पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने मुल्क के वास्तविक चरित्र पर पर्दा डालने के लिए अनेक प्रयास कर रहे हैंं। धार्मिक कट्टरवाद और आतंकियों की शरणस्थली की पहचान से बाहर निकलना पाकिस्तान की मजबूरी भी बन गई है। इस संदर्भ में उन्होंने पिछले दिनों अल्पसंख्यकों को समानता का अधिकार देने का दावा किया था। उन्होंने दुनिया को यह भरोसा दिलाने का प्रयास किया था कि यह नया पाकिस्तान है, जहाँ सबको स्वतंत्रता एवं समानता का अवसर मिलेगा। अब भला इमरान खान को कौन बताए कि बातें करने से 'नया पाकिस्तान' नहीं बनेगा। उसके लिए सामर्थ्य दिखाना पड़ेगा, आतंकी और चरमपंथी ताकतों से लडऩा पड़ेगा। कट्टर सोच को कुचलना पड़ेगा। यह सब करने का माद्दा इमरान खान में नहीं है। वह सिर्फ गाल बजा सकते हैं। हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार से अल्पसंख्यकों को समानता का अधिकार देने के दावे की पोल अपनेआप ही खुल जाती है। सिंध प्रांत में होली के दिन हिंदू परिवार की दो नाबालिग बेटियों को अगवा कर लिया जाता है, उनका कन्वर्जन किया जाता है और जबरन शादी करा दी जाती है। किंतु, इमरान खान के नये पाकिस्तान का पुलिस प्रशासन सोया रहता है। इतने जघन्य अपराध की शिकायत दर्ज कराने के लिए भी हिंदुओं को एकजुट होकर प्रदर्शन करना पड़ता है।
दरअसल, पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का अगवा करने के पीछे जेहादी मानसिकता काम करती है। सिंध प्रांत में कन्वर्जन का यह भद्दा खेल लंबे समय से चल रहा है। जब से पाकिस्तान का निर्माण हुआ है, तब से वहाँ हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। पाकिस्तान में हिंदुओं की लगातार घटती जनसंख्या के आंकड़े चीख-चीख कर कहते हैं कि वहाँ हिंदुओं को खत्म करने का अभियान चलाया गया है। सर्वोच्च हिंदू अमेरिकी संस्था 'द हिंदू अमेरिका फाउंडेशन' की वर्ष 2014-15 की रिपोर्ट में विस्तार से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाले अपराधों की जानकारी दी गई है। फाउंडेशन ने अपने अध्ययन में पाया कि हिंदू अल्पसंख्यक विभिन्न स्तरों के वैधानिक और संस्थागत भेदभाव, धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी, सामाजिक पूर्वाग्रह, हिंसा, सामाजिक उत्पीडन के साथ ही आर्थिक और सियासी रूप से हाशिये वाली स्थित का सामना करते हैं। हिंदू महिलाएं खास तौर पर इसकी चपेट में आती हैं। बांग्लादेश तथा पाकिस्तान जैसे देशों में हिंदू महिलाओं विशेषकर नाबालिक लड़कियों को अपहरण, बलात्कार, कन्वर्जन और जबरन शादी जैसे अपराधों का सामना करना पड़ता है।
एक बार फिर पाकिस्तान का असली चरित्र दुनिया के सामने आया है। दो नाबालिग लड़कियों के अपहरण, उनके साथ ज्यादती, जबरन कन्वर्जन एवं शादी की इस घटना ने पाकिस्तान में पल रही कट्टरवादी सोच को कठघरे में खड़ा किया है। भारत सरकार को पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद के साथ-साथ इस धार्मिक कट्टरपंथ से भी लडऩा होगा। पिछले कुछ वर्षों में जिस प्रकार भारत ने विश्व पटल पर यह स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है कि पाकिस्तान आतंक का अड्डा बन गया है, उसी तरह अब पाकिस्तान में पल रहे चरमपंथ पर भी चोट करने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने इस घृणित कृत्य पर संज्ञान लिया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीय उच्चायोग से पूरे प्रकरण की रिपोर्ट माँगी है। जब तक दोनों बच्चियों और उनके परिवार को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक भारत को इस मामले पर सक्रिय बने रहना चाहिए।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व रंगमंच दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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