Pages

शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2017

संघ के प्रति दुष्प्रचार कांग्रेस का एकमात्र ध्येय

कल्पना परुलेकर को मिली सजा से नहीं लिया सबक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद गुड्डू ने आरएसएस को बदनाम करने फेसबुक पर साझा किया फर्जी चित्र
यह फर्जी फोटो है,
असली फोटो लेख के आखिर में देखें
 राजनीति  में अपने विरोधियों को घेरने के लिए झूठ और तथ्यहीन जानकारियों का उपयोग अमर्यादित ढंग से करने की प्रवृत्ति में बढ़ गई है। यह प्रवृत्ति स्वच्छ राजनीति के लिहाज से कतई अच्छी नहीं है। विरोध करना और अपने विरोधी को घेरना अपनी जगह ठीक है, लेकिन इसके लिए झूठ का सहारा लेकर उनकी छवि बिगाड़ना उचित नहीं ठहराया जा सकता। इस प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने की आवश्यकता है। इस दिशा में राजनेताओं, पार्टियों और संगठनों ने संज्ञान लेना प्रारंभ किया है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2011 में कांग्रेस की तत्कालीन विधायक कल्पना परुलेकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करने के लिए फर्जी तस्वीर का उपयोग किया था। पिछले दिनों ही कांग्रेस की पूर्व विधायक कल्पना परुलेकर को फर्जी फोटो के मामले में न्यायालय ने सजा सुनाई है। किंतु लगाता है कि कांग्रेस के नेता अपनी गलतियों से सबक लेने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि कल्पना परुलेकर को मिली सजा से सबक न लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करने के लिए फर्जी फोटो का सहारा लिया है। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया को सलामी देते हुए स्वयंसेवकों का फोटो साझा किया है। यह दो फोटो को मर्फ करके बनाया गया फर्जी फोटो है, जो एबीपी न्यूज चैनल के वायरल सच कार्यक्रम में भी झूठा साबित हो चुका है। संघ के इंदौर विभाग के प्रचार प्रमुख सागर चौकसे ने इस मामले में प्रेमचंद गुड्डू और अन्य के विरुद्ध हीरा नगर थाने (इंदौर) में शिकायत दर्ज कराई है। इसके साथ ही इंदौर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक और इंदौर के पुलिस अधीक्षक को त्वरित कार्रवाई के लिए ज्ञापन दिया है। हालाँकि, पुलिस में शिकायत के बाद और अपने झूठ की पोल खुलने पर कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने फर्जी फोटो और आपत्तिजनक संदेश अपने फेसबुक पेज से हटा लिया है।
          कांग्रेस के इस झूठ को उजागर करने वाले संघ के कार्यकर्ता सागर चौकसे ने बताया कि कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू ने अपने अधिकृत फेसबुक पेज पर फोटो और उसके साथ आपत्तिजनक संदेश जारी किया। फोटो में ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया को सलामी देते हुए स्वयंसेवकों को दिखाया गया। इस फोटो के साथ कांग्रेस नेता ने संदेश लिखा है कि देश की आजादी में संघी गिरोह के योगदान की एक छोटी-सी झलक। संदेश की भाषा शैली और शब्द चयन से स्पष्ट है कि कांग्रेस नेता ने यह फोटो संघ को बदनाम करने के लिए अपने फेसबुक पेज और सोशल मीडिया पर साझा किया था। संघ को बदनाम करने के लिए विक्टोरिया का फोटो स्वयंसेवकों के फोटो के साथ शरारतपूर्ण ढंग से जोड़ा गया है। जबकि वास्तविक फोटो में सिर्फ स्वयंसेवक दिख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यह झूठ बहुत पहले से चल रहा है। कांग्रेस और वामपंथी समूह के 'गोएबल्स' राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की देशभक्त छवि को धूमिल करने के लिए इस प्रकार के झूठ प्रचारित-प्रसारित करते रहते हैं। चूँकि झूठ के पैर नहीं होते, इसलिए वह सत्य की जमीन पर टिकते नहीं है। इस झूठ का नकाब पहले भी उतर चुका है। एबीवी न्यूज चैनल ने अपने चर्चित कार्यक्रम 'वायरल सच' में 'स्वयंसेवकों द्वारा महारानी विक्टोरिया को सलामी' देने वाले इस फोटो का पोस्टमार्टम किया था, जिसमें यह फोटो फर्जी सिद्ध हो चुका है। उस समय यह फोटो कांग्रेस के नेता संजय निरूपम ने सोशल मीडिया में साझा किया था। फोटो साझा करने से पहले दो मिनट भी यदि कांग्रेस नेताओं ने इस फोटो को ध्यान से देखा होता, तो वह यह गलती नहीं करते। दरअसल, जिस समय का यह फोटो बताया जा रहा है, उस समय संघ की गणवेश ऐसी नहीं थी, जैसी फोटो में स्वयंसेवक पहने हुए हैं। संघ की गणवेश में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं। किंतु, जिन्हें सिर्फ संघ के नाम से ही एलर्जी हो, वह इतना भी ध्यान क्यों देंगे। यही कारण है कि संघ पर आरोप लगाने से पहले कांग्रेस के नेता थोड़ी-सी पड़ताल करना भी उचित नहीं समझते हैं। वर्तमान समय में संघ को बदनाम करना, उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना, उस पर अनर्गल आरोप लगाना, कांग्रेस में एक नया चलन बन गया है। ऐसा करने वालों की कांग्रेस पार्टी में आजकल पूछ भी बहुत है। यही कारण है कि पार्टी में अपनी साख बढ़ाने के लिए कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू और उनके साथियों ने दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक संगठन आरएसएस की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए झूठ का सहारा लिया।  
