सचिन के प्रशंसको के एक वर्ग को खासी प्रसन्नता हो सकती है यह जानकर कि सचिन की आत्मकथा छपकर आने जा रही है। किताब के रूप में वे सचिन को अपने पास सहेजकर रख सकेंगे। महान खिलाड़ी के प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जिसे इस खबर से प्रसन्नता से अधिक निराशा हो रही है उसके अपने-अपने कारण हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि वे शायद ही सचिन की आत्मकथा को खरीद सके और तो और शायद ही उन्हें यह पढऩे को नसीब हो, क्योंकि सचिन की आत्मकथा की कीमत बहुत अधिक है।
........ अद्भुत सचिन की तरह उनकी आत्मकथा को भी अद्भुत बनाया जा रहा है। किताब का नाम होगा तेंदुलकर ओपस (Tendulkar opus) आत्मकथा के प्रारंभिक दस संस्करण बहुत ही खास रहने वाले हैं। इनके हस्ताक्षर पृष्ठ में सचिन के खून के कतरे मिलाए जाएंगे। सचिन का खून कागज तैयार करते समय उसकी लुगदी में मिलाया जाएगा। इस पृष्ठ का रंग हल्का लाल रहेगा। उनके डीएनए की जानकारी भी इस किताब में शामिल रहेगी। इसमें 852 पृष्ठ होंगे। खास बात यह रहेगी कि इसमें सचिन से संबंधित ऐसे फोटोग्राफ्स होंगे जो पहले कहीं भी प्रकाशित नहीं हुए हैं। 2011 के क्रिकेट विश्वकप से पहले इसके बाजार में आने की उम्मीद है।
........ अब अगर आप इस खास किताब को खरीदने का मन बना रहे हैं तो आपको निराशा ही हाथ लगने वाली है। इसका कारण है कि इस खास संस्करण की एक प्रति की कीमत करीब 35 लाख रुपए है। अब 35 लाख रुपए एक किताब के लिए खर्च करना शायद आपके बस की बात न हो, मान लो आपके बस की है भी तो भी आप नहीं खरीद सकते क्योंकि ये सभी दस किताबों अभी से बुक हो चुकी हैं। इसके अलावा इस किताब करीब एक हजार सस्ते संस्करण निकाले जाने हैं। ये कितने सस्ते हैं यह तो इनकी कीमत सुनकर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं। इनकी कीमत 90 हजार से लेकर सवा लाख रुपए तक रहने वाली है। अब ऐसे में सचिन के ऐसे करोड़ो लोगों के लिए तो इस खबर से निराशा ही होगी जो दो जून की रोटी की जुगाड़ बमुश्किल कर पाते हैं। हम-तुम जो उनसे थोड़े सी ठीक स्थिति में हैं, मन होते हुए भी किताब खरीदने की हैसियत में नहीं। अब आम पाठक यह सोचे की चलो किसी पुस्तकालय में बैठकर ही सचिन की आत्मकथा पढ़ लेंगे तो शायद यह भी संभव न हो, क्योंकि इतनी मंहगी किताब बेजार हो रहे पुस्तकालय शायद ही खरीद पाएं। सो दोस्तो सचिन की आत्मकथा पढऩे का खयाल दिल से निकालना ही बेहतर होगा।
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जवाब देंहटाएंफिलिम त्रिशूल में सलीम जावेद का एगो बड़ा ज़बर्दस्त डाय्लोग है जो अमित जी बोलते हैं संजीब कुमार से, “मिस्टर आर. के. गुप्ता! दुनिया मे हर वो चीज़ जो बिज़नेस नहीं है, आप्को समझ में नहीं आती है.” गौर से देखिए सदी के ई महानतम खिलाड़ी को, आप भी सायद (काहे कि अईसा बोलने वाले को हमरे तरह पागल बोलेगा लोग) एही डाय्लोग बोलने पर मजबूर हो जाइएगा.
जवाब देंहटाएंभैया पंचू, सचिन भारत के ही नहीं वरन् दुनिया के श्रेष्ठ खिलाड़ी हैं। सबसे पहले तो यह खबर बताने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया की सचिन पर कोई किताब आने वाली है। यह अच्छी बात है। सचिन पर पहले भी कई किताबें आ चुकी हैं। हो सकता है भविष्य में और आएं। यह किताब कितनी श्रेष्ठ और पूर्ण होगी यह तो बाजार में आने पर ही पता चलेगा, कीमत से इसका अंदाजा नहीं लगाना चााहिए। बहुत सारी घटिया चीजें महंगी मिलती हैं और अच्छी चीजें सस्ती। पहलीे बात तो यह कि जिस खून का आपने जिक्र किया है वह गलत है, इसकी किताबों में कोई जरूरत नहीं। यह सब ड्रामा है। मुझे लगता है सचिन को खुद आगे आकर इस तरह की ड्रामे से बचने के लिए कहना चाहिए। किताब आना अच्छी बात है। अगर कोई इसे नहीं खरीद सकता तो कम दामों पर भी उनसे संबंधित कई किताबें हैं उन्हें खरीदिए और पढि़ए।
जवाब देंहटाएंबाकी बात किताब आने के बाद.....
भाई पंचू जी, खुशी की बात है कि इतने महान क्रिकेट पर किताब लिखी जा रही है। मैं आपकी बात से सहमत हूं। इसमें कुछ ऐसा होना चाहिए कि वह किताब सामान्य लोगों तक भी पहुंच सके। इंशा-अल्लाह ऐसा होगा। जाहिर है, किताब लोकप्रिय होगी ही। हमें निराश होने की जरूरत नहीं है। निश्चित ही, इसकी लोकप्रियता को देखते हुए विकल्प खोजा जाएगा। जिससे हम जैसे लोगों को भी सचिन पर लिखी जाने वाली तेंदुलकर ओपस पढऩे का मौका मिले।
जवाब देंहटाएंInteresting info, interestingly presented.
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