भा रत की १५वीं जनगणना के प्रथम और द्वितीय चरण के आंकड़े गुरुवार को जारी हो गए। आंकड़ों के मुताबिक हमारे कुनबे का विस्तार हो गया है। देश की राजधानी दिल्ली में ३१ मार्च को जनगणना आयुक्त सी. चन्द्रमौली ने बताया कि जनगणना के प्रारंभिक आंकड़ो के मुताबिक भारतीय एक अरब २१ करोड़ हो गए हैं।
खैर अभी धीरे-धीरे और भी आंकड़े समाचार पत्र-पत्रिकाओं और टीवी चैनलों के माध्यम से हमारे सामने आएंगे। इसमें कई आंकड़े बहुत ही भ्रामक होंगे। उन्हें झूठे आंकड़े भी कहा जा सकता है। इन्हीं भ्रामक और झूठे आंकड़ों के सहारे भारत की जनता के लिए भविष्य में कल्याणकारी (?) योजनाएं बनाईं जाएंगी। आप समझ सकते हैं जब आंकड़े ही गलत होंगे तो योजनाएं कैसे कल्याण कर सकती हैं। चलिए मेरी शंका क्यों बलवती हो रही है, इस पर चर्चा कर लेते हैं। दरअसल ग्वालियर और भोपाल सहित मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में जनगणना कर रहे कुछेक कर्मचारी मेरे परिचित थे। जनगणना के दौरान उन्हें जो अनुभव आए उनमें से कुछ उन्होंने मुझसे बातचीत के दौरान साझा किए। अधिकांश ने दो आंकड़ों पर गहरी चिंता व्यक्त की। प्रथम तो भाषा और दूसरा धर्म। उनका कहना था कि भाषा का आंकड़ा निश्चिततौर पर भ्रामक आने वाला है। क्योंकि अधिकांश लोगों ने झूठी शान में भाषा विकल्प में अंग्रेजी को चुना है, जबकि उनका अंग्रेजी का सामान्य ज्ञान भी ठीक नहीं होगा। दो भाषाएं जानते हो क्या? इस प्रश्न का जवाब न में नहीं देकर हां दिया। हां चुना तो अंग्रेजी भाषा। जबकि वे अपनी मातृभाषा (यथा संस्कृत, मराठी, पंजाबी व अन्य) भी जानते ही होंगे, लेकिन उसे बताना वे अपनी शान न मानते हों। जनगणनाकर्मी के सामने रुतबा दिखाने के लिए अंग्रेजी को दूसरी भाषा बताने वाले बहुत से थे। इससे निश्चित ही यह आंकड़ा तो गलत आने वाला है। इसका खामियाजा हिन्दी के पैरोकारों का उठाना पड़ेगा। हिन्दी के लिए आंदोलनरत् कार्यकर्ताओं को अंग्रेजीदां सीधे जवाब देंगे जनगणना के आंकड़े नहीं देखे क्या? अंगे्रजी जानने वालों का प्रतिशत बढ़ गया है। इसलिए हिन्दी के लिए दम न भरो अब भारत का अधिसंख्य लोग अंग्रेजी पर अपनी पकड़ रखता है। निश्चित ही इससे हिन्दी आंदोलनों की धार कुंद हो जाएगी।
वहीं धर्म के आंकड़े भी इसी तरह गड़बड़ आने है। इसके लिए तो जनगणना करा रही समिति ही जिम्मेदार है। हिन्दू धर्म को तो हिन्दू, जैन, सिख व अन्य में बांटा गया है। लेकिन, इस्लाम और ईसाई को इस तरह नहीं बांटा गया है। जबकि उनमें भी कम से कम दो-दो शाखाएं हैं। इस तरह हिन्दू धर्म की संख्या बंटकर आने वाली है और अन्य दोनों धर्मों की संख्या एक साथ। धर्म के आंकड़े इस तरह जुटाने पर कई हिन्दू नेताओं को साजिश की शंका है। जनगणनाकर्मी क्या कहते हैं यह जान लेते हैं। उनका कहना है कि हिन्दुओं के आंकड़े बहुत ही भ्रामक आने वाले हैं। उन्होंने बताया कि कई जैन और सिखों ने समझदारी का परिचय देते हुए धर्म में हिन्दू ही लिखवाया है। धर्म में जैन या सिख न लिखवाने पर उनका कहना था कि हमारा मूल धर्म हिन्दू ही है जैन या सिख तो हमारी पूजा पद्धति है। वहीं यह नहीं मानने वाले लोगों ने जैन और सिख ही लिखवाया। जबकि इस्लाम को शिया-सुन्नी व अन्य और ईसाई को कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स में नहीं बांटा गया। इससे साफ जाहिर होता है कि या तो हिन्दू धर्म के आंकड़े गलत आने वाले हैं या फिर इस्लाम और ईसाई धर्म के। हिन्दू धर्म के आंकड़े गलत आने है यह स्पष्ट होता है। इस तरह के गलत आंकड़ों का सरकार क्या करेगी वह ही जाने।
