गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

बोल रहा है कश्मीर

 पा किस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से 'हिन्दुस्थान-हिन्दुस्थान' की आवाजें आ रही हैं। वहाँ की आवाम भारत आना चाहती है। प्रदर्शन कर रहे लोगों को साफ तौर पर यह कहते हुए सुना जा रहा है कि हम भारत जाना चाहते हैं। भारत में अमन का माहौल उन्हें आकर्षित कर रहा है। पाकिस्तान की बदहाली उन्हें चिंतित किए हुए है। अप्रत्यक्ष तौर पर आतंकवाद का पोषण करने के अपने प्रमुख एजेंडे के कारण पाकिस्तान पीओके की आवाम की जरूरतों का ख्याल नहीं रख सका है। जिहाद के नाम पर पीओके के युवाओं को लम्बे समय से बरगलाया जा रहा है। जिहाद के पीछे की असल मंशा जब युवाओं को समझ आने लगी तो वे आतंकी संगठनों में भर्ती होने से इनकार लगे हैं।
       खासतौर पर, पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद, गिलगित और कटोली जैसे हिस्सों में लोगों का पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लगातार गुस्सा बढ़ रहा है। जनता खुलकर विरोध प्रदर्शन कर रही है। युवाओं में आए इस बदलाव से पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई चिढ़ गई है। पाकिस्तानी सेना विरोध को दबाने के लिए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बर्बर रवैया अपना रही है। जनता की आवाज को पुरजोर तरीके से दबाने का प्रयास किया जा रहा है। पाकिस्तान पर आरोप लग रहा है कि खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना के इशारे पर पीओके में मानव अधिकारों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। पीओके की जनता का भारत प्रेम अकारण नहीं है। 
       भारत का बड़ा दिल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की आवाम को याद आ रहा है। वे देखते हैं कि भारत अपनी जनता का किस तरह ख्याल रखता है। भारत अमन-चैन की राह पर चलने वाला मुल्क है। वहां किसी के बेटे और भाई को आतंकी बनने के लिए प्रेरित नहीं किया जाता। सेना उन्हें उठाकर आतंकी शिविरों में नहीं पटकती। भारत की सदाशयता का परिचय उन्हें समय-समय पर मिला भी है। हाल में जब जम्मू-कश्मीर में बाढ़ ने कहर बरपाया था तब राहत कार्यों में स्पष्ट अंतर दोनों ओर की जनता ने महसूस किया था। भारत ने जहाँ कश्मीर में राहत के लिए पूरी ताकत लगा दी थी, वहीं पाकिस्तान ने पीओके में पुनर्वास के लिए कुछ खास प्रयास नहीं किए। भारत की मदद को भी पाकिस्तान ने ठुकरा दिया था। 
      भारत आज भी पाक कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर को अपना ही हिस्सा समझता है। भारत का दावा स्वाभाविक भी है। इसलिए भारत पीओके और वहां की जनता के प्रति संवेदनशील रहता है। जबकि पाकिस्तान उनका दुरुपयोग ही करता है। केवल पीओके में ही भारत के समर्थन में लोग खड़े नहीं हो रहे हैं वरन लाहौर-करांची से लेकर समूचे देश में असंतुष्टों की भरमार है। अनेक अवसर पर मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान के नागरिक भारत की तारीफ करते हैं और पाकिस्तान सरकार को कोसते हैं। उन्हें पाकिस्तान के बनने पर दु:ख भी होता है। 
      पाकिस्तान में बड़े अनुपात में आवाम को बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं। पाकिस्तान और पीओके की आवाम में एक अजब छटपटाहट देखी जा रही है। पाकिस्तान को समझना होगा कि आज नहीं तो देर सबेरे उसे पीओके से अपना कब्जा छोडऩा ही होगा। आमजन के गुस्से को अधिक देर तक दबाकर नहीं रखा जा सकता। पीओके की जनता भी भारत के जम्मू-कश्मीर की आवाम की तरह सुख और शांति से जीना चाहती है। पाकिस्तान उन्हें ये सब मुहैया नहीं करा सकता, यह सब उन्हें अपनी मूल जमीन भारत पर ही नसीब होगा। 

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