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शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

मध्यप्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर बिखरे हैं प्रकृति, वन्य जीवन, धरोहर और अध्यात्म के चटख रंग

भारत का ह्रदय ‘मध्यप्रदेश’ अपनी नैसर्गिक सुन्दरता, आध्यात्मिक ऊर्जा और समृद्ध विरासत के चलते सदियों से यात्रियों को आकर्षित करता रहा है। आत्मा को सुख देनेवाली प्रकृति, गौरव की अनुभूति करानेवाली धरोहर, रोमांच बढ़ानेवाला वन्य जीवन और विश्वास जगानेवाला अध्यात्म, इन सबका मेल मध्यप्रदेश को भारत के अन्य राज्यों से अलग पहचान देता है। इस प्रदेश में प्रत्येक श्रेणी के पर्यटकों के लिए कई चुम्बकीय स्थल हैं, जो उन्हें बरबस ही अपनी ओर खींच लेते हैं। यह प्रदेश उस बड़े ह्रदय के मेजबान की तरह है, जो किसी भी अतिथि को निराश नहीं करता है।

वैभव की इस भूमि पर पराक्रम की गाथाएं सुनाते और आसमान का मुख चूमते दुर्ग हैं। भारत का जिब्राल्टर ‘ग्वालियर का किला’, महेश्वर में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर का राजमहल, मांडू का जहाज महल, दतिया में सतखंडा महल, रायसेन का दुर्ग, दुर्गावती का मदन महल, जलमग्न रहनेवाला रानी कमलापति का महल और गिन्नौरगढ़ सहित अनेक किले हैं, जो मध्यप्रदेश के स्थापत्य की विविधता का बखान करते हैं। देवों के चरण भी इस धरा पर पड़े हैं। उज्जैन, जहाँ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण पढ़े। चित्रकूट, जहाँ प्रभु श्रीराम माता सीता और भ्राता लखन सहित वनवास में रहे। ओंकारेश्वर, जहाँ आदि जगद्गुरु शंकराचार्य ने आचार्य गोविन्द भगवत्पाद से दीक्षा ली। मध्यप्रदेश में दो ज्योतिर्लिंग- महाकाल और ओंकारेश्वर हैं। इसके साथ ही भगवान शिव ने कैलाश और काशी के बाद अमरकंटक को परिवार सहित रहने के लिए चुना है। एक ओर जहाँ द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण प्रतिवर्ष मुरैना में आकर ढ़ाई दिन रहते हैं तो वहीं ओरछा में राजा राम का शासन है। महारानी कुंवर गणेश के पीछे-पीछे श्रीराम अयोध्या से ओरछा तक चले आये थे। ओरछा राजाराम के मंदिर के लिए ही नहीं, अपितु अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है।

शनिवार, 7 सितंबर 2024

कांग्रेसी मंत्री ने स्वीकारा अवैध घुसपैठ और लव जिहाद का सच

हिमाचल प्रदेश के संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण, घुसपैठ और लव जिहाद की जानकारी विधानसभा के पटल पर रखते हुए कांग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह

भारतीय राजनीति में वोटबैंक की राजनीति के चलते कांग्रेस ने सांप्रदायिक चुनौतियों को हमेशा नजरअंदाज किया है। अपितु जिसने भी अवैध घुसपैठ और लव जिहाद जैसे मुद्दों को उठाया है, कांग्रेस ने उन्हें ही सांप्रदायिक ठहराने पर जोर दिया है। जबकि होना यह चाहिए था कि कांग्रेस जैसा राजनीतिक दल समाज की इन चुनौतियों को स्वीकार करके उनके समाधान पर चर्चा करता। सच को अस्वीकार करके सेकुलरिज्म को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। अवैध घुसपैठ, अतिक्रमण, लव जिहाद, लैंड जिहाद जैसे मुद्दों की अनदेखी करके या उनका बचाव करके सेकुलरिज्म नहीं अपितु सांप्रदायिकता का ही पोषण होता है। जिसकी अनुभूति अब हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता एवं मंत्रीगण कर रहे हैं।

गुरुवार, 5 सितंबर 2024

फिल्मकारों की चालाकियां का उदाहरण है ‘आईसी814- द कंधार हाईजैक’

ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर हाल ही में जारी हुई वेबसीरीज ‘आईसी814- द कंधार हाईजैक’ को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। दरअसल, पूरी वेबसीरीज में आतंकियों के वास्तविक नामों की जगह उनके कोडनेम का इस्तेमाल किया गया है। भारतीय वायुसेना की उड़ान संख्या-आईसी814 का हाईजैक करनेवाले आतंकियों ने अपने वास्तविक नाम एवं पहचान छिपाने के लिए बर्गर, चीफ, शंकर और भोला जैसे कोडनेम रखे थे। वेबसीरीज के निर्माता ने इस तथ्य का गलत ढंग से उपयोग करते हुए आतंकियों की पहचान इन्हीं नामों से स्थापित करने का प्रयास किया। हालांकि फिल्म के अंत में आतंकियों के वास्तविक नामों का उल्लेख किया गया है। हम सब जानते हैं कि फिल्म समाप्त होने के बाद आनेवाली जानकारियों को आमतौर पर दर्शक पढ़ते नहीं है। ऐसे में वेबसीरीज के दर्शकों के मन में यह बात बैठ जाती कि आतंकियों में हिन्दू ‘भोला’ और ‘शंकर’ भी शामिल थे। उल्लेखनीय है कि भारत में इस्लामिक आतंकवाद के बचाव में और हिन्दुओं को बदनाम करने की नीयत से ‘हिन्दू आतंकवाद’ की फर्जी अवधारणा को स्थापित करने के लिए अनेक प्रकार की साजिशें हो चुकी हैं। हिन्दुओं की छवि खराब करने की दिशा में ही फिल्म निर्माताओं की इस कलाकारी को देखना चाहिए।

बुधवार, 4 सितंबर 2024

उमेश उपाध्याय : पत्रकारिता के उजले सितारे

वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय (26 अगस्त, 1960- 1 सितंबर, 2024)

श्रद्धेय उमेश उपाध्याय जी भारतीय पत्रकारिता के उजले सितारों में से एक थे। सभी माध्यमों की पत्रकारिता में उनका एक सम्मानित स्थान था। यही कारण है कि उनके असमय निधन पर विभिन्न क्षेत्रों के पत्रकार बंधु दुःखी मन से उनके साथ बिताए अविस्मरणीय एवं प्रेरणादायी प्रसंगों का स्मरण कर रहे हैं।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के साथ उनका गहरा और आत्मीय जुड़ाव था। विगत 14-15 वर्षों से विश्वविद्यालय को उनके अनुभव का लाभ मिल रहा था। वे विश्वविद्यालय की महापरिषद के सम्मानित सदस्य थे। विद्या परिषद एवं अन्य समितियों में भी उनके विजन का लाभ विश्वविद्यालय को मिला है। अनेक अवसरों पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का प्रबोधन उन्होंने किया। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से दिए जानेवाला प्रतिष्ठित ‘गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’ भी उन्हें प्रदान किया गया था।