tag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post1832854555899422994..comments2024-03-20T07:50:00.652+05:30Comments on अपना पंचू: सुनहरे पन्नों का खजानालोकेन्द्र सिंहhttp://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-53350853737551379992013-08-07T15:48:28.742+05:302013-08-07T15:48:28.742+05:30सुन्दर समीक्षा!सुन्दर समीक्षा!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-561486635342463702013-07-26T21:10:52.062+05:302013-07-26T21:10:52.062+05:30सुन्दर, प्रभावी समीक्षा। और यह तब ही हो सका जब पु...सुन्दर, प्रभावी समीक्षा। और यह तब ही हो सका जब पुस्तक के अध्यायों से समीक्षाकर्ता तादात्म्य स्थापित कर उनसे उस रुप में प्रभावित हो सका, जिस रुप में रचनाकर्ता ने उन्हें रचा है।Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-23333734349040106782013-07-22T22:29:56.970+05:302013-07-22T22:29:56.970+05:30बहुत अच्छी समीक्षा....
जल्द से जल्द खरीदती हूँ..मे...बहुत अच्छी समीक्षा....<br />जल्द से जल्द खरीदती हूँ..मेरे भीतर के बच्चे को भी ज़रूर पसंद आएगी.<br />कब से सोचा था खरीदूं, ज़ेहन से निकल ही गयी थी.<br />शुक्रिया लोकेन्द्र जी<br />अनु <br />ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-62891508812532486702013-07-22T20:45:59.719+05:302013-07-22T20:45:59.719+05:30सुन्दर समीक्षा, अच्छी पुस्तकों को समुचित प्रचार और...सुन्दर समीक्षा, अच्छी पुस्तकों को समुचित प्रचार और प्रसार मिले।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-32637479321036213802013-07-21T17:20:23.932+05:302013-07-21T17:20:23.932+05:30भाई लोकेन्द्र आपने पुस्तक पढी । कहानियों के कथ्य क...भाई लोकेन्द्र आपने पुस्तक पढी । कहानियों के कथ्य का मर्म समझा है और उसे प्रभाव के साथ यहाँ व्यक्त किया है । मेरा और हर रचनाकार का यही अभीष्ट होता है कि उसकी बात को पाठक ठीक उसी रूप में अनुभव करे जिस रूप में उसने अनुभव की है । अच्छी समीक्षा रचना के प्रसार की राह बनाती है । मुझे आसा है कि यहाँ पढ कर पुस्तक अधिकाधिक पाठकों तक पहुँचेगी । गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-90915064116366701272013-07-20T23:33:16.882+05:302013-07-20T23:33:16.882+05:30अच्छी सामग्री का प्रचार-प्रसार ज्यादा से ज्यादा हो...अच्छी सामग्री का प्रचार-प्रसार ज्यादा से ज्यादा होना चाहिये।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.com