- लोकेन्द्र सिंह -
नर्मदाकुंड से पूर्व दिशा की ओर लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर माई की बगिया स्थित है। यह बगिया माँ नर्मदा को समर्पित है। यह स्थान हरे-भरे बाग की तरह है। एक छोटा-सा मंदिर है। यहाँ एक कुण्ड भी है, जिसे चरणोदक कुण्ड के नाम से जाना जाता है। एक मान्यता है कि नर्मदा का वास्तविक उद्गम स्थल यही स्थान है। माई की बगिया में निकली जलधारा ही आगे जाकर वर्तमान नर्मदा उद्गम मंदिर में निकली है।
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एक दूसरी मान्यता यह है कि इस बाग को नर्मदा मैया के खेलने-कूदने के लिए बनाया गया था। छुटपन में नर्मदा अपनी सखी जोहिला सहित अन्य के साथ यहाँ खेला करती थीं। पूजा-अर्चना के लिए भी इसी स्थान से माँ नर्मदा पुष्प चुना करती थी। दूसरी मान्यता कहीं न कहीं पहली मान्यता को स्थापित करती प्रतीत होती है। माई की बगिया परिक्रमावासियों का एक पड़ाव भी है। माँ नर्मदा की परिक्रमा के लिए निकले श्रद्धालुओं को यहाँ देखा जा सकता है। वे सब आनंद से यहाँ ठहरते हैं। थोड़ा विश्राम करते हैं। माई के भजन करते हुए भोजन प्रसादी तैयार कर उसे प्राप्त करते हैं।
माई की बगिया का और भी महत्त्व है। नेत्र औषधि के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण पौधे गुलबकावली की जन्म स्थली भी माई की बगिया है। गुलबकावली पुष्प के अर्क से आयुर्वेदिक 'आईड्राप' तैयार किया जाता है। अमरकंटक के वैद्य ही नहीं, अपितु सामान्य नागरिक भी बहुत सरल विधि से गुलबकावली के फूल से नेत्र औषधि तैयार कर लेते हैं। अमरकंटक इस बात के लिए भी प्रसिद्ध है कि यहाँ के जंगलों में प्रचूर मात्रा में जड़ी-बूटी पाई जाती हैं।
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