tag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post6023907452288397165..comments2024-03-20T07:50:00.652+05:30Comments on अपना पंचू: अब लेनिन के बुत भी बर्दाश्त नहींलोकेन्द्र सिंहhttp://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-24133278402039728002012-10-30T03:38:36.382+05:302012-10-30T03:38:36.382+05:30पहले सेकुलरों का सफाया.... सही कहा वीरेंद्र जी पहले सेकुलरों का सफाया.... सही कहा वीरेंद्र जी लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-60085898056954432772012-10-30T03:36:00.824+05:302012-10-30T03:36:00.824+05:30बिलकुल सही संजय जी बिलकुल सही संजय जी लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-12485843983629319792012-10-30T03:30:12.207+05:302012-10-30T03:30:12.207+05:30गिरिजा दीदी सहमत... हमे इंडिया शब्द का उपयोग ही नह...गिरिजा दीदी सहमत... हमे इंडिया शब्द का उपयोग ही नहीं करना चाहिए...अच्छा भला देश का नाम है भारत लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-684067158148379352012-10-29T21:03:02.552+05:302012-10-29T21:03:02.552+05:30गर्वोन्नत मंगोलिया और नेस्तनाबूद हो चुके लेफ्टियों...गर्वोन्नत मंगोलिया और नेस्तनाबूद हो चुके लेफ्टियों रक्त रंजियों का इतिहासिक सन्दर्भ आपने मुहैया करवाया है .यहाँ तो एक बाबरी (हाँ उसे <br /><br />वाघा सीमा पे मोमबत्ती जलाने वाले ऐसा ही बोलते हैं )की चंद ईंटें दरकने से सेकुलर वाद (तुष्टिकरण )खतरे में आ गया .आपने एक साहसिक पहल <br /><br />की है सच को सच कहके .<br /><br />यहाँ तो अभी भी सेकुलर पुत्र देश की सांस्कृतिक धारा ,भारत धर्मी समाज, आर आर एस को आज भी पानी पी पी के कोसते हैं किलसतें हैं .गुलामी के <br /><br />प्रतीक सर आँखों पे लिए घुमते हैं .इन्हीं लोगों ने आज़ाद देश में हिंदी को गुलामों की भाषा मान लिया है .पहले इन सेकुलरों का सफाया करना पड़ेगा <br /><br />फिर प्रतीक भी देख लिए जाएंगें .<br /><br />एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :<br /><br /><br />अब लेनिन के बुत भी बर्दाश्त नहीं<br /><br /> virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-26193187669049033442012-10-29T20:40:39.732+05:302012-10-29T20:40:39.732+05:30बहुत ही अच्छा आलेख । लेकिन दासता के वृक्ष की जडें ...बहुत ही अच्छा आलेख । लेकिन दासता के वृक्ष की जडें इतनी गहरी हैं कि उखाडने में अस्तित्त्व ही हिल जाएगा । हाँ छोटे-छोटे प्रयासों से शुरुआत की जासकती है । मैं तो सबसे पहले इण्डिया शब्द को हटाना चाहूँगी । बाद में कुछ और भी....। <br />गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-75676513792548261272012-10-29T15:47:20.688+05:302012-10-29T15:47:20.688+05:30बहुत ही संतुलित ढंग से आपेन अपनी बात रखी है साथ ही...बहुत ही संतुलित ढंग से आपेन अपनी बात रखी है साथ ही अनमोल जानकारी भी प्रदान की है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-74617757572002256832012-10-29T02:17:31.755+05:302012-10-29T02:17:31.755+05:30वोट बैंक की राजनीती ये मानसिकता नहीं बदलने दे रही....वोट बैंक की राजनीती ये मानसिकता नहीं बदलने दे रही... मानसिकता नहीं बदल पाने का एक महतवपूर्ण कारण शिक्षा व्यवस्था भी है... लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-2357931688848023762012-10-28T17:25:36.928+05:302012-10-28T17:25:36.928+05:30(कृपया "बोझ धोते रहेंगे" को "बोझ ढो...(कृपया "बोझ धोते रहेंगे" को "बोझ ढोते रहेंगे" पढ़ें.)सुमंत विद्वांसhttp://www.facebook.com/sumant123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-8027610647325033712012-10-28T17:23:11.994+05:302012-10-28T17:23:11.994+05:30मंगोलिया में हुआ किंतु भारत में ये हो पाएगा इसे तो...