गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

मणिशंकर का पाकिस्तान प्रेम

 पूर्व  कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर की पहचान विवादित वक्तव्यों के लिए हो गई है। आपत्तिजनक बयान के कारण ही कांग्रेस ने कुछ समय पहले उन्हें पार्टी से निलंबित किया है। उनकी दूसरी पहचान पाकिस्तान भक्त और पाकिस्तान प्रेमी की भी बन गई है। अकसर उनकी जुबान से पाकिस्तान के लिए प्रेम टपक आता है। एक बार फिर मणिशंकर अय्यर का पाकिस्तान प्रेम प्रकट हुआ है। उन्होंने कहा है कि उन्हें पाकिस्तान में मिले प्यार से ज्यादा भारत में नफरत मिलती है। यह बयान उन्होंने कराची जाकर दिया है। जिस समय भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जूझ रहा है, उसी समय भारत के नेता का यह कहना कि वह पाकिस्तान से प्रेम करते हैं, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मणिशंकर का यह बयान उन परिवारों के जख्मों पर नमक की तरह है, जिन्होंने सुंजवान एवं श्रीनगर में हुए आतंकी हमलों में अपने बेटों को सदैव के लिए खो दिया है। पाकिस्तान के प्रति प्रेम प्रकट करने का यह सर्वथा अनुचित समय अय्यर ने चुना है।
          हद तो यह है कि पाकिस्तान के प्रति प्रेम प्रकट करने और वहाँ के नागरिकों की तालियाँ बटोरने के लिए मणिशंकर दुश्मन की जमीन पर अपने देश की नीति की आलोचना कर बैठे। यह कल्पना करना भी कठिन है कि भारत का कोई नेता शत्रु देश की जमीन पर उसकी सराहना और अपने देश की आलोचना करे। किंतु, मणिशंकर जैसे नेताओं के संदर्भ में यह अकल्पनीय बात नहीं है। वह ऐसे नेता हैं, जो अपने देश की सरकार को गिराने के लिए पाकिस्तान से मदद भी माँगते पकड़े गए हैं। जब पाकिस्तान के समाचार चैनल पर मणिशंकर यह बोल रहे थे कि मोदी को हटाइये, हमको लाइये, तब कई लोगों ने कहा था कि उनकी जुबान फिसल गई। किंतु, उनका हालिया बयान बताता है कि उन्हें भारत से नहीं अपितु पाकिस्तान से अधिक प्यार है। 
          कराची में जाकर मणिशंकर अय्यर ने कहा- 'भारत और पाकिस्तान के बीच के मुद्दों को सुलझाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है- निरंतर और निर्बाध बातचीत। मुझे बहुत गर्व है कि पाकिस्तान ने इस नीति को स्वीकार कर लिया है, लेकिन दु:खी भी हूं कि इसे (वार्ता) भारतीय नीति के तौर पर नहीं अपनाया गया है। बातचीत को भारतीय नीति के तौर पर अपनाने की जरूरत है।' मणिशंकर शायद भूल गए हैं कि कांग्रेस जब सत्ता में थी तब उसने ही यह तय किया था- 'पाकिस्तान के साथ गोली और बोली, एकसाथ नहीं चल सकती।' भारत की वर्तमान सरकार भी उसी नीति को आगे बढ़ा रही है। यह उचित भी है। आखिर ऐसे हालात में बातचीत कैसे संभव है कि पाकिस्तान भारत पर आतंकी हमलों को प्रोत्साहित करे, सीमा पर आए दिन गोलाबारी करे और हम उसके साथ बातचीत करें। बातचीत के लिए शांत वातावरण की आवश्यक है। 
          वर्तमान सरकार ने भी अपने प्रारंभिक समय में पाकिस्तान को बातचीत का भरपूर अवसर दिया है। यहाँ तक कि तमाम आलोचनाओं को दरकिनार कर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर चले गए थे। ऐसा भी नहीं है कि अब भारत ने पाकिस्तान से बातचीत के सभी दरवाजे बंद कर दिए हैं। भारत अब भी बातचीत का प्रस्ताव देता है, किंतु पाकिस्तान को बातचीत के प्रस्ताव पसंद कहाँ आते हैं। दुनिया इस बात की गवाह है कि भारत ने सदैव ही बातचीत की नीति को प्राथमिकता दी है, जबकि पाकिस्तान ने हर क्षण पीठ पर ही वार किया है। पाकिस्तान वह देश है, जिसने अपने पड़ोसी देशों, विशेषकर भारत के प्रति सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति बना लिया है। मणिशंकर अय्यर जैसे नेता पाकिस्तान की नीति को नहीं समझ पाते हैं, यह घोर आश्चर्य का विषय है। या फिर वह सब जानकर भी सिर्फ पाकिस्तानी नागरिकों की तालियाँ चाहने के लिए झूठ बोल रहे हैं। एक ओर मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान की तारीफ कर रहे हैं, वहीं दुनिया के प्रमुख देश पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित कराने के लिए प्रयासरत् हैं। 

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-02-2017) को "कूटनीति की बात" (चर्चा अंक-2883) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बैंक की साख पर बट्टा है ये घोटाला : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  3. ऐसे लोगों को डर क्या होता है सीखाना चाहिए

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