दीपों के इस महा उत्सव में
एक दीप कर्म-ज्योति का हम भी जलाएं।
धरा के गहन तिमिर को हर लें
हम स्वमेव दीपक बन जाएं।।
भारत के नवोत्थान के प्रयत्नों में
एक अमर प्रयत्न हम भी कर जाएं।
उत्कृष्ट भारत के निर्माण में काम आए
हम नींव के पत्थर बन जाएं।।
नवयुग के इन निर्माणों में
एक निर्माण हम भी कर जाएं।
संस्कृति का तेजस झलकाएं
हम वो आत्मदीप बन जाएं।।
पशुता/अनाचार के जग में
एक बने सब और नेक भी हम बन जाएं।
छू न सके भावी पीढ़ी को पाप छद्म ये
हम वो अकाट्य पर्वत बन जाएं।।
- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)
इस कविता को देखने-सुनने के लिए 'अपना वीडियो पार्क'
मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसुषमा जी आपको भी शुभकामनाएं
हटाएंअभी मनोज जी के "विचार" पर भी मैंने कहा है कि परमात्मा आपकी सुनें!!
जवाब देंहटाएंसभी परिजनों को दीपावली की शुभकामनाएँ!!
शुक्रिया सलिल जी, आपकी दीपावली भी मंगलमय हो...
हटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंदीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ,,,,
RECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,
म्यूजिकल ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,
म्यूजिकल ग्रीटिंग के लिए धन्यवाद.
हटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंkindly give me your email
mine is - zealzen8@gmail.com
डॉ दिव्या जी, सप्रेम नमस्कार, उल्लास और उजास के पर्व पर आपको शुभकामनाएं।
हटाएंlokendra777@gmail.com
Thanks.
हटाएंस्वीकारें इस ब्लॉगर का सन्देश
जवाब देंहटाएंहरे माँ लक्ष्मी हर का क्लेश
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
अपनी मन की देहलीज पर एक दीपक मेरा भी आप स्वीकार करें.
हटाएंसलिल भाई के स्वर में हमारा भी स्वर मानें, ईश्वर आपकी सुने।
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की मंगलकामनायें।
धन्यवाद संजय जी....
हटाएंशुभेच्छा के लिए धन्यवाद राजेंद्र जी...
जवाब देंहटाएंदीपावली की मंगलकामनाएँ!
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