हो गई चार साल की छोकरी
बाँधकर चलती है बातों की पोटली।
पोटली में बातें, रंग-बिरंगी
सतरंगी
बातें खट्टी-मीठी, अदा नखराली।
समय की जैसी मांग, हाजिर वैसी
बात
मीठी बातों में लेकर तुम पोटने वाली।
पोटली में बातें, दुनिया जहान
की
मैं सुनने वाला और तुम सुनाने वाली।
छकपक-छकपक चलती बातों की रेल
सुबह से शाम तक, बेरोकटोक चलने
वाली।
पोटली में बातें, मतलब-बेमतलब
सुननी होंगी सब, लड़की ज़िद
वाली।
खजाने से भी कीमती ये पोटली
मन बहलाये, बोली उसकी
तोतली।
मैं सुनता रहूं और तुम सुनाती रहो
कभी न हो खाली, तुम्हारी ये
पोटली।
- लोकेन्द्र सिंह -
ऋष्वी को स्नेह व शुभकामनाएं और इतनी प्यारी बेटी के पिता होने की हार्दिक बधाई .
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