मंगोलिया में हुआ किंतु भारत में ये हो पाएगा इसे तो आप भूल ही जाइए. यहाँ वोट बैंक और काले अंग्रेज ऐसा कदापि नहीं होने देंगे.<br />बढ़िया लेख हेतु शुभकामनाएँ...Sumit Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/06852765514850701581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-5565711301470046042012-10-28T16:50:55.149+05:302012-10-28T16:50:55.149+05:30भारत में भी ऐसा होना सचमुच आवश्यक है. जब तक हम गुल...भारत में भी ऐसा होना सचमुच आवश्यक है. जब तक हम गुलामी के प्रतीकों का बोझ धोते रहेंगे, तब तक मानसिक गुलामी से मुक्ति नहीं मिल सकती. लेकिन समस्या है कि भारत में इन प्रतीकों को हटाने का प्रयास "भगवाकरण" कहलाता है. इस समस्या से मुक्ति पाना सबसे बड़ी चुनौती है. एक बार ये मानसिकता बदल जाए, तो सारे प्रतीक स्वयं ही ढह जाएंगे.सुमंत विद्वांसhttp://www.facebook.com/sumant123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-90233427350762358512012-10-28T16:38:44.117+05:302012-10-28T16:38:44.117+05:30अंजू जी, शुक्रिया... आपका स्वागत है... निवेदन है क...अंजू जी, शुक्रिया... आपका स्वागत है... निवेदन है कि आते रहिएगा. लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-9669930708057645212012-10-28T16:36:52.072+05:302012-10-28T16:36:52.072+05:30अभी तक हमारे देश के नीति निर्माताओं ने देसज नीतिया...अभी तक हमारे देश के नीति निर्माताओं ने देसज नीतियां ही नहीं बनाई हैं... अंग्रेजों की शिक्षा पद्धति और कानून व्यवस्था को ही अभी तक हम गले से चिपका कर रखे हैं... लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-66499389433385183212012-10-28T16:29:55.101+05:302012-10-28T16:29:55.101+05:30कौशलेन्द्र जी, भारत की राजनीतिक स्थितियां बहुत बिग...कौशलेन्द्र जी, भारत की राजनीतिक स्थितियां बहुत बिगड़ चुकी हैं... वोट बैंक की राजनीती के चलते यहाँ कोई परिवर्तन संभव दीखता नहीं... लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-10770848562108691032012-10-28T09:52:16.395+05:302012-10-28T09:52:16.395+05:30बुतों की तकदीर, बुतपरस्ती के खतरे.बुतों की तकदीर, बुतपरस्ती के खतरे.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-84682224050347657452012-10-28T05:17:10.711+05:302012-10-28T05:17:10.711+05:30लोकेन्द्र जी, ऐसों को काबू करने के लिये भारत ब्रां...लोकेन्द्र जी, ऐसों को काबू करने के लिये भारत ब्रांड गांधीवाद कारगर हो सकता था? मुझे संदेह है। <br />दमन की वकालत नहीं कर रहा लेकिन जिन्हें सिर्फ़ खून-खराबे की ही भाषा समझ आती हो, उनके लिये उनसे ज्यादा बर्बर होना ही तत्कालिक समाधान लगता है। अब गिराते रहें मूर्तियाँ।<br />दूसरी बात, खुद की स्वतंत्रता के साथ दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान करना ही असली सभ्यता है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-91748063513034864752012-10-27T15:22:49.070+05:302012-10-27T15:22:49.070+05:30पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ .....आना सार्थक हुआ...पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ .....आना सार्थक हुआ ...इस महत्वपूर्ण जानकारी के साथ ...सादर Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-39191500267679423772012-10-27T12:32:49.920+05:302012-10-27T12:32:49.920+05:30Ye Desh to abhi bhi angreji aur gulam mansikta men...Ye Desh to abhi bhi angreji aur gulam mansikta men ji raha hai.उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-86640555063715687772012-10-27T11:14:58.296+05:302012-10-27T11:14:58.296+05:30मंगोलियन बर्बर बाबर की निशानियाँ भारत के चापलूसों,...मंगोलियन बर्बर बाबर की निशानियाँ भारत के चापलूसों, बुज़दिलों, अवसरवादियों और पाखण्डियों के लिये गर्व हैं। बाबर के बिना भारत में सत्ता की कल्पना नहीं की जा सकती। बाबर महान ..अकबर महान ..भारत आज भी गुलाम।<br />पूरे विश्व से माओ. लेनिन और स्टालिन को नकारा जा रहा है पर भारत में आज भी इनका प्रभाव स्पष्ट है। ऐसा लगता है कि भारत के अतीत में रही यहाँ की राजनैतिक उत्कृष्ट विरासत को भारत के ही कुछ मानसिक दिवालिय स्वीकार ही नहीं करना चाहते। माओवाद चीन से निष्क्रमित होकर भारत के कुछ लोगों पर चैन से राज कर रहा है। <br />मंगोलिया की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और चीनियों के विस्तार की अदम्य भूख ने वहाँ के लोगों को हिंसक और लुटेरा बना दिया था। बाद में बौद्ध धर्म के प्रभाव से लोगों ने अन्य दिशाओं में भी सोचना-विचारना प्रारम्भ किया। मंगोलिया आज भी गरीब और विषम है फिर भी पहले जैसा नहीं। शिक्षा और उद्योग की तरफ़ मंगोल्स के रुझान ने मंगोलिया को नई दिशा दी है। लोकेन्द्र जी! इस अच्छे आलेख के लिये साधुवाद। बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-23451970180115509922012-10-27T02:40:25.458+05:302012-10-27T02:40:25.458+05:30आदरणीय मयंक जी धन्यवाद आदरणीय मयंक जी धन्यवाद लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-90270095445693241812012-10-27T02:39:41.682+05:302012-10-27T02:39:41.682+05:30शिखा जी यही तो रोना है कि भारतीय अपनी दासता की निश...शिखा जी यही तो रोना है कि भारतीय अपनी दासता की निशानियों को मिटाने की बात ही नहीं सोचता जबकि अन्य देशों में ये हो रहा है... यह तो होता ही है कि कोई विचार कितना ही बुरा क्यों न हो उसे मानने वाले हमेसा रह ही जाते हैं लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-52689815024826165532012-10-27T02:36:57.531+05:302012-10-27T02:36:57.531+05:30गोदियाल जी आपकी बात तो सही है... गोदियाल जी आपकी बात तो सही है... लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-86143685383239289532012-10-27T02:36:12.915+05:302012-10-27T02:36:12.915+05:30रविकर जी आपकी कविता ने लेख को पूर्ण कर दिया.. लेख ...रविकर जी आपकी कविता ने लेख को पूर्ण कर दिया.. लेख का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर देने के लिए भी शुक्रिया....लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-19608753015198949562012-10-27T00:12:24.646+05:302012-10-27T00:12:24.646+05:30विचारोत्तेजक आलेक। विचारोत्तेजक आलेक। किशोर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/03749792574341167902noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-34515275827719694812012-10-26T19:47:20.261+05:302012-10-26T19:47:20.261+05:30बहुत रोचक और सार्थक आलेख...बहुत रोचक और सार्थक आलेख...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-61386059963345402102012-10-26T14:40:18.490+05:302012-10-26T14:40:18.490+05:30हम्म ..कम्युनिज्म के बाद मंगोलिया और रूस का स्वरुप...हम्म ..कम्युनिज्म के बाद मंगोलिया और रूस का स्वरुप मैंने अपनी आँखों से देखा है.मनोगियाँ में रूस और लेनिन के प्रति नफरत वैसी ही है जैसी हमारी अंग्रेजों के प्रति.गुलामी की कुंठा और उनका प्रभाव भी.जहाँ तक रूस की बात है शहरों के नाम बेशक राजनीतीवश बदल दिए गए परन्तु लेनिन को चाहने वाले अभी भी वहाँ बहुत थे.<br />अच्छा लगा आपका आलेख.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.com