सोमवार, 29 मई 2023

नये भारत की नयी संसद

भारत की नयी संसद की पहली झलक / First Look of New Parliament Building

स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भारत को अमृतकाल में उसका नया और स्वदेशी संसद भवन मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब धर्मदंड ‘सेंगोल’ को नवीन संसद के लोकसभा में अध्यक्ष की आसंदी के समीप स्थापित किया तब भारत के इतिहास में दिनांक 28 मई, 2023 सदैव के लिए अंकित हो गई है। लोकसभा की आसंदी के समीप स्थापित यह सेंगोल हमारे राजनेताओं को प्रेरणा देगा। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्यपथ, सेवापथ और राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता था। राजादी और आदीनम के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था। यह सेंगोल भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था लेकिन उस समय इसे यथोचित सम्मान और स्थान नहीं दिया गया। बल्कि सिंगोल की प्रतिष्ठा गिराते हुए उसे आनंद भवन में बनाए गए संग्रहालय में ‘चलने में सहायक छड़ी’ के रूप में प्रदर्शित किया गया। माना कि पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय परंपराओं एवं धर्म से दूरी बनाकर चलते थे, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं होना चाहिए था कि धार्मिक, सांस्कृतिक एवं भावनात्मक महत्व के ‘सेंगोल’ की उपेक्षा इस तरह की जानी चाहिए थी।

गुरुवार, 25 मई 2023

सांस्कृतिक पुनर्जागरण के पथ पर अग्रणी भूमिका में मध्यप्रदेश

पिछले आठ-दस वर्षों का सिंहावलोकन करने पर ध्यान आता है कि यह भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का दौर है। इस अमृतकाल में भारत अपने ‘स्व’ की ओर बढ़ रहा है। अयोध्या में भव्य एवं दिव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। श्रीराम ने जिस संघर्ष और धैर्य के मार्ग को चुना था, उनके भक्तों ने भी मंदिर निर्माण के लिए उसी का अनुसरण किया। अब बेहिचक सरयू के तट पर दिव्य दीपावली मनायी जाती है। केदारधाम से लेकर काशी के विश्वनाथ मंदिर और अवंतिका (उज्जैन) में बाबा महाकाल का लोक साकार रूप ले रहा है। भारत जब करवट बदल रहा है, तब मध्यप्रदेश सांस्कृतिक पुनर्जागरण की बेला में कहाँ पीछे छूट सकता है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार भी अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने-संवारने में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इस संदर्भ में ‘राम वन गमन पथ’ के निर्माण का निर्णय करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो कहा, उसे समझना चाहिए- “आज देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए हम प्रतिबद्ध हैं”। मुख्यमंत्री का यह वक्तव्य संकेत करता है कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान के इस दौर में मध्यप्रदेश चूकना नहीं चाहता है। स्वतंत्रता के समय से ही भारत को अपने सांस्कृतिक मान-बिंदुओं को संवारने का जो काम शुरू कर देना चाहिए था, वह अब जाकर शुरू हो रहा है, तो फिर अब रुकना नहीं है। श्रीसोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के समय जो हिचक हमारे स्वतंत्र भारत के प्रारंभिक नेतृत्व ने दिखायी, उस व्यर्थ की हिचक से वर्तमान नेतृत्व मुक्त है। हमारे वर्तमान नेतृत्व को न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गौरव है अपितु वह उसके संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध भी दिखायी देता है।

बुधवार, 24 मई 2023

हवाई जहाज से तीर्थ दर्शन : शिवराज सरकार को मिल रहा है बुजुर्गों का आशीर्वाद

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर मध्यप्रदेश सरकार ने अपनी महत्वपूर्ण योजना ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’ का विस्तार करते हुए अब तीर्थयात्रियों को हवाई जहाज से यात्रा करना शुरू किया है। प्रदेश सरकार के इस नवाचारी प्रयोग को लेकर उत्साह का वातावरण है। सभी वर्गों की ओर से सरकार की सराहना की जा रही है कि सरकार ऐसे लोगों को हवाई जहाज से तीर्थयात्रा सम्पन्न करने का अवसर दे रही है, जिनके लिए तीर्थयात्रा और हवाई जहाज में बैठना, दोनों ही कठिन काम थे। पहले दो जत्थे जब हवाई जहाज से यात्रा पर गए, तब उनके चेहरे पर प्रसन्नता के जो भाव उभरकर आ रहे हैं, वे इस बात की पुष्टी करते हैं कि सरकार को इन बुजुर्गों का खूब आशीर्वाद मिल रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी का सम्मान, भारत का अभिमान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरे से आए एक दृश्य ने समूचे भारत को गौरव का अवसर दे दिया। प्रधानमंत्री मोदी एफआईपीआईसी के तीसरे अधिवेशन में शामिल होने के लिए ‘पापुआ न्यू गिनी’ पहुँचे थे। यहाँ प्रधानमंत्री मोदी का सभी शासकीय प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत-अभिनंदन किया गया। इस देश में सूर्यास्त के बाद शासकीय स्वागत नहीं किया जाता। परंतु जब प्रधानमंत्री मोदी यहाँ पहुँचे तब न केवल शाही स्वागत किया गया अपितु पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने तो दो कदम आगे बढ़कर प्रधानमंत्री मोदी के पैर ही छू लिए। यह अभूतपूर्व और अद्भुत घटना है, जब विश्व इतिहास में किसी राष्ट्र प्रमुख का सम्मान दूसरे देश के राष्ट्र प्रमुख ने पैर छूकर किया। इस दृश्य से जहाँ प्रत्येक भारतीय का मन गदगद है, वहीं भारत के विचार की पताका भी विश्व पटल पर थोड़ी और ऊंची हुई है। यह सम्मान केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नहीं है, अपितु उनके नेतृत्व में भारत का विचार जिस तरह प्रखर होकर विश्व के सम्मुख आ रहा है, यह उस भारतीय विचार का भी सम्मान है।

