मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

प्रेम और उसका चेहरा

 प्रे म ईश्वर तुल्य है। इसके अहसास को शब्दों की माला में नहीं पिरोया जा सकता। प्रेम को तो वही महसूस कर सकता है जो उसमें आकंठ डूबा हो। यूं तो ऐसे प्रेमी-प्रेमिका ही बता सकते हैं कि वे अपने साथी के साथ सचमुच प्यार में हैं या महज दैहिक आकर्षण के चलते उनके बीच जुड़ाव है। खैर जो भी हो वर्तमान में प्रेम का जो चेहरा दिखाई देता है मैं उसे नब्बे फीसदी झूठा मानता हूं। आप का अपना आंकड़ा हो सकता है, लेकिन आप भी इस बात से इत्तेफाक रखते ही होंगे कि प्रेम में पहले सी पवित्रता नहीं बची। उसका सीधा कारण मैं इंटरनेट, टीवी और सिनेमा को मानता हूं। आज का युवा यहीं से प्रेम सीख रहा है, प्रेम उसमे अंतर्मन में प्रस्फुटित नहीं हो रहा है।
    सच्चे और झूठे प्रेम पर सदा से ही बहस चली आ रही है और आज भी चलती है। अभी पांच दिन बाद ही एक तबका वेलेंटाइन-डे मनाने की वकालत करेगा तो एक पक्ष इसका पुरजोर विरोध करेगा। विरोधी पक्ष वेलेंटाइन-डे का विरोध करने के लिए किसी भी हद तक चला जाएगा और इसे मनाने की जिद पाले लोग समाज की सारी मर्यादाओं को तार-तार करके भी इसे मनाएंगे। पता नहीं प्रेम का इजहार करने के लिए लोग इस दिन पर इतना क्यों जोर डालते हैं। साथ ही संस्कृति को दूषित होने बचाने का खम भरने वाले लोग इसी दिन क्यों डण्डा-झण्डा और तारपिन (मुंह काला करने के लिए) लेकर निकलते हैं। उन्हें क्या साल भर इस तरह की फूहड़ता नहीं दिखती।
    किसका प्यार सच्चा किसका झूठा कहा नहीं जा सकता, लेकिन मैं इस बात की सौ फीसदी गारंटी लेता हूं कि वर्तमान में प्यार का जो रूप दिख रहा है उससे सब दुखी हैं सिवाय उनके जो उसमें लिप्त हैं। कथित प्यार में अंधे हमारे युवाओं ने सारी मर्यादाओं को ताक पर रख दिया है। इनके प्रेम के भौंड़े इजहार ने पहले तो पार्कों में परिवार का आना वर्जित करवा दिया। अब ये धार्मिक स्थलों पर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं। दैहिक आकर्षण में फंसे युवक-युवतियां सारी वर्जनाएं तोड़ देते हैं। लड़का हो या लड़की सभी परिजनों से मिली स्वतंत्रता का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। सार्वजनिक स्थलों पर किस तरह का व्यवहार करना चाहिए, प्रेमि युगल यह भूल ही जाते हैं। जिस स्थिती में वे सार्वजनिक स्थलों पर प्यार की पींगे बढ़ाते मिलते हैं उसे देख आप भले ही शरमा जाएं, लेकिन उन्हें लाज आए यह प्रश्र ही नहीं उठता। आए दिन जिस तरह से अश्लील वीडियो क्लिप बनने की खबरें आ रहीं हैं, उनसे मन बहुत उद्देलित हो उठता है। बार-बार नागफनी से कटीले सवाल हृदय की पीड़ा को बढ़ाते हैं। 
      इधर, तीन-चार रोज पहले ही एक खबर पढ़ी कि नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपति नाथ मंदिर में अविवाहित युगल का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। दरअसल अविवाहित जोड़े मंदिर परिसर में अमर्यादित हरकतों को अंजाम देते थे। जिससे बच्चों और महिलाओं सहित आने वाले श्रद्धालुओं का शर्मनाक स्थितियों का सामना करना पड़ता, इनकी ही शिकायत पर मंदिर प्रशासन ने इस तरह का निर्णय लिया है। मेरा मत है कि यह निर्णय अनुकरणीय है। भारत में भी इस तरह के कदम उठाए जाने की जरूरत है। ईश्वर से प्रार्थना है कि प्यार या तो फिर से पवित्र हो जाए या फिर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो जाए।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपने ठीक कहा है..आज का युवा मर्यादाओं को पार कर रहा है...इसमें दोष काफी हद तक माता-पिता का है..संस्कार क्या होते हैं , मर्यादा-लिहाज क्या होता है या हम ठीक से समझा नहीं पाए या वो समय़ नहीं पाए....

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  2. "भौंड़े इजहार ने पहले तो पार्कों में परिवार का आना वर्जित करवा दिया। अब ये धार्मिक स्थलों पर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं। दैहिक आकर्षण में फंसे युवक-युवतियां सारी वर्जनाएं तोड़ देते हैं। लड़का हो या लड़की सभी परिजनों से मिली स्वतंत्रता का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं।"

    भगवान् इनकी आत्मा को शांति प्रदान करे !

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  3. बहुत सही कहा आपने लोकेन्द्र भाई| अंतर केवल इतना है कि आपका आंकड़ा ९०% है और मेरा ९५%| आजकल तो हर किसी को चलते चलते प्यार हो जाता है| प्रेम को ईश्वर का नाम दिया जाता है किन्तु यहाँ तो हर किसी को ईश्वर मिल रहा है| जैसे आज के युग में सभी पुण्यात्मा ही बसते हैं| दरअसल शाहरुख खान और करण जोहर ने देश की नस्ल ही खराब कर दी है, और अब तो टीवी सीरियल भी पीछे नहीं हैं| आपसे पूर्णत: सहमती|

    धन्यवाद|

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