- लोकेन्द्र सिंह -
नर्मदा उद्गम स्थल से लगभग 6 किमी दूर स्थित है कपिल धारा। यह स्थान अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए तो प्रसिद्ध है ही, आध्यात्मिक ऊर्जा की दृष्टि से भी महत्त्व रखता है। यहाँ प्राचीन काल में ऋषि-मुनि साधना करते थे। यह ऋषि कपिल मुनि का तपस्थल है। माना जाता है कि सांसारिक दु:खों से निवृत्ति और तात्विक ज्ञान प्रदान करने वाले 'सांख्य दर्शन' की रचना कपिल मुनि ने इसी स्थान पर की थी। जैसे ही हम इस स्थान पर पहुँचते हैं, हमें कपिल मुनि का आश्रम या कहें कि मंदिर दिखाई देता है। उन्हीं के नाम पर इस स्थान पर बनने वाले जलप्रपात का नाम कपिल धारा पड़ा है।
वीडियो देखें : प्रकृति प्रेमियों के लिए अमरकंटक में दो खूबसूरत झरने - कपिल धारा और दूध धारा
पर्यटन की दृष्टि से कपिल धारा नर्मदा का प्रसिद्ध जल प्रपात है। लगभग 100 फीट की ऊंचाई से नर्मदा के जल की दो धाराएं नीचे गिरती हैं। शेष दिनों में यह धाराएं बहुत पतली होती हैं। जबकि बारिश के दिनों में इस झरने का वेग तीव्र होता है और जलराशि भी अधिक होती है। जब यहाँ से पानी नीचे गिरता है, तब बड़ा ही मनोहारी दृश्य बनता है। 100 फीट से नीचे गिरने के बाद नर्मदा का जल बौझार और फुआर बनकर यहाँ आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को भिगोता है। मानो नर्मदा मैया अपने तट पर आए प्रकृति प्रेमियों पर 'गंगाजल' छिड़क रही हों।
मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग ने कपिल धारा का विहंगम दृश्य देखने के लिए 'वॉच टॉवर' भी बनाया है, जिस पर एक बार में दो लोग चढ़कर हरे-भरे वन और मनोरम घाटियों का आनंद ले सकते हैं। यहाँ से जब हम देखते हैं तो नर्मदा किसी नटखट बालिका की तरह दिखाई देती हैं, जो पहाड़ों से कूदती-फांदती अपनी मौज में चली जा रही हैं। नर्मदा की अटखेलियाँ देखकर घने वन, वृक्ष और पशु-पक्षी प्रसन्नता जाहिर कर रहे हैं।
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अमरकंटक का प्रसिद्द जलप्राप्त - कपिल धारा |
कपिल धारा पर देवज्ञ |
कपिल धारा, अमरकंटक पर आनंद लेते देवज्ञ और ऋष्वी |
कपिल धारा से अमरकंटक के घने वन, खूबसूरत वादियाँ और उनमें अटखेलियाँ करते बादल |
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