रविवार, 21 मई 2023

चंदेरी सिल्क की साड़ियों के लिए ही नहीं, प्राकृतिक सौंदर्य एवं ऐतिहासिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है

चंदेरी का प्रमुख पर्यटन स्थल-बादल महल / फोटो- लोकेन्द्र सिंह

मध्यप्रदेश के जिले अशोकनगर में बेतवा (बेत्रवती) एवं ओर (उर्वसी) नदियों के मध्य विंध्याचल की सुरम्य वादियों से घिरा ऐतिहासिक नगर चंदेरी और उसका दुर्ग हमारी धरोहर है। यह नगर महाभारत काल से लेकर बुंदेलों तक की विरासत को संभालकर रखे हुए है। चंदेरी न केवल अपनी समृद्धि की कहानियां सुनाता है अपितु अपनी सांस्कृतिक-धार्मिक विरासत, त्याग, प्रेम और शौर्य, समर्पण, वीरता एवं बलिदान की गाथाओं से भी पर्यटकों को गौरव की अनुभूति कराता है। वैसे तो यह छोटा-सा सुंदर शहर अपनी रेशमी साड़ियों (चंदेरी की साड़ियों) के लिए विश्व प्रसिद्ध है परंतु यहाँ का रमणीक वातावरण और स्थापत्य आपका मन मोह लेगा। सघन वन, ऊंची-नीची पहाड़ियां, तालाब, झील, झरने अविश्वसनीय रूप से चंदेरी के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देते हैं। चंदेरी उन सबको आमंत्रित करती है- जो प्रकृति प्रेमी हैं, जिनका मन अध्यात्म में रमता है, जो प्राचीन भवनों की दीवारों से कान लगाकर गौरव की गाथाएं सुनने में आनंदित होते हैं। चंदेरी उनको भी लुभाती है, जिन्हें कला और संस्कृति के रंग सुहाते हैं। चंदेरी किसी को निराश नहीं करती है। चैत्र-वैशाख की चटक गर्मी में भी चंदेरी ने मेरे घुमक्कड़ मन को शरद ऋतु की ठंडक-सा अहसाह कराया।

रविवार, 14 मई 2023

बस 'माँ'

माँ को समर्पित इस कविता को यहाँ सुनिए- बस माँ


सृष्टि को अभिव्यक्त करना हो

शब्दों से

खींचना हो उसका चित्र

शब्दों से

अनुभूति करना हो उसकी

शब्दों से


बेहद आसान है

सृष्टि को अभिव्यक्त करना

उसका चित्र खींचना

उसकी अनुभूति करना

शब्दों से

न्यूनतम शब्दों से

मात्र एक अक्षर से

शब्द से


कह दो, सुन लो, लिख दो

बस ‘माँ’


- लोकेन्द्र सिंह -

(काव्य संग्रह "मैं भारत हूँ" से)


और कविताएं सुनने के लिए चटका लगाएं...

शनिवार, 13 मई 2023

द केरल स्टोरी : प्रतिबंध लगाकर सच को नहीं दबा पाएंगे


अपने समय के गंभीर सच को सामने लाने वाली साहसिक फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को लेकर कुछ राजनीतिक दलों, उनकी सरकारों और उनके समर्थक बुद्धिजीवियों ने एक रंग देने का प्रयास किया है जबकि यह फिल्म किसी संप्रदाय के विरुद्ध नहीं है अपितु यह तो आतंकवाद के क्रूरतम चेहरे को सामने लाने का काम कर रही है। जिस संप्रदाय से इस फिल्म को जोड़कर, फिल्म को दर्शकों तक पहुँचने से रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं, यह फिल्म उस संप्रदाय के लोगों को भी सजग करने का काम करती है। ऐसे में पश्चिम बंगाल की सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाकर एक तरह से स्त्रियों पर होनेवाले अमानवीय अत्याचार, एक घिनौनी मानसिकता से किए जानेवाले कन्वर्जन और आतंकवाद का पक्ष लिया है। आखिर यह सच सामने क्यों नहीं आना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुख्यात आतंकी संगठन या अन्य गिरोह किस तरह युवतियों को निशाना बना रहे हैं, कन्वर्जन कर रहे हैं और उनका शोषण कर रहे हैं?

