गुरुवार, 19 जून 2014

चुनाव और राजनीति की रिपोर्टिंग सिखाती किताब

 ते ज रफ्तार इलेक्ट्रोनिक मीडिया के महत्वपूर्ण और प्रमुख संवाददाता की जिंदगी भागम-भाग की होती है। वह भारत की वाचक परंपरा का प्रतिनिधि होता है। नियमित लेखन के लिए समय निकालने वाले इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकार विरले ही होते हैं। एबीपी न्यूज के मध्यप्रदेश के ब्यूरोचीफ बृजेश राजपूत ऐसे ही हैं। लिखने की धुन और जुनून उनके भीतर है। टीवी स्क्रीन पर नित्य-प्रतिदिन छाए रहने वाले बृजेश राजपूत अखबारों और पत्रिकाओं में भी नियमित छपते रहते हैं। दैनिक जागरण से अपने पत्रकार जीवन की शुरुआत करने वाले बृजेश राजपूत दैनिक भास्कर में होते हुए डीडी मेट्रो के मार्फत इलेक्ट्रोनिक मीडिया में पहुंचे। एक दशक से भी अधिक वक्त से वे इलेक्ट्रोनिक मीडिया को जी रहे हैं और उसे नजदीक से देख रहे हैं। बीते दस वर्षों में मध्यप्रदेश की राजनीति में आए उतार-चढ़ाव को भी उन्होंने बेहद करीब से देखा है। इसलिए जब बृजेश राजपूत 'चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग' पर किताब लिखते हैं तो वह न केवल राजनीति में रुचि रखने वालों के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज होती है बल्कि मीडिया में आने की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए भी जरूरी बन जाती है। उनकी किताब 'चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग' मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव-२०१३ पर केन्द्रित है। 
           मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव-२०१३ कई मायनों में अहम था। यह चुनाव आम आदमी के नेता की छवि वाले शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता की परीक्षा था तो केन्द्र की सत्ता के लिए होने वाले महासंग्राम का सेमीफाइनल भी था। ऐतिहासिक भ्रष्टाचार और घोटालों से किरकिरी करा चुकी कांग्रेस भी पांच राज्यों में एक साथ हो रहे इन चुनावों के माध्यम से अपनी ताकत को समेटना चाहती थी। मध्यप्रदेश में उसे उम्मीद अधिक थी। भाजपा लगातार दो बार से सत्ता में थी इसलिए कांग्रेस सोच रही थी कि भाजपा के खिलाफ एंटीइनकम्बेंसी होगी। यही कारण रहा कि पूरी ताकत के साथ रणक्षेत्र में डटने के लिए कई धड़ों में बंटी कांग्रेस को एकजुट होने के स्पष्ट संकेत राहुल गांधी ने दिए थे। एकजुटता के प्रयास हुए भी लेकिन सिर्फ दिखाने के लिए। मध्यप्रदेश के चुनाव में रोचक मोड़ तब आया जब कांग्रेस की ओर से चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष केन्द्रीय मंत्री और ईमानदार छवि के युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया को बनाया गया। खैर, चुनाव की चर्चा को छोड़ते हैं, चुनाव आंखों देखा हाल तो आप बृजेश राजपूत की इस पुस्तक में पढ़ ही सकते हैं। पुस्तक बेहद सरल और सहज प्रवाह में लिखी गई है। लेखक की भाषा-शैली ऐसी है कि वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कुमार भी लिखते हैं- 'किताब को पढ़ते वक्त लगा कि कोई चुनाव के बाद किस्सा सुना रहा है और इस तरह सुना रहा है कि जैसे इस वक्त चुनाव हो रहे हों। एकदम लाइव कमेंट्री की तरह।'
          किताब की बात करें तो 'चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग' को आप तीन हिस्सों में रखकर देख सकते हैं। शुरू के पहले हिस्से में लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि चुनाव पर यह किताब क्यों लिखी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव रिपोर्टिंग क्यों और कैसे की जाती है या की जानी चाहिए। यह हिस्सा खासकर मीडिया के विद्यार्थियों या नए पत्रकारों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस अध्याय में राजनीतिक पत्रकारिता में लम्बा समय बिता चुके एक संजीदा पत्रकार ने अपने अनुभव साझा किए हैं। इसी हिस्से में श्री राजपूत ने बताया है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव-२०१३ क्यों खास रहे। क्यों देशभर के मीडिया की नजरें मध्यप्रदेश के चुनाव पर थीं। १९२ पृष्ठ की 'चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग' के संबंध में देश के वरिष्ठ पत्रकारों की टिप्पणियां भी पुस्तक के पहले हिस्से में ही हैं। पुस्तक का दूसरा हिस्सा बृजेश राजपूत के सक्रिय लेखन को जाहिर करता है। इस हिस्से में मध्यप्रदेश चुनाव की तस्वीर बताते उनके तेरह लेख शामिल हैं। ये आलेख चुनाव की शुरुआत के पहले से लेकर परिणाम के बाद तक का हाल बयान करते हैं। तीसरे हिस्से में चुनाव-२०१३ को चित्रों और आंकड़ों के आईने में समझने की कोशिश है। यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि राजनीति-मीडिया के विद्यार्थियों, राजनीतिक विचारकों, विश्लेषकों और भविष्य के चुनाव के लिए यह पुस्तक एक उपयोगी दस्तावेज साबित होगी। मध्यप्रदेश के छोटे से जिले नरसिंहपुर के करेली से निकलकर देश के क्षितिज पर छा जाने वाले सौम्य स्वभाव के बृजेश राजपूत ने मध्यप्रदेश की धरती पर ही नहीं बल्कि गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखण्ड में घूम-घूमकर समाज के मिजाज को समझा है। राजनीतिक पत्रकारिता के अलावा वे सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता को भी साथ लेकर चलते हैं। पत्रकारिता में अपने काम के लिए कई पुरस्कारों से नवाजे गए बृजेश राजपूत को इस किताब के लिए बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
पुस्तक : चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग
लेखक : बृजेश राजपूत
मूल्य : १९५ रुपये
प्रकाशक : शिवना प्रकाशन
पी.सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट
बस स्टैण्ड, सीहोर-४६६००१ 
फोन : ०७५६२४०५५४५
ईमेल : shivna.prakashan@gmail.com

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