tag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post661928644791131567..comments2024-03-20T07:50:00.652+05:30Comments on अपना पंचू: कम्युनिज्म से अध्यात्म की यात्रा-1लोकेन्द्र सिंहhttp://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-4552521327365690242017-07-25T09:32:16.988+05:302017-07-25T09:32:16.988+05:30प्रेरक उदाहरण. प्रेरक प्रसंग.प्रेरक उदाहरण. प्रेरक प्रसंग.Gopesh Vajpayeehttps://www.blogger.com/profile/02814726861497838974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-34888510516716344682017-07-16T10:22:20.241+05:302017-07-16T10:22:20.241+05:30मुझे लगता है की जीवन में अपने आप की खोज जारी रहती ...मुझे लगता है की जीवन में अपने आप की खोज जारी रहती है. इस खोज का सम्बन्ध समाजवाद या पूँजीवाद से ज्यादा अपनी इच्छा और संतुष्टि से है. राजकाज का कोई आदर्श सिस्टम अब तक तो निकला नहीं है. वहाँ भी खोज जारी रहेगी क्यूँकि मुख्य कारण सामाजिक विषमता है.<br />कम्यूनिज्म से गायत्री धाम वहाँ से अखाड़ा और वहाँ से धूनी पानी से ऐसा लगता है कि अभी भी खोज जारी है. <br />शुभकामनाएँ Harsh Wardhan Joghttps://www.blogger.com/profile/12389755985429791949noreply@blogger.com