो. द्विवेदी 10 वर्ष से अधिक समय तक विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष भी रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी लंबे समय तक सक्रिय पत्रकारिता में रहे हैं। उन्हें प्रिंट, बेव और इलेक्ट्रॉनिक, तीनों ही मीडिया में कार्य करने का वृहद अनुभव है। उन्होंने दैनिक भास्कर, हरिभूमि, नवभारत, स्वदेश, इंफो इंडिया डाट काम और छत्तीसगढ़ के पहले सेटलाइट चैनल जी-24 छत्तीसगढ़ जैसे मीडिया संगठनों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली। मुंबई, रायपुर, बिलासपुर और भोपाल में लगभग 14 साल सक्रिय पत्रकारिता में रहने के बाद प्रो. द्विवेदी शिक्षा क्षेत्र से जुड़े।

प्रो. द्विवेदी 12 वर्षों से नियमित जनसंचार के सरोकारों को केंद्रित पत्रिका ‘मीडिया विमर्श’ के कार्यकारी संपादक भी हैं। वे विभिन्न विश्वविद्यालयों की अकादमिक समितियों एवं मीडिया से संबंधित संगठनों में सदस्य एवं पदाधिकारी भी हैं।

निश्चित ही उनके सुदीर्घ अनुभव का लाभ विश्वविद्यालय को मिलेगा। यह विश्वविद्यालय के लिए भी सुखद है कि यहीं के विद्यार्थी को विश्वविद्यालय का नेतृत्व करने का अवसर मिला है। फरवरी-2009 में वे विश्वविद्यालय से जुड़े थे। विश्वविद्यालय में उन्होंने विभागाध्यक्ष एवं कुलसचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों कार्य किया।

मेरे उनका पहला परिचय ब्लॉगिंग के माध्यम से हुआ। सर 'की-बोर्ड के सिपाही' के नाम से ब्लॉग लिखते हैं। वर्ष 2007 में जब अपन ने ब्लॉग लिखना शुरू किया तब से सर का ब्लॉग पढ़ते आ रहे हैं। वे नियमित तौर पर राजनीतिक, सामाजिक और मीडिया के मुद्दों पर लेखन करते हैं। उनका लिखा विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में भी नियमित प्रकाशित होता है। उनकी सक्रियता सदैव प्रेरणा देती है। उन्होंने अब तक 25 पुस्तकों का लेखन और संपादन भी किया है।

उनके साथ काम करने का पहला अवसर 2013 में मिला। विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में वे विभागाध्यक्ष थे और मैंने प्रोडक्शन सहायक के तौर पर ज्वाइन किया था। विश्वविद्यालय जैसे संस्था में काम करने का यह मेरा पहला अवसर था, लेकिन संजय सर की उपस्थिति ने हौसला दिया। वे लगातार प्रोत्साहित करते रहते हैं।
जनसंचार के विभागाध्यक्ष रहते हुए और कुलसचिव के रूप में भी उन्होंने सदैव विद्यार्थियों के हित में अच्छे निर्णय लिए हैं। जनसंचार विभाग में एक समृद्ध विभागीय पुस्तकालय की स्थापना उन्होंने की। विद्यार्थियों को व्यवहारिक प्रशिक्षण देने के लिए प्रायोगिक समाचार-पत्र का प्रकाशन हमने उनके मार्गदर्शन में किया। न्यूज़ बुलेटिन निकलना और अन्य गतिविधियाँ वे लगातार विद्यार्थियों के लिए आयोजित करते रहे। सार्थक शनिवार जैसी अनूठी परम्पर उन्होंने शुरू की। यह विद्यार्थियों का सांस्कृतिक मंच था।

1 टिप्पणी:

  1. हाँ अब तो जमाना कुलपति बने का ही है। कुलपति बनाये गये का समाप्त हो चुका है। फिर भी बधाई कुलपति हो जाने की।

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