गुरुवार, 4 मई 2023

‘द केरल स्टोरी’ से सामने आए कई सच

लव जिहाद, कन्वर्जन, आतंकवाद और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर बनी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को लेकर तथाकथित प्रगतिशील, मार्क्सवादी, माओवादी, लेनिनवादी और उनके साथ में तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवी हो-हल्ला मचा रहे हैं। फिल्म को दर्शकों तक पहुँचने से रोकने के लिए इस वर्ग ने एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया है। फिल्म दर्शकों के सामने न जाए इसलिए इस पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई। अच्छी बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सभी प्रकार के कुतर्कों को रद्द करते हुए ‘द केरल स्टोरी’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कुल मिलाकर फिल्म अभी आई भी नहीं है, उससे पहले ही उसने तथाकथित सेकुलर गिरोह की कलई खोलकर रख दी है। अभिव्यक्ति और सिनेमाई स्वतंत्रता का झंडाबरदार यह समूह वास्तव में असहिष्णु और तानाशाही है। यह समूह वास्तव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पक्षधर नहीं अपितु उसका विरोधी है।

मंगलवार, 2 मई 2023

‘लाडली लक्ष्मी उत्सव’ : बेटियों को प्रोत्साहित करती शिवराज सरकार

भोपाल से प्रकाशित दैनिक समाचारपत्र 'सुबह सवेरे' में 2 मई 2023 को प्रकाशित

मध्यप्रदेश में बेटियों को लेकर एक सकारात्मक एवं भावनात्मक वातावरण बन गया है। आज मध्यप्रदेश की बेटियां खूब पढ़ रही हैं और आगे बढ़ रही हैं। प्रत्येक कार्यक्षेत्र में भी अपना योगदान दे रही हैं। खेल के मैदान हों, या जोखिम भरी एवरेस्ट की चढ़ाई, बेटियों के कदमों को अब रोका नहीं जाता अपितु उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सब सहयोगी की भूमिका में हैं। लड़ाकू विमान उड़ानेवाली पहली महिला फाइटर पायलट में भी मध्यप्रदेश की बेटी का नाम शामिल है। बेटियां अपने पग से जल, थल, नभ को नाप रही हैं। मध्यप्रदेश में यह बदलाव अचानक नहीं आया है। बेटियों के लिए बना यह वातावरण ‘संकल्प से सिद्धि’ का उदाहरण है। बेटियों के प्रति संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक संकल्प लिया कि वे बेटियों को प्रोत्साहित करनेवाला वातावरण बनाएंगे। इसके लिए उनकी पहल पर 16 वर्ष पूर्व 1 अप्रैल 2007 को मध्यप्रदेश सरकार ने ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ शुरू की। स्वयं को प्रदेश की बेटियों का ‘मामा’ घोषित करके ‘बेटी बचाओ’ का नारा दिया। मुख्यमंत्री का यह विचार इतना शक्तिशाली एवं प्रभावशाली था कि लोकप्रिय राजनेता नरेन्द्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने इस नारे को राष्ट्र का नारा बना दिया और ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का आह्वान किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की सरकार यहीं नहीं रुकी, अपितु बेटियों को संरक्षण और संबल देने के लिए प्रयास अनेक स्तर पर किए गए। इस सबमें अधिक महत्वपूर्ण है कि उन्होंने इस मुद्दे पर जनता से सीधे और लगातार संवाद किया। जब एक जनप्रिय राजनेता नागरिक समाज से कोई आग्रह करता है, तब उसका सुफल परिणाम आने की संभावनाएं अधिक होती हैं।

सोमवार, 1 मई 2023

अहम् से वयम् की यात्रा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जनप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी पर ‘अपने मन के विचार’ आकाशवाणी, भोपाल से प्रसारित हुए

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जनप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी में देशवासियों के साथ आत्मीय संवाद किया। उनके इस संबोधन में भावुकता, अपनत्व और संवेदनशीलता झलकती है। असल में ‘मन की बात’ कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी के लिए बहुत महत्व रखता है, यह उनके दिल से जुड़ा हुआ कार्यक्रम है। प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह कोई कर्मकांड नहीं है, बल्कि वे पूरी सिद्धत के साथ ‘मन की बात’ करते हैं। देशभर से ऐसी घटनाओं और व्यक्तियों को चुनते हैं, जो तपस्या की तरह समाज हित में काम कर रहे हैं। अभावों में रहकर भी देश, समाज और प्रकृति को संवारने में जुटे हुए हैं। ‘मन की बात’ के माध्यम से ऐसे लोगों का देशवासियों से परिचय कराते समय कई बार प्रधानमंत्री भावुक हुए हैं। 100वें अंक में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को स्वीकार भी किया। उनका जिस प्रकार का स्वभाव और अंतःकरण है, उसके कारण यकीनन कई अवसर आते होंगे जब उनकी आंखें भर आती होंगी। उन्होंने अपने लंबे सामाजिक जीवन में वह सब देखा भी है, इसलिए उससे जुड़ना उनके लिए स्वाभाविक है।