खैर अभी धीरे-धीरे और भी आंकड़े समाचार पत्र-पत्रिकाओं और टीवी चैनलों के माध्यम से हमारे सामने आएंगे। इसमें कई आंकड़े बहुत ही भ्रामक होंगे। उन्हें झूठे आंकड़े भी कहा जा सकता है। इन्हीं भ्रामक और झूठे आंकड़ों के सहारे भारत की जनता के लिए भविष्य में कल्याणकारी (?) योजनाएं बनाईं जाएंगी। आप समझ सकते हैं जब आंकड़े ही गलत होंगे तो योजनाएं कैसे कल्याण कर सकती हैं। चलिए मेरी शंका क्यों बलवती हो रही है, इस पर चर्चा कर लेते हैं। दरअसल ग्वालियर और भोपाल सहित मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में जनगणना कर रहे कुछेक कर्मचारी मेरे परिचित थे। जनगणना के दौरान उन्हें जो अनुभव आए उनमें से कुछ उन्होंने मुझसे बातचीत के दौरान साझा किए। अधिकांश ने दो आंकड़ों पर गहरी चिंता व्यक्त की। प्रथम तो भाषा और दूसरा धर्म। उनका कहना था कि भाषा का आंकड़ा निश्चिततौर पर भ्रामक आने वाला है। क्योंकि अधिकांश लोगों ने झूठी शान में भाषा विकल्प में अंग्रेजी को चुना है, जबकि उनका अंग्रेजी का सामान्य ज्ञान भी ठीक नहीं होगा। दो भाषाएं जानते हो क्या? इस प्रश्न का जवाब न में नहीं देकर हां दिया। हां चुना तो अंग्रेजी भाषा। जबकि वे अपनी मातृभाषा (यथा संस्कृत, मराठी, पंजाबी व अन्य) भी जानते ही होंगे, लेकिन उसे बताना वे अपनी शान न मानते हों। जनगणनाकर्मी के सामने रुतबा दिखाने के लिए अंग्रेजी को दूसरी भाषा बताने वाले बहुत से थे। इससे निश्चित ही यह आंकड़ा तो गलत आने वाला है। इसका खामियाजा हिन्दी के पैरोकारों का उठाना पड़ेगा। हिन्दी के लिए आंदोलनरत् कार्यकर्ताओं को अंग्रेजीदां सीधे जवाब देंगे जनगणना के आंकड़े नहीं देखे क्या? अंगे्रजी जानने वालों का प्रतिशत बढ़ गया है। इसलिए हिन्दी के लिए दम न भरो अब भारत का अधिसंख्य लोग अंग्रेजी पर अपनी पकड़ रखता है। निश्चित ही इससे हिन्दी आंदोलनों की धार कुंद हो जाएगी।
वहीं धर्म के आंकड़े भी इसी तरह गड़बड़ आने है। इसके लिए तो जनगणना करा रही समिति ही जिम्मेदार है। हिन्दू धर्म को तो हिन्दू, जैन, सिख व अन्य में बांटा गया है। लेकिन, इस्लाम और ईसाई को इस तरह नहीं बांटा गया है। जबकि उनमें भी कम से कम दो-दो शाखाएं हैं। इस तरह हिन्दू धर्म की संख्या बंटकर आने वाली है और अन्य दोनों धर्मों की संख्या एक साथ। धर्म के आंकड़े इस तरह जुटाने पर कई हिन्दू नेताओं को साजिश की शंका है। जनगणनाकर्मी क्या कहते हैं यह जान लेते हैं। उनका कहना है कि हिन्दुओं के आंकड़े बहुत ही भ्रामक आने वाले हैं। उन्होंने बताया कि कई जैन और सिखों ने समझदारी का परिचय देते हुए धर्म में हिन्दू ही लिखवाया है। धर्म में जैन या सिख न लिखवाने पर उनका कहना था कि हमारा मूल धर्म हिन्दू ही है जैन या सिख तो हमारी पूजा पद्धति है। वहीं यह नहीं मानने वाले लोगों ने जैन और सिख ही लिखवाया। जबकि इस्लाम को शिया-सुन्नी व अन्य और ईसाई को कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स में नहीं बांटा गया। इससे साफ जाहिर होता है कि या तो हिन्दू धर्म के आंकड़े गलत आने वाले हैं या फिर इस्लाम और ईसाई धर्म के। हिन्दू धर्म के आंकड़े गलत आने है यह स्पष्ट होता है। इस तरह के गलत आंकड़ों का सरकार क्या करेगी वह ही जाने।
1951 : आजाद भारत की पहली जनगणना का एक फोटो
आजादी के बाद देश की पहली जनगणना 1951 में की गई। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी जानकारी देते हुए। |
एक और उडती हुई खबर....एक ख़ास नगर में धरम के ठेकेदार ने एक गुपचुप आदेश
जवाब देंहटाएंजारी कर दिया कि कोई भी ***** अपनी उचित तादात का व्योरा जनगणना कर्ता को नहीं देगा ! अगर वाकई ऐसा हुआ हो तो कर लो आंकड़े प्रकाशित... !!
गोदियाल जी... अपने सही सुना है.. बस मुझे यह जानकारी कल ही लगी.. इसलिए इस तथ्य का समावेश लेख में नहीं कर सका....
जवाब देंहटाएंआपकी बात मुझे भी ठीक लग रही है.....
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं...
gadbadiyan to hanare desh ki sarkaar ki fitrat me shamil rahi hain... 121 million people ko bas ye nahi bhulna chaiye... ki sabse pehle wo 1 hindustaani he...
जवाब देंहटाएंजैन और सिख अपने आपको हिंदू मानते कहां हैं, उन्होंने तो अपना धर्म अलग लिखवाया है
जवाब देंहटाएं@ तेजवानी गिरधर जी ( तीसरी आँख ) ऐसा नहीं है... कुछ एक भ्रमित लोग भले ही नहीं मानते हो बाकि बहुत से सिख और जैन ऐसे हैं जो स्वम को सनातनी हिन्दू ही मानते हैं और फिर सिख धर्म का तो गौरव पूर्ण इतिहास रहा है हिन्दुत्व के लिए बलिदान देने का... और हिन्दुत्व के विस्तार के लिए...
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