सोमवार, 20 जून 2016

नारी शक्ति का परचम

 धीरे -धीरे ही सही महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। आज वह कौन-सा क्षेत्र है, जहाँ नारियों ने विशेष उपलब्धि अर्जित नहीं की हो? शिक्षा, सेवा, बैंकिग, व्यवसाय, कला, राजनीति, रक्षा और विज्ञान जैसे तमाम क्षेत्रों में महिलाओं ने न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है बल्कि अपनी उपस्थिति को मजबूत भी किया है। भारतीय वायुसेवा में पहली बार तीन महिला सैनिकों ने फाइटर पायलट का कमीशन हासिल करके संदेश दिया है कि वे कहीं भी पीछे नहीं रहेंगी। समूची धरा को नापेंगी, समुद्र को लांघेंगी और आसमान की ऊंचाई को छू लेंगी। महिलाएं दशों दिशाओं में जाएंगी और अपनी खुशबू बिखेरेंगी। अब उनके हौसले के सामने कुछ भी असंभव नहीं है। वाकई यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
        घर-परिवार और समाज को यह बात समझ लेनी चाहिए कि बेटियों की राह में बाधक बनकर कुछ हासिल नहीं होगी। हाँ, उनके सहायक बनकर जरूर प्रसन्नता, प्रशंसा और प्रसिद्धि हमारे हिस्से में भी आ सकती है। इसलिए हमें समझना चाहिए कि यह सही समय है जब हम बेटियों के लिए अपनी सोच में बदलाव लाने की शुरुआत घर से करें। उन्हें उनके सपने साकार करने में मदद करें। सभी लड़कियों को अन्य क्षेत्रों में भी अपनी जगह बनाने का अवसर उपलब्ध कराएं। 
        महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था होने से सभी क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति बढ़ रही है, यह सुखद बात है। लेकिन, जरा सोचिए कि क्या हम इन महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह से मुक्त हैं? क्या हम उन्हें आगे बढऩे का अवसर उपलब्ध कराते हैं? क्या हम उन्हें काम करने की पूरी स्वतंत्रता देते हैं? क्या हम उनके प्रति निष्पक्ष हैं? क्या महिलाएं महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया में सहभागी हैं? क्या हम कामकाजी महिलाओं और उनके काम को सम्मान देते हैं? जाहिर है कि महिलाओं के प्रति अभी हमारी सोच में बदलाव की बहुत गुंजाइश है। ईमानदारी के साथ हमें महिलाओं के आगे बढ़ते कदमों का स्वागत करना चाहिए। उन्हें सकारात्मक माहौल का अहसास कराना समाज की जिम्मेदारी है। समाज जब अपनी जिम्मेदारी निभाने में सफल होगा तब प्रत्येक क्षेत्र में आगे आ रही महिलाएं अपना श्रेष्ठ योगदान देंगी। 
        बहरहाल, पहली बार फाइटर पायलट बनने वाली मध्यप्रदेश की अवनि चतुर्वेदी, बिहार की भावना कंठ और राजस्थान की मोहना सिंह ने सैन्य क्षेत्र में नारी शक्ति का परचम फहराया है। उन्होंने अन्य महिला सैनिकों के लिए भी संभावनाओं के द्वार खोले हैं। भारत की बेटियों का मान बढ़ाया है। महिलाओं को एक दिशा दी है। युवतियों को तीनों फाइटर पायलट से सीख लेनी चाहिए कि सफर की कठिनाई से हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि अपने हौसले की उड़ान को हमेशा ऊंचा रखना चाहिए। निश्चित ही अवनि, मोहना और भावना को अपनी प्रेरणा मानकर देश की और बेटियां भी सैन्य क्षेत्र में आएंगी और लड़ाकू पायलट बनेगी। महिला सैनिकों की इस उपलब्धि से थलसेना और नौसेना के उन क्षेत्रों में भी महिलाओं के प्रवेश करने की संभावना बढ़ेगी, जहाँ अभी उनकी उपस्थिति दिखाई नहीं देती है। हमें ध्यान रखना होगा कि एक समय में सेना में महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। एक लम्बी लड़ाई के बाद सेना का क्षेत्र महिलाओं के लिए खोला गया। अब स्वाभाविक तौर पर महिलाएं अपनी ताकत और काबिलियत के दम पर सेना के प्रत्येक पद पर अपनी दावेदारी जता रही हैं। 
        कठोर और अनुशासित प्रशिक्षण के जरिए तीनों महिला सैनिकों ने अपना, अपने परिवार और समूची नारी शक्ति का सपना साकार किया है। यह सुखद संयोग ही है कि देश को पहली बार तीन महिला फाइटर पायलट 'पितृत्व दिवस' (फादर्स डे) के दिन मिली हैं। तीनों बेटियों ने अपने पिता का माथा ऊंचा कर दिया है। पिता का साथ पाकर अब देश की तीन बेटियां आसमान से दुश्मन के सिर पर आग बरसाएंगी। इस उपलब्धि का संदेश यह है कि घर-परिवार और समाज का साथ मिले अनेक अवनि, भावना और मोहना आगे आ सकती हैं। 

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