शनिवार, 23 दिसंबर 2017

पूर्व प्रधानमंत्री के 'सम्मान' की लड़ाई

 संसद  में कांग्रेस जिस प्रकार का व्यवहार कर रही है, वह बचकाना है। कांग्रेस का व्यवहार बताता है कि उसे जनहित के मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। एक ऐसी घटना के लिए कांग्रेस ने संसद को बाधित किया हुआ है, जिसका पटाक्षेप गुजरात चुनाव के साथ ही हो जाना चाहिए था। किंतु, ऐसा लगता है कि कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की शालीन छवि को उसी तरह भुनाना चाहती है, जिस प्रकार उनकी 'ईमानदार छवि' को संप्रग सरकार के दौरान भुनाने का प्रयास किया था। परंतु, कांग्रेस को समझना चाहिए कि वह उस समय भी जनता की नजर में पकड़ी गई और आज भी पूरा देश उसके व्यवहार को देख रहा है। कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कथित अपमान को आधार बना कर संपूर्ण संसद को ठप कर दिया है। कांग्रेस के नेताओं की माँग है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अपमान किया है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को सदन में आकर क्षमा माँगनी चाहिए।
          ज्ञात हो कि गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान यूपीए सरकार में मंत्री रहे मणिशंकर अय्यर के दिल्ली स्थित आवास पर एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद शामिल हुए। इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व सेना प्रमुख दीपक कपूर, पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह और पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी भी में मौजूद रहे। चूँकि मणिशंकर अय्यर अपने पाकिस्तान प्रवास के दौरान वहाँ के न्यूज चैनल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हटाने के लिए पाकिस्तान से मदद माँग चुके हैं। संभवत: उसी घटना के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के पालनपुर में चुनावी रैली में मणिशंकर अय्यर के निवास पर हुई इस 'गुप्त' बैठक का जिक्र करते हुए कह दिया था कि विधानसभा चुनाव में पाकिस्तान 'हस्तक्षेप' कर रहा है। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने अय्यर के आवास पर पाकिस्तान के नेताओं से मुलाकात की थी। अब इस टिप्पणी में उन्होंने किसी को 'देशद्रोही' कहाँ कहा है? 
          कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी की जिस टिप्पणी को आधार बना कर संसद को ठप कर रही है, उसमें कहीं भी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अपमान नहीं है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद के साथ हुई बैठक को संदेहास्पद स्वयं कांग्रेस और उसके नेताओं ने बनाया है। 
  • एक, इस प्रकार की बैठक की सूचना विदेश मंत्रालय को देनी चाहिए थी, जो कि कांग्रेसी नेताओं ने नहीं दी। 
  • दो, जब मोदी ने इस बैठक का जिक्र किया, तब कांग्रेस ने सबसे पहले ऐसी किसी भी बैठक से इनकार कर दिया था। परंतु, जब सच सामने आ गया तो 'अनौपचारिक चर्चा' की बात कह कर विलाप शुरू कर दिया। 
  • तीन, पाकिस्तानी सेना के पूर्व महानिदेशक सरदार अरशद रफीक ने सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार एवं गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाने की अपील की हुई थी, ऐसे में पाकिस्तानी विदेश मंत्री से गुपचुप मुलाकात पर प्रश्न तो उठेंगे ही। 
  • चार, मणिशंकर के निवास पर बैठक होने से संदेह और गहराया, क्योंकि वह मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए पाकिस्तान की मदद माँग चुके हैं। 

          इसलिए उस समय प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी एकदम से अनुचित नहीं ठहराई जा सकती है। 
         वहीं, जिन कांग्रेसियों को आज डॉ. मनमोहन सिंह के सम्मान की इतनी फिक्र हो रही है, यही लोग प्रधानमंत्री रहते उनकी अनदेखी पर मुँह में गुड़ रख कर बैठ जाते थे। कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. सिंह के अध्यादेश फाड़ कर फेंक दिया था। क्या इससे अधिक सार्वजनिक अपमान किसी प्रधानमंत्री का हुआ होगा? इस घटना का जिक्र करने का यह अभिप्राय कतई नहीं है कि जब कांग्रेस ने ही पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का सम्मान नहीं किया तो अन्य क्यों करें? परंतु, यहाँ पुन: प्रधानमंत्री मोदी की उक्त टिप्पणी को पढि़ए, सुनिए या देखिए, क्या कहीं से ऐसा लगता है कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री या पूर्व सेनाध्यक्ष का अपमान किया है? उन्होंने व्यक्ति पर नहीं कांग्रेस की नीति पर संदेह जताया था। संदेह के भी पर्याप्त कारण थे, जिनका ऊपर जिक्र किया गया है। इसलिए कांग्रेस को प्रधानमंत्री की उस टिप्पणी को संसद तक लाना ही नहीं था। गुजरात में ही झटक कर चले आना था। किंतु, कांग्रेस उसे गाँठ में बाँध कर ले आई है। 
          उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने उचित ही कहा कि कोई भी माफी नहीं मांगी जाएगी, क्योंकि यहाँ कुछ नहीं हुआ और इस सदन में कोई बयान नहीं दिया गया है। कांग्रेस को उपराष्ट्रपति की टिप्पणी को सुनना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने जहाँ (गुजरात के चुनाव में) वक्तव्य दिया था, वहाँ कांग्रेस ने उसे जनता के सामने रखा भी था, जिस पर जनता ने कांग्रेस उत्तर (कांग्रेस को अस्वीकार कर, भाजपा को जनादेश) भी दे दिया है। इसलिए अब संसद में कांग्रेस जो भी व्यवहार कर रही है, वह संसदीय व्यवस्था के लिए ठीक नहीं। संसद का उपयोग जनहित के मुद्दों पर तार्किक बहस के लिए होना चाहिए।

3 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, वेटर का बदला - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. श्री मन मोहन सिंह को सम्मान तो कांग्रेस ने खुद तब ही नहीं दिया जब वो प्रधान-मंत्री की कुर्सी पर विराजे थे . गुजरात के परिणाम से कांग्रेस थोड़ा जोश में है इसलिए नाटक है .इस पर गौर न करना ही उचित है

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