अमरकंटक में जब हम नर्मदा उद्गम स्थल के समीप पहुँचते हैं, तब धवल रंग के मंदिरों का समूह बरबस ही हमें आकर्षित करता है। 24 मंदिरों वाले इसी परिसर में स्थित है नर्मदा कुण्ड, जहाँ से सदानीरा माँ नर्मदा का उद्गम हुआ है। श्री नर्मदा मंदिर के निर्माण के संबंध में कोई प्रमाण उपलब्ध नही हैं। यह मंदिर बहुत प्राचीन हैं। मंदिरों का निर्माण किसने कराया, यह भी कहा नहीं जा सकता। चूँकि माँ नर्मदा के उद्गम कुण्ड में रेवा नायक की प्रतिमा स्थित है। इसलिए यह माना जा सकता है कि प्रारंभिक तौर पर माँ नर्मदा मंदिर का निर्माण रेवा नायक नाम के व्यक्ति ने कराया होगा। रेवा नायक के नाम पर ही माँ नर्मदा का एक नाम रेवा है। आठवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने यहाँ बंसेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की और नर्मदा कुण्ड बनवाया। उस समय यहाँ बांस के बहुत पेड़ थे, इसलिए आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित महादेव को बंसेश्वर महादेव कहा गया। बाद में, अन्य राजाओं-महाराजाओं ने मंदिर परिसर के निर्माण में अपना योगदान दिया है।
माँ नर्मदा मंदिर और उद्गम स्थल वीडियो में देखें -
18वीं सदी में यहाँ नागपुर के भोंसले शासकों ने केशव नारायण मंदिर का निर्माण कराया। इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने भी मंदिरों एवं कुण्ड का जीर्णोद्धार कराया। इसके अलावा 1939 में रीवा के महाराज गुलाब सिंह ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और चारों ओर दीवार बनवाई। कहते हैं कि जीर्णोद्धार का कार्य मुस्लिम कारीगर कर रहे थे, तो उन्होंने मंदिर का प्रवेश द्वारा ऐसा बना दिया जो देखने पर किसी इदगाह का प्रवेश द्वार लगता था। जब महाराज ने कहा कि यह क्या कर दिया? तक एक कारीगर ने बुद्धिमानी दिखाते हुए प्रवेश द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा उकेर दी। मंदिर परिसर में ही हाथी और घोडे पर सवार लाखन और उदल की खंडित प्रतिमाएं स्थापित हैंं। दोनों प्रतिमाओं के सिर धड़ से अलग कर दिए गए हैं। धर्मान्ध मुगल शासक औरगंजेब के शासन काल में जब मंदिरों और मूर्तियों को नष्ट करने का अभियान चल रहा था, उस समय इन प्रतिमाओं को खण्डित किया गया। माँ नर्मदा के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु हाथी की प्रतिमा के नीचे से निकलते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। मंदिर सुबह 6 बजे खुलता है और शाम 8 बजे माँ नर्मदा की आरती के बाद बंद होता है।
नर्मदा कुंड / नर्मदा उद्गम स्थल
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्री बन्सेश्वर महादेव मंदिर
माँ नर्मदे मुग़लों का और जयचंदों का नरसंहार करें
जवाब देंहटाएंBudhram sahu
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