गुरुवार, 28 जनवरी 2021

‘हनुमानजी की भूमिका’ में भारत

आज जब हम 72वां गणतंत्र मना रहे हैं, तब हम गौरव की अनुभूति कर रहे हैं कि भारत अपनी वैश्विक भूमिका को भी प्राप्त करने की ओर तेजी से अग्रसर है। ‘हम भारत के लोग’ इस बात से रोमांचित होते हैं कि ज्ञान-विज्ञान से लेकर आर्थिक क्षेत्र में कभी हम दुनिया का नेतृत्व करते थे। लंबे समय से हम अपने देश को पुन: विश्वगुरु की भूमिका में देखना चाह रहे थे, उसके लिए प्रयासरत थे। हम चाहते हैं कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा का प्रतिपादक हमारा देश वैश्विक पटल पर ‘विश्व परिवार के मुखिया’ की भूमिका का निर्वहन करे। पिछले पाँच-छह वर्षों में भारत ने उस सामर्थ्य को अर्जित किया है। वैश्विक महामारी ‘कोरोना संक्रमण’ की शुरुआत में ही दुनिया ने भारत की इस भूमिका को देखा कि हमने कमजोर देशों के साथ ही समर्थ देशों की भी सहायता की। अब एक बार फिर भारत में निर्मित कोरोना के टीके जरूरतमंद देशों को भेज कर हम अपनी मानवतावादी आचरण की प्रस्तुति कर रहे हैं। 

भारत ने कोरोना के दो स्वदेशी टीके बनाकर न केवल अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा को सुनिश्चित किया है, बल्कि वह अपने अनेक पड़ोसी देशों को टीके अनुदान के तौर पर देकर एक बड़ी लकीर खींच रहा है। पिछले कुछ दिनों में देसी टीकों की खेप भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, सेशेल्स और मॉरिशस पहुंची है। इसके अलावा सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और मोरक्को को व्यावसायिक तौर पर टीके भेजे जा रहे हैं। इस सूची में अभी कुछ और देश भी जुड़ेंगे। अमेरिकी विदेश विभाग दक्षिण एवं मध्य एशिया ब्यूरो ने पड़ोसी देशों को मुफ्त टीका मुहैया कराने तथा वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए एक बार फिर भारत की प्रशंसा करते हुए उसे ‘सच्चा दोस्त’ बताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस ने महामारी से निजात पाने की कोशिशों में भागीदारी के लिए भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद कहा है।

ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो तो भारत से सहयोग मिलने पर अत्यधिक कृतज्ञ अनुभव कर रहे हैं। उन्होंने भारत के प्रति धन्यवाद प्रकट करते हुए कोरोना वैक्सीन लाते हुए हनुमानजी का पोस्टर ट्वीट किया है। हमें ज्ञात है कि जब भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे, तब हुनमानजी हिमालय से संजीवनी बूटी लेकर आए थे। उसी संजीवनी बूटी ने लक्ष्मणजी के प्राणों की रक्षा की थी। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि ब्राजील के राष्ट्रपति ने भारतीय संस्कृति के आधार ‘रामायण’ के प्रसंग को इस तरह उल्लेख किया। भारत की कोरोना वैक्सीन को उन्होंने ‘संजीवनी’ के रूप में मान्यता दी और भारत को मानवतासेवी बताया है। एक और अच्छी बात यह है कि उन्होंने हिन्दी में भी धन्यवाद ज्ञापित किया है। यह वैश्विक पटल पर भारत के सम्मान एवं उसकी भूमिका को रेखांकित करता है। इन तथ्यों को भारत के विपक्षी राजनीतिक दलों एवं मोदी विरोधी समूह को भी देखना और समझना चाहिए। जिस वैक्सीन को लेकर ‘झूठों का समूह’ दुष्प्रचार कर रहा था, उसके प्रति वैश्विक जगत भारत के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि हमारी वैक्सीन समूची मानवता के लिए है। इसलिए यह बात स्पष्ट समझ लेनी चाहिए कि अपने पड़ोसियों और मित्र देशों को टीका देना, केवल कूटनीति या व्यापार का मामला नहीं है बल्कि सदैव से मानवता की चिंता भारत की प्राथमिकता है।


2 टिप्‍पणियां:

पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share