रविवार, 10 जुलाई 2016

जहरीली तकरीरों पर लगे अंकुश

 ढाका  हमले में निर्दोष विदेशी और गैर-मुस्लिम नागरिकों का गला रेतकर हत्या करने वाले आतंकवादियों के प्रेरणास्रोत साबित हो रहे इस्लाम के उपदेशक डॉ. जाकिर नाईक पहली बार अपनी जहरीली तकरीरों के लिए चौतरफा घिर रहे हैं। बांग्लादेश की जाँच एजेंसियों को इस बात के सबूत मिले हैं कि राजनयिक क्षेत्र में होली आर्टिसन बेकरी रेस्तरां पर हमला करने वाले आतंकियों ने इस्लाम की व्याख्या करने वाले जाकिर नाईक की तकरीर सुनकर आतंकी बनने का फैसला किया था। बांग्लादेश सरकार के आग्रह पर ही केन्द्र सरकार डॉ. नाईक के भाषणों की जाँच करा रही है। महाराष्ट्र सरकार ने भी जाकिर नाईक की जहरीली तकरीरों की जाँच कराने के निर्देश दिए हैं। अपने पड़ोसी मुल्क में हुई बीभत्स घटना की जाँच में मदद करने से आपसी संबंध भी प्रगाढ़ होते हैं। आतंकवाद के खिलाफ साझी लड़ाई में दोनों देशों का साथ आना जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी वैश्विक मंचों से बार-बार आग्रह कर रहे हैं कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए सबको साथ आना चाहिए। अकेले-अकेले लड़कर आतंकवाद का समूल नाश नहीं किया जा सकता। आतंकवाद के विरुद्ध दोनों देशों का साथ आना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि जिस तरह आतंकवाद बांग्लादेश में अपनी आमद दर्ज करा रहा है, वह भारत के लिए भी खतरनाक है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि यदि जाकिर नाईक के भाषण मुसलमानों को आतंकवादी बनने के लिए प्रेरित करने वाले पाए तब उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
         युवाओं को धर्म के नाम पर भड़काकर उन्हें आतंक की राह दिखाने वाले सभी धर्मगुरुओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी ही चाहिए। लेकिन, यह दुर्भाग्य की बात है कि डॉ. जाकिर नाईक को लेकर भारत की आँख अब खुल रही है। जबकि नाईक लम्बे समय से इस्लाम की मनमाफिक व्याख्या करते रहे हैं। उनकी अनेक व्याख्याएं मुस्लिम युवाओं को भ्रमित करने वाली हैं। जैसे उनकी एक तकरीर है, जिसमें युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर आगे बढऩे के लिए उकसाते हैं। जाकिर नाईक कहते हैं कि 'प्रत्येक मुसलमान को आतंकवादी बन जाना चाहिए।' क्या यह इस्लाम की शिक्षा है? उनकी तकरीरें आप ध्यान से सुनेंगे तो पाएंगे कि वह भी उसी बीमारी से ग्रसित हैं, जिससे दूसरे मुस्लिम कट्टरपंथी पीडि़त हैं - 'इस्लाम के अलावा सब धर्म बेकार और बकवास हैं और कुरआन में जो लिखा है, वह सब सही है।' हद तो तब हो जाती है जब आतंक का पर्याय बन चुके ओसामा बिन लादेन को जाकिर नाईक आतंकवादी नहीं मानते हैं। वह कहते हैं कि यदि ओसामा बिन लादेन इस्लाम के दुश्मनों के साथ लड़ रहा है, तो मैं उसके साथ हूं। साफतौर पर इसका अर्थ यह है कि मुसलमानों को आतंकवादी ओसामा का समर्थक होना चाहिए। वह इस्लाम के दुश्मनों के खिलाफ जंग करने वाला जेहादी है। हद है इस दकियानूसी पर और आश्चर्य है कि अब तक जाकिर नाईक अपने कुतर्कों से देश-दुनिया के मुस्लिम युवाओं को बरगलाते रहे लेकिन सरकारें बेपरवाह रहीं। 
       दरअसल, पूर्ववर्ती सरकार के प्रमुख नेता ही जब उन्हें 'शांतिदूत' बताते रहे हों, तब उनके खिलाफ कार्रवाई की अपेक्षा कैसे की जा सकती थी। होना यह चाहिए कि युवाओं की नस्ल खराब करने वाले ऐसे धर्मोपदेशकों की जुबान पर प्रारंभ में ही ताला लगा दिया जाए। भारत में अभिव्यक्ति की आजादी है, यह भविष्य में कायम रहनी चाहिए। लेकिन, इतनी भी आजादी नहीं दी जानी चाहिए कि वह समूचे मानव समाज के लिए घातक साबित होने लगे। जिन्हें जाकिर नाईक से हमदर्दी है, उन्हें एक बार दिमाग की सारी खिड़कियों खोलकर उनके वीडियो देखना-सुनना चाहिए ताकि समझ आए कि वह किस तरह का शांति का संदेश दे रहे हैं। डॉ. जाकिर नाईक उस तरह के चालाक लोगों में शुमार हैं जो बड़ी चालाकी से धर्मांन्धता को परोसते हैं, पोषते हैं और बढ़ावा देते हैं।  

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (11-07-2016) को "बच्चों का संसार निराला" (चर्चा अंक-2400) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति विश्व जनसंख्या दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

    जवाब देंहटाएं

पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share