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शनिवार, 6 अप्रैल 2019

नववर्ष, नयी आकांक्षाएं


आज (चैत्र, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा) से भारतीय नववर्ष (विक्रम संवत-2076) प्रारंभ हो रहा है। देशभर में उत्साह का वातावरण है। उल्लास के साथ हम सब अपने नववर्ष का स्वागत कर रहे हैं। 'विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भावना हो' का संकल्प प्रतिदिन करने वाले हम भारत के लोग सज्ज हैं, नये शुभ संकल्पों के लिए, नये सशक्त भारत के लिए, सुंदर विश्व के लिए। पिछला वर्ष भारत के लिए उपलब्धियों भरा रहा है। विश्व की शीर्ष पाँच अर्थव्यवस्थाओं में हमने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। अगले पड़ाव की ओर तेजी से अग्रसर हैं। 'मिशन शक्ति' से अंतरिक्ष में अपनी शक्तिशाली उपस्थिति दर्ज कराने वाले हम चौथे देश बन गए हैं। वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मार कर शौर्य का नया अध्याय लिखा है। आतंकवाद के विरुद्ध हम अकेले अपनी लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे पर अब फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और अमेरिका भी मुखर हैं।
          पिछले पाँच वर्षों में एक आकांक्षावान भारत ने लंबे अरसे बाद फिर से दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। विश्व पटल पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी। हम सबके साझा प्रयासों से यह सब संभव हो सका है। आज भारत एक ऐसे स्थान पर खड़ा है, जहाँ से वह आगे भी जा सकता है और पीछे भी लौट सकता है। भारत ने पिछले पाँच वर्ष में जो गति और राह पकड़ी है, वह बरकरार रही तो आगे जाना और विजय लगभग सुनिश्चित है। किंतु, यदि छोटी-सी भूल हो गई तो सब मेहनत बेकार जाएगी और हमें फिर पीछे लौटना पड़ेगा। इसलिए यह समय हम सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 
          दर्शन के विद्वान इसे संक्रमण काल कह रहे हैं। सकारात्मकता एवं नकारात्मकता में संघर्ष है। भारतीयता और अभारतीयता आमने-सामने है। आज वह अवसर है जब भारतीयता का पलड़ा भारी हो गया तो आगे सब शुभ है। अन्यथा यह देश आजादी के बाद से संघर्षरत है, वही संघर्ष आगे भी जारी रहेगा। देश की जनता के सामने अवसर आया है कि वह भारत का भविष्य चुने। स्वार्थ, लोभ, जाति से ऊपर उठकर देशहित में निर्णय ले। हमारा चयन ही भविष्य के भारत की तस्वीर तय करेगा। 
           देश में कुछ नकारात्मक शक्तियां अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अत्यधिक सक्रिय हैं। यह ताकतें देश के सामान्य जन को भ्रमित करने की यथासंभव प्रयास कर रही हैं। लेकिन, देश के नागरिकों को अपने विवेक को जाग्रत रखना है। जिस प्रकार पृथ्वीराज चौहान ने एकाग्र होकर अपने राज कवि चंद्रवरदाई के संकेत को पकड़ कर अपना लक्ष्य भेदा था, उसी तरह देश के नागरिकों को अपने अंतर्मन की आवाज सुनना चाहिए। 'चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।' 
          आने वाले समय में ठीक निर्णय हुआ तो यहाँ से भारत तेज गति से आगे बढ़ सकता है। इस नववर्ष चुनौती बड़ी है। हमें नये संकल्प के साथ इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए। हमारा एक निर्णय संपूर्ण भारत का नूतन वर्ष मंगलमय कर सकता है।
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