आज देवज्ञ के
विद्यालय में एक प्रतियोगिता का आयोजन था, जिसमें बच्चों को महान क्रांतिकारी/स्वतंत्रता
सेनानी की वेशभूषा में शामिल होना था। देवज्ञ ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का रूप
धर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और द्वितीय स्थान भी प्राप्त किया। देवज्ञ ने आठ
वर्षीय केशव के उस प्रसंग को भी प्रस्तुत किया, जिसमें उत्कट देशभक्ति की भावना प्रकट
होती है।
यह प्रसंग 22 जून, 1897 का
है। ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के राज्यारोहण के 60 वर्ष
पूरे होने पर पूरे भारत में जश्न मनाया जा रहा था। केशव के स्कूल में भी मिठाई
बांटी गई, किन्तु उन्होंने अपने हिस्से की मिठाई फेंकते हुए कहा-
"मैं यह मिठाई नहीं
खा सकता। क्योंकि, विक्टोरिया हमारी महारानी नहीं।"
जब
यह वाक्य देवज्ञ ने अपने विद्यालय में मंच से दोहराया तो परिसर तालियों की गड़गड़ाहट
से गूँज उठा। इससे पूर्व जब वह बालक केशव हेडगेवार के रूप में विद्यालय पहुंचा था तब
कोई यह नहीं पहचान सका था कि वह किस क्रांतिकारी/स्वतंत्रता सेनानी के भेष में आया
है। परन्तु, जब उसने भाव-भंगिमा बनाते हुए मंच से कहा-
"मैं केशव बलिराम हेडगेवार हूँ। मैं यह मिठाई
नहीं खा सकता (मिठाई फेंकने का अभिनय करते हुए)। क्योंकि, विक्टोरिया हमारी
महारानी नहीं। हमें अपने इस देश को अंग्रेजों से मुक्त कराना है। भारत माता की जय।"
देवज्ञ के इस अति संक्षिप्त अभिनय के बाद
विद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक एवं पहले सरसंघचालक डॉ. केशव
बलिराम हेडगेवार चर्चा को जानने की उत्सुकता शिक्षकों एवं अन्य लोगों में बढ़ गई।
जब उसकी शिक्षिका ने पूछा कि कौन थे, डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार? तब देवज्ञ ने एक
पर्चा अपनी जेब से निकला और उन्हें दे दिया, जिस पर मैंने उनके परिचय में दस
पंक्तियाँ ही लिखीं थीं।
Little knowledge
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No destination.