सोमवार, 12 नवंबर 2012

संकल्प


दीपों के इस महा उत्सव में 
एक दीप कर्म-ज्योति का हम भी जलाएं। 
धरा के गहन तिमिर को हर लें
हम स्वमेव दीपक बन जाएं।।

भारत के नवोत्थान के प्रयत्नों में 
एक अमर प्रयत्न हम भी कर जाएं। 
उत्कृष्ट भारत के निर्माण में काम आए
हम नींव के पत्थर बन जाएं।। 

नवयुग के इन निर्माणों में
एक निर्माण हम भी कर जाएं।
संस्कृति का तेजस झलकाएं
हम वो आत्मदीप बन जाएं।।

पशुता/अनाचार के जग में
एक बने सब और नेक भी हम बन जाएं। 
छू न सके भावी पीढ़ी को पाप छद्म ये
हम वो अकाट्य पर्वत बन जाएं।।

- लोकेन्द्र सिंह -
(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)

इस कविता को देखने-सुनने के लिए 'अपना वीडियो पार्क'


15 टिप्‍पणियां:

  1. मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनायें।

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  2. अभी मनोज जी के "विचार" पर भी मैंने कहा है कि परमात्मा आपकी सुनें!!
    सभी परिजनों को दीपावली की शुभकामनाएँ!!

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  3. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
    kindly give me your email
    mine is - zealzen8@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. डॉ दिव्या जी, सप्रेम नमस्कार, उल्लास और उजास के पर्व पर आपको शुभकामनाएं।
      lokendra777@gmail.com

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  4. स्वीकारें इस ब्लॉगर का सन्देश

    हरे माँ लक्ष्मी हर का क्लेश

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अपनी मन की देहलीज पर एक दीपक मेरा भी आप स्वीकार करें.

      हटाएं
  5. सलिल भाई के स्वर में हमारा भी स्वर मानें, ईश्वर आपकी सुने।
    दीप पर्व की मंगलकामनायें।

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  6. शुभेच्छा के लिए धन्यवाद राजेंद्र जी...

    जवाब देंहटाएं

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