शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

बॉलीवुड को भाने लगा मध्यप्रदेश

 म ध्यप्रदेश, देश का हृदय है। प्राकृतिक सौंदर्य, संपदा और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों से भी खूब समृद्ध है मध्यप्रदेश। इसके सौंदर्य का गुणगान पर्यटन को आकर्षित करने के लिए बनाए गए विज्ञापन बखूबी करते हैं। मन को आल्हादित करने वाले मध्यप्रदेश के वातावरण ने आखिरकार बॉलीवुड को अपने मोहपाश में बांध ही लिया है। बॉलीवुड के नामी निर्देशकों में शुमार प्रकाश झा को भी मध्यप्रदेश भा गया है। सिने सितारों से सजी उनकी सफल फिल्म राजनीति की अधिकांश शूटिंग प्रदेश की राजधानी भोपाल में ही हुई थी। भोपालियों सहित प्रदेश की आवाम ने राजनीति में वीआईपी रोड और न्यू मार्केट का अप्रितम सौंदर्य निर्देशक प्रकाश झा की नजरों से देखा। अब वे अपनी बहुचर्चित फिल्म आरक्षण की शूटिंग के  लिए सदी के महानायक अमिताभी बच्चन सहित भोपाल में डटे हुए हैं। इससे पहले बेहतरीन काम से लोगों के दिल पर राज करने वाले आमिर खान ने किसानों की दुर्दशा के प्रति देशभर में सहानभूति जुटाई अपनी फिल्म पीपली लाइव से। इसकी शूटिंग भी मध्यप्रदेश में ही हुई। प्रदेश के एक और महत्वपूर्ण शहर ग्वालियर ने भी बॉलीवुड सहित हॉलीवुड का ध्यान अपनी ओर खींचा है। खबर है कि ग्वालियर और ओरछा के किले पर पहली बार एक हॉलीवुड फिल्म की शूटिंग होने वाली है। बेल्जियम की फिल्म निर्माता कंपनी कोरसम और मुंबई की नील मुद्रा एंटरटेनमेंट फिल्म सिंगुलरिटी का निर्माण कर रहे हैं। इसमें हॉलीवुड के अभिनेता जोश हार्टनेट और अभिनेत्री ट्रेसी उल्मा के साथ ही बॉलीवुड अभिनेत्री बिपाशा बसु, अभिनेता अभय देओल, अतुल कुलकर्णी और मिलिंद सोमण भी दिखाई देंगे। इसके अलावा प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक पंकज कपूर भी फिल्म मौसम की शूटिंग के सिलसिले में ग्वालियर प्रवास कर चुके हैं। फिल्म मौसम एक रोमांटिक फिल्म है जिसमें पंकज कपूर के बेटे शाहिद कपूर मुख्य अभिनेता हैं। शाहिद ग्वालियर एयरवेज स्टेशन से फाइटर प्लेन उड़ाते नजर आएंगे।
    खैर, ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश ने अभी-अभी कुछ जादू चलाया है जो बॉलीवुड इस ओर दौड़ पड़ा है। पहले भी प्रदेश में कई फिल्मों की शूटिंग होती रही है। ग्वालियर के चम्बल और जबलपुर के भेड़ाघाट सहित अन्य जगहों पर कुछेक प्रसिद्ध फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। यहां रोमांचित और प्रसन्न होने की बात सिर्फ इतनी-सी नहीं है कि फिल्मों में हमारा प्रदेश दिखेगा। बल्कि प्रसन्नता का कारण यह है कि यह सिलसिला यूं ही चल निकला तो निश्चित ही प्रदेश के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। जिसका लाभ प्रदेश की जनता को मिलेगा। इससे पर्यटकों की संख्या में भी आशातीत वृद्धि होगी। प्रदेश के थियेटर कलाकारों को कुछ काम भी मिलने की संभावना है। यहां कई प्रतिभावान कलाकार हैं, जिन्हें बस मंच की दरकार है। प्रदेश ने बॉलीवुड को कई दिग्गज कलाकार दिए भी हैं। जिनमें संगीतकारों की लम्बी सूची तो है ही, अभिनेता, निर्देशक भी शामिल हैं। प्रसन्नता की एक खबर यह भी है कि निर्देशक प्रकाश झा ने आरक्षण के लिए भोपाल व प्रदेश के कई थियेटर कलाकारों का चयन किया है। जिनमें ग्वालियर के स्केटिंग कोच अरविंद दीक्षित का नाम भी शामिल है। हे प्रभु! यह सिलसिला यूं ही चलता रहे, बल्कि रफ्तार पकड़ ले। 

