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शनिवार, 7 अप्रैल 2018

चीन में 'अभिव्यक्ति' को रत्तीभर जगह नहीं

 कम्युनिस्ट  विचारधारा के विचारक एवं समर्थक उन सब राज्यों/देशों में अभिव्यक्ति की आजादी के झंडाबरदार बनते हैं, जहाँ उनकी सत्ता नहीं है। किंतु, जहाँ कम्युनिस्टों की सत्ता है, वहाँ वह अभिव्यक्ति की आजादी को पूरी तरह कुचल देते हैं। विशेषकर, कम्युनिस्ट विचारधारा और सरकार के विरुद्ध वह एक भी आवाज सहन नहीं कर सकते। कम्युनिस्ट विचार भीतर से तानाशाही है। जिस प्रकार तानाशाह अपनी, अपने निर्णयों और अपनी सत्ता के विरुद्ध आलोचना के स्वरों को दण्डित करते हैं, उसी तरह कम्युनिस्ट शासन व्यवस्था में आलोचकों के लिए कठोर दण्ड की व्यवस्था रहती है। ऐसा करके कम्युनिस्ट लोगों के बीच में भय का वातावरण बनाने का कार्य करते हैं, ताकि उनके विरुद्ध माहौल न बन सके। हालाँकि, यह संभव नहीं है। एक न एक दिन लोगों का आक्रोश फूटता है। अवसर आने पर जनशक्ति अपना काम कर देती है। क्योंकि, अपने विचार और मंतव्य को अभिव्यक्त करने की विशेष दक्षता ईश्वर ने मनुष्य को दी है। ईश्वर प्रदत्त व्यवस्था को आखिर अनैतिक ढंग से कब तक दबाया जा सकता है। भारत में इसका उदाहरण देखना हो तो त्रिपुरा सबसे ताजा मामला है।
 
          यह भूमिका इसलिए ताकि हम समझ सकें कि वास्तव में कम्युनिस्टों के लिए अभिव्यक्ति के मायने क्या हैं? क्या वास्तव में कम्युनिस्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं? वैसे तो इतिहास के अनेक पृष्ठ भरे पड़े हैं यह बताने के लिए कि कम्युनिस्टों ने अपने शासन में अभिव्यक्ति की आजादी को कितना स्थान दिया है। चीन की सरकार ने उन्हीं पृष्ठों में एक और पृष्ठ जोड़ दिया है। चीन में सरकार ने इसकी सीमा तय कर दी है कि लोग ऑनलाइन क्या कह सकते हैं और यहां तक कि किस बात पर हँस सकते हैं। यह गजब है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार लोगों की हँसी को भी नियंत्रित कर रही है। इस संदर्भ में चीन के संस्कृति मंत्रालय ने ''कम्युनिस्ट क्लासिक्स और नायकों'' की पैरोडी पोस्ट करने वाली वेबसाइटों पर जुर्माना लगाया है। मंत्रालय ने कहा कि आइकीइ और सिना पर क्लासिक कार्यों को विकृत करने और उनका मजाक उड़ाने के लिए जुर्माना लगाया गया है। मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि दक्षिण पश्चिम चीन के शिचुआन प्रांत में एक अन्य कंपनी शिचुआन शेंग्शी तिआनफु मीडिया पर क्रांतिकारी गीत की लोकप्रिय पैरोडी बनाने के लिए कानून के मुताबिक सबसे अधिक जुर्माना लगाया गया है। 
          निश्चित ही संवैधानिक पदों पर बैठे प्रमुख लोगों को लेकर आपत्तिजनक मजाक नहीं बनाना चाहिए। किंतु, पूरी तरह व्यंग्य को प्रतिबंधित कर देना कहाँ उचित है? हम सब जानते हैं कि चीन इंटरनेट पर सबसे अधिक पाबंदियां लगाने वाला देश है। चीन में फेसबुक और ट्विटर जैसी विदेशी सोशल मीडिया वेबसाइटों पर प्रतिबंध है। चीन राजनीति के लिहाज से संवेदनशील सामग्री को भी सेंसर करता है। 
          उल्लेखनीय है कि चीन की सरकार ने पिछले दिनों एक और तानाशाही निर्णय लेकर शी जिनफिंग को आजीवन राष्ट्रपति बने रहने की व्यवस्था बना दी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार के यह निर्णय बताते हैं कि वहाँ नागरिकों के मन में कुछ चल रहा है। संभव है कि कम्युनिस्ट सरकार के विरुद्ध आक्रोश पल रहा हो और आने वाले समय में यह सामने आ जाए। जनाक्रोश से कम्युनिस्ट सरकार डर रही है। पहले से ही चीन में खुलकर अपने विचार व्यक्त करने के लिए कोई स्थान नहीं था। अब आलोचना से डर कर चीनी सरकार ने अपने नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को छीनने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है।

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