tag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post8019944274466646114..comments2024-03-20T07:50:00.652+05:30Comments on अपना पंचू: मनुष्य जाति में स्त्री सबसे ज्यादा कामुक?लोकेन्द्र सिंहhttp://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-11286234201991291382013-04-08T09:25:04.744+05:302013-04-08T09:25:04.744+05:30बहुत अच्छा लिखा है....बहुत ही सटीकबहुत अच्छा लिखा है....बहुत ही सटीकAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11909480380442669988noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-7343723338438712552013-04-06T08:46:47.835+05:302013-04-06T08:46:47.835+05:30ये तो नैतिक पतन का खुला विज्ञापन है .ये तो नैतिक पतन का खुला विज्ञापन है .Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-38872641803966630082013-04-06T00:57:55.618+05:302013-04-06T00:57:55.618+05:30एक बात मान लीजिये, ये सब बाजार के फ़ंडे हैं। ऐसे व...एक बात मान लीजिये, ये सब बाजार के फ़ंडे हैं। ऐसे विज्ञापनों को जरिया बनाकर बाजार अपनी पैठ बनाता है। जिस दिन पब्लिक इन्हें नापसंद करना शुरू कर देगी, ये बंद हो जायेंगे और अगर इन्हें देखकर इन क्रियाकलापों के आदी हो जायेंगे तो फ़िर ..।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-89893828709101320332013-04-05T15:16:35.555+05:302013-04-05T15:16:35.555+05:30Nice one .Plz Visit my blogs.Nice one .Plz Visit my blogs.Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-4726812005324141482013-04-05T14:13:35.875+05:302013-04-05T14:13:35.875+05:30धन्यवाद रवि जी...धन्यवाद रवि जी...लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-12332852406767579922013-04-05T13:02:03.688+05:302013-04-05T13:02:03.688+05:30सार्थक प्रस्तुति..सार्थक प्रस्तुति..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-83180158981277449582013-04-05T12:55:57.518+05:302013-04-05T12:55:57.518+05:30सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति
LATEST POST सुहाने सपने...सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति<br />LATEST POST<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/04/blog-post_5.html#links" rel="nofollow"> सुहाने सपने</a>कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-57364913357045472282013-04-05T10:26:40.314+05:302013-04-05T10:26:40.314+05:30वाह...क्या कहने!वाह...क्या कहने!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-9892569115266918732013-04-05T09:34:35.391+05:302013-04-05T09:34:35.391+05:30सकारात्मक दृष्टिकोण वाले विज्ञापन ही ज्यादा प्रभाव...सकारात्मक दृष्टिकोण वाले विज्ञापन ही ज्यादा प्रभावी होते हैं .<br />प्रभावी विश्लेषण ...<br />मॉडल्स से भी अपील होनी चाहिए कि वे ऐसे वाहियात विज्ञापनों को ना कहें , मगर जब पूरी दुनिया अर्थ पर टिकी जा रही है तो क्या कहे !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-24334825662843887242013-04-05T07:58:59.984+05:302013-04-05T07:58:59.984+05:30लोकेंद्रजी आपका या आलेख बहुत ही unbiased और concer...लोकेंद्रजी आपका या आलेख बहुत ही unbiased और concerned लगा ...वाकई न जाने किस प्रकार की मानसिकता को एनकैश करना चाहते हैं यह विज्ञापन बनानेवाले Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-14937976321014492592013-04-04T23:00:24.575+05:302013-04-04T23:00:24.575+05:30सधा हुआ विवेचन ...... सधा हुआ विवेचन ...... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-8020802513904557012013-04-04T20:22:23.983+05:302013-04-04T20:22:23.983+05:30बहुत ही अच्छी पोस्ट, सही और संतुलित विश्लेषण पढने ...बहुत ही अच्छी पोस्ट, सही और संतुलित विश्लेषण पढने को मिला उन विज्ञापनों का।<br />मैं तो देख नहीं पाई हूँ उन विज्ञापनों को, लेकिन आज भी बजाज स्कूटर और निरमा के वियापना याद हैं।<br />बहुत अच्छा लिखा है लोकेन्द्र तुमने, वेरी गुड इंडीड !स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-22608782151865906572013-04-04T19:31:53.553+05:302013-04-04T19:31:53.553+05:30बहुत ही सटीक और आवश्यक आलेख है । टेलीविजन के माध्य...बहुत ही सटीक और आवश्यक आलेख है । टेलीविजन के माध्यम से जिस तरह अश्लीलता व बाजारवाद ने हमारे जीवन में घुसपैठ की है,दुष्परिणाम भी अनेक विध्वंसक रूप में आ रहे हैं । चाहे वह मूल्यों ,विचारशक्ति तथा वास्तविकता से दूरी हो या अनैतिक व कुत्सित घटनाओं का बाहुल्य हो ।कभी जलेबी और संजीवनी जैसे विज्ञापन आते थे जो बच्चों ही नही बडों के भी दिल को छूजाते थे । इस बलात् ही परोस दीगई अश्लीलता के विरोध में निश्चित ही कोई सख्त कदम उठना चाहिये । गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-81089440386604403372013-04-04T19:24:46.952+05:302013-04-04T19:24:46.952+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8722673451057387706.post-36522978392640888452013-04-04T14:49:23.626+05:302013-04-04T14:49:23.626+05:30आपसे पूरी तरह सहमत हूँ ,,,,
Recent post : होली की...आपसे पूरी तरह सहमत हूँ ,,,,<br /><br /><b>Recent post </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/04/blog-post.html#comment-form" rel="nofollow">: होली की हुडदंग कमेंट्स के संग</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.com