पहले भी ऐसा कर चुके हैं कांग्रेस के नेता : संघ को बदनाम करने के लिए झूठे तथ्य और फोटो का सहारा कांग्रेस के नेताओं ने पहली बार नहीं लिया है, बल्कि वह ऐसा पहले भी कई बार कर चुके हैं। हालाँकि प्रत्येक मौके पर उनका झूठ उजागर हुआ है। उज्जैन के महीदपुर से कांग्रेस की पूर्व विधायक कल्पना परुलेकर को तो फर्जी फोटो के मामले में पिछले दिनों ही न्यायालय ने दो साल की कैद और 12 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। नवंबर-2011 में फर्जी तस्वीर का उपयोग कर कल्पना परूलेकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और तत्कालीन लोकायुक्त (संवैधानिक पद) पीपी नावलेकर को बदनाम करने के लिए किया था। उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान आरोप लगाया था कि लोकायुक्त पीपी नावलेकर का आरएसएस के साथ संबंध है। प्रमाण के तौर पर उन्होंने पत्रकार वार्ता में एक तस्वीर लहराई थी। उन्होंने जो तस्वीर दिखाई थी, वह संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की थी, जिसमें छेड़छाड़ कर डॉ. भागवत के चेहरे की जगह नावलेकर का चेहरा लगा दिया गया था। 
          इसी तरह कांग्रेस ने सितंबर-2015 में हुए पेटलावद हादसे के समय आरएसएस को जबरन बदनाम करने का प्रयास किया था। कांग्रेस के पेटलावद हादसे के मुख्य आरोपी राजेंद्र कांसवा को संघ का स्वयंसेवक बताने के लिए पथसंचलन का फोटो जारी किया था, जिसमें एक स्वयंसेवक पर गोल घेरा लगाकर उसे कांसवा बताया गया था। जबकि वह फोटो मध्यप्रदेश का ही नहीं था। फोटो था पंजाब के फरीदकोट के पथ संचलन का और फोटो में कांग्रेस ने जिसे कांसवा बताया था, वह फरीदकोट का स्वयंसेवक श्यामलाल था। इस मामले में भी पेटलावद पुलिस ने धारा 469, 500 (34) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव, रतलाम-झाबुआ सांसद कांतिलाल भूरिया, प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा एवं प्रेस विज्ञप्ति जारी करने वाले संजीव श्रीवास्तव को नोटिस जारी किया था। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी संघ पर झूठा आरोप लगाने के मामले में न्यायालय में कार्यवाही का सामना कर रहे हैं। 
नेताओं की इस प्रवृत्ति पर न्यायालय की टिप्पणी : सोशल मीडिया पर इस प्रकार के फर्जी फोटो बहुत साझा किए जाते हैं, वह अलग बात है। अनेक हताश लोग अपनी खीज मिटाने के लिए सभी दलों एवं संगठनों के नेताओं के फोटो/वीडियो के साथ छेड़छाड़ करके सोशल मीडिया में प्रसारित करते हैं। उनका ऐसा करना चिंताजनक तो है, लेकिन इतना अधिक नहीं है। क्योंकि, उनकी स्वयं की विश्वसनीयता नहीं है। उनका अनुसरण भी कोई नहीं करता है। परंतु, जिम्मेदार व्यक्ति से इस प्रकार के आचरण की अपेक्षा नहीं की जाती है। क्योंकि, उनके कहे का असर समाज पर पड़ता है। उनकी बात पर कम से कम उनके अनुसरणकर्ता तो भरोसा करते ही हैं। इस संबंध में कल्पना परुलेकर मामले में न्याय करने वाले अपर-सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार की टिप्पणी बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि कल्पना परुलेकर एक संवैधानिक संस्था की सदस्य रही हैं और उनका आचरण उच्च मूल्यों के अनुसार नहीं था। किसी जनप्रतिनिधि से ऐसे आचरण की उम्मीद नहीं की जाती। इससे जनता में गलत संदेश जाता है। ऐसे कृत्यों से आधारविहीन दोषारोपण को बढ़ावा मिलता है। किसी भी राजनीतिक दल को यह अधिकार नहीं मिलना चाहिए वह अन्याय के प्रतिकार के नाम पर असंवैधानिक काम करे। 
          न्यायालय की टिप्पणी उचित ही है, एक सामान्य व्यक्ति और जनप्रतिनिधि या संवैधानिक पद पर रहे व्यक्ति के आचरण में अंतर होता है। जनप्रतिनिधि समाज का नेतृत्वकर्ता होता है, वह समाज को दिशा देने का काम करता है। यदि उसका ही आचरण ठीक नहीं होगा, तब वह समाज को क्या दिशा देगा। इसलिए कांग्रेस सहित सभी दलों के नेताओं को विचार करना चाहिए कि शुचिता की राजनीति की ओर लौटें। अपने वैचारिक या राजनीतिक विरोधी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए झूठ का सहारा न लें। समाज में झूठी, फर्जी और भ्रामक जानकारी का प्रचार-प्रसार न करें। इस प्रकार की प्रवृत्ति न तो उनके लिए ठीक है, न उनकी राजनीति के लिए और न ही समाज के लिए ठीक है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पसंद करें, टिप्पणी करें और अपने मित्रों से साझा करें...
Plz Like, Comment and Share