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

प्रेम और उसका चेहरा

 प्रे म ईश्वर तुल्य है। इसके अहसास को शब्दों की माला में नहीं पिरोया जा सकता। प्रेम को तो वही महसूस कर सकता है जो उसमें आकंठ डूबा हो। यूं तो ऐसे प्रेमी-प्रेमिका ही बता सकते हैं कि वे अपने साथी के साथ सचमुच प्यार में हैं या महज दैहिक आकर्षण के चलते उनके बीच जुड़ाव है। खैर जो भी हो वर्तमान में प्रेम का जो चेहरा दिखाई देता है मैं उसे नब्बे फीसदी झूठा मानता हूं। आप का अपना आंकड़ा हो सकता है, लेकिन आप भी इस बात से इत्तेफाक रखते ही होंगे कि प्रेम में पहले सी पवित्रता नहीं बची। उसका सीधा कारण मैं इंटरनेट, टीवी और सिनेमा को मानता हूं। आज का युवा यहीं से प्रेम सीख रहा है, प्रेम उसमे अंतर्मन में प्रस्फुटित नहीं हो रहा है।
    सच्चे और झूठे प्रेम पर सदा से ही बहस चली आ रही है और आज भी चलती है। अभी पांच दिन बाद ही एक तबका वेलेंटाइन-डे मनाने की वकालत करेगा तो एक पक्ष इसका पुरजोर विरोध करेगा। विरोधी पक्ष वेलेंटाइन-डे का विरोध करने के लिए किसी भी हद तक चला जाएगा और इसे मनाने की जिद पाले लोग समाज की सारी मर्यादाओं को तार-तार करके भी इसे मनाएंगे। पता नहीं प्रेम का इजहार करने के लिए लोग इस दिन पर इतना क्यों जोर डालते हैं। साथ ही संस्कृति को दूषित होने बचाने का खम भरने वाले लोग इसी दिन क्यों डण्डा-झण्डा और तारपिन (मुंह काला करने के लिए) लेकर निकलते हैं। उन्हें क्या साल भर इस तरह की फूहड़ता नहीं दिखती।
    किसका प्यार सच्चा किसका झूठा कहा नहीं जा सकता, लेकिन मैं इस बात की सौ फीसदी गारंटी लेता हूं कि वर्तमान में प्यार का जो रूप दिख रहा है उससे सब दुखी हैं सिवाय उनके जो उसमें लिप्त हैं। कथित प्यार में अंधे हमारे युवाओं ने सारी मर्यादाओं को ताक पर रख दिया है। इनके प्रेम के भौंड़े इजहार ने पहले तो पार्कों में परिवार का आना वर्जित करवा दिया। अब ये धार्मिक स्थलों पर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं। दैहिक आकर्षण में फंसे युवक-युवतियां सारी वर्जनाएं तोड़ देते हैं। लड़का हो या लड़की सभी परिजनों से मिली स्वतंत्रता का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। सार्वजनिक स्थलों पर किस तरह का व्यवहार करना चाहिए, प्रेमि युगल यह भूल ही जाते हैं। जिस स्थिती में वे सार्वजनिक स्थलों पर प्यार की पींगे बढ़ाते मिलते हैं उसे देख आप भले ही शरमा जाएं, लेकिन उन्हें लाज आए यह प्रश्र ही नहीं उठता। आए दिन जिस तरह से अश्लील वीडियो क्लिप बनने की खबरें आ रहीं हैं, उनसे मन बहुत उद्देलित हो उठता है। बार-बार नागफनी से कटीले सवाल हृदय की पीड़ा को बढ़ाते हैं। 
      इधर, तीन-चार रोज पहले ही एक खबर पढ़ी कि नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपति नाथ मंदिर में अविवाहित युगल का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। दरअसल अविवाहित जोड़े मंदिर परिसर में अमर्यादित हरकतों को अंजाम देते थे। जिससे बच्चों और महिलाओं सहित आने वाले श्रद्धालुओं का शर्मनाक स्थितियों का सामना करना पड़ता, इनकी ही शिकायत पर मंदिर प्रशासन ने इस तरह का निर्णय लिया है। मेरा मत है कि यह निर्णय अनुकरणीय है। भारत में भी इस तरह के कदम उठाए जाने की जरूरत है। ईश्वर से प्रार्थना है कि प्यार या तो फिर से पवित्र हो जाए या फिर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो जाए।