
यह स्पष्ट है कि भारत की संप्रभुता के लिए राजनीतिक एकता आवश्यक है। लोकतंत्र में नीतियों को लेकर मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन देखने में आ रहा है कि यह मतभेद धीरे-धीरे राजनीतिक द्वेष और मनभेद में परिवर्तित होते जा रहे हैं। पिछले कुछ समय में राजनीतिक कटुता इतनी बढ़ गई है कि हम विरोध करते वक्त समाज और देश हित की अनदेखी कर जाते हैं। वर्ष 2014 के बाद तथाकथित असहिष्णुता की मुहिम इसका सबसे पहला उदाहरण है। सर्जिकल स्ट्राइक जैसे विषय पर भी हमने राजनीतिक वितंडावाद खड़े होते देखा है। सर्जिकल स्ट्राइक पर बेवजह का विवाद अब तक जारी है। जबकि यह ऐसा विषय था, जिस पर किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए थी। हमारे राजनीतिक दलों को एक बार फिर से सोचना चाहिए कि आखिर वह किस प्रकार का वातावरण निर्माण कर रहे हैं। राजनीति में हमें एक 'लक्ष्मण रेखा' खींचने की आवश्यकता है। सर्जिकल स्ट्राइक पर सरसंघचालक ने केन्द्र सरकार को बधाई दी और कहा कि इससे देश-दुनिया में सार्थक संदेश गया है। जम्मू-कश्मीर के विषय पर भी उन्होंने संघ की दृष्टि को स्पष्ट किया। यह सही है कि हम सदैव यह कहते हैं कि सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर (पाकिस्तान के कब्जे वाला भी) भारत का अभिन्न अंग है। लेकिन, अब यह वाणी से व्यवहार में आना चाहिए। उनके कहने का संभवत: आशय यही था कि जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त कराने के लिए सरकार को एक ठोस नीति बनानी चाहिए।
सरसंघचालक ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि संघ समाज में किस प्रकार के रचनात्मक कार्यों में संलग्न है। संघ सामाजिक समरसता के लिए जमीनी स्तर पर ठोस काम कर रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में संघ ने सामाजिक समता की सद्य:स्थिति का सर्वेक्षण कर रहा है और सामाजिक विषमता की खाई को पाटने के लिए समाज के साथ संवाद भी कर रहा है। इसके लिए संघ ने एक संकल्प लिया है कि सबके लिए एक मंदिर, एक कुंआ और एक श्मशान होना चाहिए। देश और समाज सशक्त हो, इसके लिए उन्होंने सभी सज्जन शक्तियों से एक साथ आने का आह्वान किया है। स्वार्थी, विभाजनकारी और देश को तोडऩे की मंशा लेकर बैठी दुष्ट ताकतों से मुकाबला करने के लिए निश्चित ही सज्जन शक्तियों की एकता आवश्यक है। यह एकता इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि अनेक मतभेद होने के बावजूद आज दुष्ट ताकतें एकसाथ आ गई हैं। बुराई को परास्त करने के लिए विजयादशमी के अवसर पर देशसेवा में जुटी सभी सज्जन शक्तिओं को एकजुट होने का संकल्प करना चाहिए।
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पिछले वर्ष विजयादशमी पर दिया गया सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के उद्बोदन का सन्देश
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति डॉ. राम मनोहर लोहिया और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
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