मंगलवार, 27 मार्च 2018

कैसे मनाएं गांधीजी की सार्धशती

 इस  वर्ष दो अक्टूबर से महात्मा गांधी की सार्धशती प्रारंभ हो रही है। गांधीजी और उनके विचारों का स्मरण करने का यह सबसे महत्वपूर्ण अवसर है। भाजपानीत केंद्र सरकार उनकी 150वीं जयंती को विशिष्ट ढंग से मनाना चाहती है। कुछ इस प्रकार कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती अविस्मरणीय बन जाए। अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस संबंध में संकेत दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने एक नवाचारी पहल करते हुए महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के संदर्भ में लोगों से सुझाव माँगे हैं। महात्मा गांधी को अब तक एक पार्टी ने अपनी धरोहर बना रखा था। वह उनकी विरासत पर अपना दावा तो करती है, किंतु उनके विचार का अनुसरण नहीं करती। महात्मा गांधी ने भारत के संदर्भ में जो विचार प्रस्तुत किया था, अब तक उसके प्रतिकूल ही आचरण उस पार्टी और उसकी सरकारों का रहा है।
          स्वतंत्रता के बाद से अपने लाभ के लिए महात्मा गांधी के नाम और उनके सिद्धांतों का हवाला जरूर दिया जाता रहा है, किंतु वास्तविकता में उनके सिद्धांतों को तिलांजलि दे दी गई है। इसलिए आज आवश्यकता है कि भारत के सामान्य नागरिक से लेकर सत्ताधीश और सरकारें महात्मा गांधी के विचारों का अनुसरण करें। उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन और आचरण में उतारें। सत्ता के गलियारों से जब निकल कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आम लोगों से महात्मा गांधी की सार्धशती मनाने के सुझाव ले रहे हैं, तो यह अपने आप में क्रांतिकारी पहल है। यह निश्चित मानिए कि सामान्य नागरिकों के ज्यादातर सुझाव यही होंगे- 'हमें गांधीजी को याद करने के कर्मकाण्ड तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उससे आगे बढ़ कर उनके कहे को चरितार्थ करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।' 
          हम अकसर कहते हैं कि यह देश गांधी और बुद्ध का देश है। निश्चित ही यह देश गांधी और बुद्ध का देश है। उस संस्कृति और परंपरा का देश है, जिसके प्रखर ध्वजवाहक गांधी और बुद्ध रहे हैं। किंतु, क्या यह कहने भर से भारत गांधी और बुद्ध का देश बना रहेगा? क्या जो विचलन आया है, उस पर हम विमर्श कर सकते हैं? गांधीजी के सपनों का भारत बनाने के लिए क्या नीति हो सकती है? 
          'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि 'इस वर्ष महात्मा गांधी के 150वीं जयंती-वर्ष महोत्सव की शुरुआत होगी। यह एक ऐतिहासिक अवसर है। देश कैसे यह उत्सव मनाए? सवा-सौ करोड़ देशवासी कंधे-से-कंधा मिलाकर कैसे गांधी जी को उत्तम-से-उत्तम श्रद्धांजलि दे सकते हैं? इस अवसर पर क्या नए-नए कार्यक्रम किए जा सकते हैं? क्या नए-नए तौर-तरीके अपनाए जा सकते हैं? 'गांधी 150' का लोगो क्या हो? नारे या मंत्र या घोष-वाक्य क्या हो? प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुझाव संभवत: इसलिए भी माँगे हैं ताकि जनसामान्य के बीच में गांधीजी एक बार फिर जाएं। सामान्य व्यक्ति गांधीजी और उनकी शिक्षाओं से परिचित हों। जो गांधीजी को समझेगा, वही उनकी सार्धशती के संबंध में श्रेष्ठ सुझाव दे सकेगा। 
          प्रधानमंत्री मोदी का यह भी आशय हो सकता है कि कार्यालयों की दीवार और मुद्रा (नोट) से निकल कर गांधी सामान्य जनों के मन में पहुँचें। गांधीजी इस देश की विरासत हैं। वह व्यक्ति मात्र नहीं, अपितु एक सम्पूर्ण संस्था हैं। वह सकल विश्व के मार्गदर्शक हैं। मानवता के सबसे बड़े प्रतीक पुरुष हैं। संभवत: इसलिए ही प्रधानमंत्री चाहते हैं कि सिर्फ सरकार नहीं, बल्कि देश के व्यक्ति को यह तय करने का अवसर प्राप्त हो कि कैसे महात्मा गांधी के 150वीं जयंती वर्ष को मनाया जाए।

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