रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता का मंत्र देनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज
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सिंहगढ़ किले पर तानाजी मालुसरे और अन्य मावलों की अलग-अलग हथियारों के साथ प्रतिमाएं बनी हुई हैं। |
एक उन्नत राष्ट्र के लिए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। शासन में ‘स्व बोध’ की स्थापना करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज ने रक्षा उत्पादन में भी स्वदेशी के महत्व को स्थापित किया। उन्होंने पैदल सैनिकों के हथियारों से लेकर नौसेना के लिए लड़ाकू जहाज तक स्वदेशी तकनीक पर तैयार कराए थे। सैन्य उपकरणों एवं हथियारों के निर्माण में छत्रपति की दृष्टि अत्यंत सूक्ष्म थी, वे देश-काल-परिस्थिति को ध्यान में रखकर हथियारों के डिजाइन को अंतिम रूप देते थे। छत्रपति ने विदेशी नौकाओं एवं जहाजों की होड़ करके वैसे ही बड़े जहाज नहीं बनवाए बल्कि उन्होंने अपने समुद्री तटों पर तेजी से चलनेवाली छोटी नौकाओं पर जोर दिया। इन्हीं छोटी लड़ाकू नौकाओं ने अंग्रेजों, पुर्तगालियों और मुगलों के हथियारों से सुसज्जित सैन्य जहाजों को हिन्द महासागर के किनारे पर डुबो दिया था। हिन्दवी स्वराज्य की नौसेना के बेड़े में बड़े आकार के जहाज भी शामिल थे।