शम्भू धारा जल प्रपात माँ नर्मदा उद्गम स्थल से तकरीबन 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है। यहाँ जंगल इतना घना है कि धूप धरती को नहीं छू पाती है। ऊंचे और हरे-भरे वृक्षों के बीच से कच्चा रास्ता शम्भूधारा तक पहुँचता है। घने जंगल से होकर शम्भूधारा तक पहुँचना किसी रोमांच से कम नहीं है। अमरकंटक के अन्य पर्यटन स्थलों की अपेक्षा यहाँ कम ही लोग आते हैं। दरअसल, लोगों को इसकी जानकारी नहीं रहती। किसी मार्गदर्शक के बिना यहाँ तक आना किसी नये व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। यह स्थान बेहद खूबसूरत है। प्राकृतिक रूप से समृद्ध है। यहाँ पशु-पक्षियों की आवाज किसी मधुर संगीत की तरह सुनाई देती हैं।
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के एक नाम शम्भूनाथ पर इस जल प्रपात का नाम शम्भूधारा पड़ा है। हालाँकि यह माँ नर्मदा नदी पर बना हुआ जल प्रपात नहीं है, बल्कि बरसाती नाले का झरना है, जो लगभग 35 मीटर की ऊँचाई से नीचे गिरता है। यूँ तो आप वर्षभर इस जलप्रपात को देख सकते हैं। यदि आप बारिश के मौसम में यहाँ आएंगे तो अधिक आनंद आएगा। बारिश में शम्भूधारा जलप्रपात में जलराशि बढ़ जाती है और इसका सौंदर्य चरम पर पहुँच जाता है। शम्भू धारा से ठीक पहले एक स्टॉप डेम बनाया गया है। जहाँ एकत्र जल और उसके किनारे खड़े ऊँचे-पूरे पेड़ों के कारण मनमोहक दृश्य उपस्थित होता है। मानो जलराशि को दर्पण बना कर वृक्ष अपना रूप-यौवन निहार रहे हों।
शम्भूधारा के आसपास निर्जन वन होने के कारण यहाँ साधु-संन्यासी धूनी भी रमाते हैं। एक स्थान हमें ऐसा मिला भी, जहाँ किसी साधु ने अपनी ध्यान-साधना के लिए शिवलिंग की स्थापना कर रखी थी और वहाँ अग्नि भी धधक रही थी। हालाँकि उस समय वहाँ कोई साधु उपस्थित नहीं था। संभवत: नगर की ओर निकल गया होगा। अंधेरा घिरने लगा था। घने जंगल में वैसे भी शाम जल्दी ढल जाती है। हमारे लौटने का वक्त हो गया था। हालाँकि, मन में एक और जलप्रपात देखने की लालसा थी, जो शम्भू धारा से आगे जाकर था। उसे फिर कभी तसल्ली से देखने का इरादा करके हम लौट पड़े। मैं नर्मदे हर सेवा न्यास में रुका था, जो शम्भू धारा से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर होगा। अपने कमरे पर लौटने के बाद तय किया कि एक बार बारिश में या फिर बारिश के बाद इस जलप्रपात को अवश्य देखूंगा। संयोग से ईश्वर ने वह अवसर दिया और मैंने दिसंबर-जनवरी में इस सुंदर झरने का आनंद लिया।
योगी की तपस्थली, शिव लिंग और धूनी |
वृक्षों के बीच से शम्भू धारा की एक झलक |